रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत के 26 दिन बाद मंत्रियों का पोर्टफोलियो तय हुआ है। मंत्रियों की शपथ के 7 दिन बाद उन्हें विभागों की जिम्मेदारी मिली है। सूबे में विभागों के वजन के हिसाब से ही मंत्रियों का कद देखा जाता है। ऐसे में दोनों डिप्टी सीएम को जहां बड़े विभाग मिले हैं। वहीं कैबिनेट के पुराने चेहरों को बड़े बजट वाले विभाग देकर बैलेंस बनाया गया है।
सरकार के टॉप 5 चेहरों में शामिल नेताओं को वित्त, गृह, जेल, कृषि, पीडब्ल्यूडी स्कूल शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग देकर पावर बैलेंस बनाने की कोशिश की गई है। हांलाकि बृजमोहन अग्रवाल जैसे कद्दावर चेहरे को दूसरे बड़े विभाग देने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन रमन सरकार के दौरान मिले विभागों को ही इस बार भी रिपिट किया गया है।
दोनों डिप्टी सीएम को मिले बड़े विभाग
कैबिनेट में डिप्टी सीएम विजय शर्मा को गृह और अरुण साव को पीडब्ल्यूडी, नगरीय निकाय और पीएचई जैसे बड़े विभाग देकर सीएम विष्णुदेव साय ने बता दिया है कि पावर सेंट्रलाइज होने के बजाय डिस्ट्रीब्यूशन में चलेगा। आने वाले दिनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ इन दोनों चेहरों की अहम भूमिका सरकार में होगी।
राज्य की सुरक्षा के महत्वपूर्ण फैसले लेने की जिम्मेदारी गृह विभाग की होती है। इसलिए मुख्यमंत्री के बाद सबसे ताकतवर गृहमंत्री को ही माना जाता है। नक्सल मामले, आंतरिक सुरक्षा के मसलों पर पुलिस मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को ही रिपोर्ट करती है। इस विभाग का भी बजट बड़ा होता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पिछली सरकार ने इस विभाग को 6 हजार 220 करोड़ दिए थे।
प्रदेश में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी यानी लोक निर्माण विभाग की होती है और उसी हिसाब से विभाग का बजट भी होता है। नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री के पास प्रदेश के सभी नगरीय निकायों की कमान होती है। इसलिए ये विभाग बड़ा माना जाता है। इस समय प्रदेश में अमृत मिशन का काम चल रहा है। केन्द्र का ये प्रोजेक्ट राज्य सरकार ही पूरा करेगी, जिसके लिए बड़ा फंड भी केन्द्र देती है। पिछली सरकार में पीडब्ल्यूडी का बजट 7 हजार 651 करोड़ और पीएचई का 2 हजार 557 करोड़ था। इन तमाम बड़े विभागों की वजह से डिप्टी सीएम अरुण साव को पावरफुल कहा जा रहा है।
ओपी चौधरी आईएएस की नौकरी छोडक़र राजनीति में आए हैं। छत्तीसगढ़ का वित्त विभाग उन्हें दिया गया है। अब तक ये विभाग मुख्यमंत्री के पास ही हुआ करता था। किस विभाग का बजट कितना होगा, ये तय करने की जिम्मेदारी वित्त मंत्री के पास होती है। प्रदेश के आर्थिक मसलों पर भी वित्त विभाग ही फैसले लेता है। इसलिए वित्तमंत्री को पावरफुल माना जाता है।
पुराने चेहरों को मिला बड़े बजट के विभाग
बीजेपी के पुराने चेहरों को बड़े बजट वाला विभाग दिया गया है। पिछली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 1 लाख 21 हजार 500 करोड़ का बजट पेश किया था। इस हिसाब से इसमें 19 हजार 489 करोड़ बजट का प्रावधान स्कूल शिक्षा विभाग के लिए किया गया है। कैबिनेट के सबसे सीनियर बृजमोहन अग्रवाल इस विभाग के मंत्री बनाए गए हैं। इसी तरह 10 हजार करोड़ से ज्यादा का बजट कृषि विभाग का है।
प्रदेश के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल पहले से ही पावरफुल माने जाते रहे हैं। हालांकि उन्हें इस बार भी लगभग वही विभाग मिले हैं, जो रमन सरकार के समय उनके पास थे। कांग्रेस सरकार में 2023-24 का सबसे बड़ा बजट 19 हजार 489 करोड़ का स्कूल शिक्षा विभाग के पास था। जबकि उच्च शिक्षा विभाग को भी 1 हजार 196 करोड़ मिले थे। बजट के हिसाब से कैबिनेट में पावरफुल पोजिशन पर बृजमोहन अग्रवाल हैं।
छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहा जाता है। सरकार में खेती-किसानी से जुड़े बड़े फैसले कृषि विभाग ही लेता है। पिछली सरकार में इस विभाग का बजट 10 हजार करोड़ से ज्यादा का था। भूपेश सरकार के पावरफुल मंत्री रविन्द्र चौबे कृषि विभाग संभाल रहे थे। ऐसे में पावर बैलेंस के हिसाब से मंत्री रामविचार नेताम को ये विभाग दिया गया है।
दयालदास को खाद्य और केदार को वन, जल संसाधन देकर किया बैलेंस
सरकार में धान खरीदी की बड़ी जिम्मेदारी खाद्य विभाग के पास होती है। जिसका बजट भी बड़ा होता है। पिछली सरकार में ये बजट 6 हजार 464 करोड़ का था। क्योंकि बीजेपी ने चुनाव से पहले किसानों से 3100 रु. प्रति क्विंटल धान खरीदी का वादा किया था। इसलिए नई सरकार में भी विभाग का बड़ा बजट होगा। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में वन विभाग भी बड़ा माना जाता है। भूपेश सरकार में कद्दावर मंत्री अकबर के पास वन विभाग की जिम्मेदारी थी और बजट 3 हजार 136 करोड़ का था। इसलिए दयालदास बघेल को खाद्य और केदार कश्यप को वन विभाग, जल संसाधन विभाग देकर नए पुराने चेहरों में पावर डिस्ट्रीब्यूशन का बैलेंस बनाने की कोशिश की गई है।
साय कैबिनेट में पावर का बैलेंस
टॉप-5 चेहरों को मिला बड़ा बजट तो दोनों डिप्टी सीएम को मिले बड़े विभाग
