रायगढ़। प्रभु यीशु के जन्मदिवस पर मनाए जाने वाला क्रिसमस त्यौहार को लेकर मसीही समाज विगत सप्ताहभर से तैयारी में जुटे थे, इस दौरान रविवार दोपहर तक सारी तैयारियां पूरी होने के बाद रात 8 बजे से गिरजाघरों में समाज के लोग पहुंचेने लगे थे, और प्रार्थना के बाद कार्यक्रम शुरू हुआ जो देर रात प्रभु यीशु का जन्म होने के बाद केक काटा गया।
उल्लेखनीय है कि मसीही समुदाय का मुख्य पर्व क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। जिसको लेकर विगत सप्ताहभर से तैयारियां चल रही थी। इस दौरान समाज के लोग गिरजाघरों के साथ अपने घरों को भी रंग-बिरंगी लाइट और फुलों से सजाया है। साथ ही शहर के करीब आधा दर्जन चर्च में कार्यक्रम आयोजित किया गया है। जिसको लेकर रविवार को पूरे दिन चरनी, संता क्लाज सहित क्रिसमस ट्री तैयार किया गया और रविवार की रात करीब 9 बजे प्रभु यीशु की प्रार्थना हुई, इसके बाद बच्चों के द्वारा नाटक व चित्रकला के के जरिय मरियम व यसुफ के बारे में बताया गया। इस दौरान विश्वासगढ़ चर्च में सैकड़ो ईसाई भाई-बहनों ने प्रभु यीशु का प्रवचन सुना और झुमते-नाचते हुए प्रभु यीशु के आगमन पर खुशियां मनाई। इस दौरान मसीही समाज के लोगों ने बताया कि दुनिया में अमन शांति और भाई चारा कायम रखने के लिए प्रशु यीशु से प्रार्थना भी की। साथ ही चर्च के फादर ने बाइबिल ग्रंथ का पाठ करते हुए बताया कि आज ही के दिन प्रभु यीशु का जन्म बेथलेहम के गौशाला में हुआ था, जो इस दुनिया में राजकुमार बनकर हम लोगों के लिए आए थे, तब से लेकर आज तक पारंपरिक तरीके से क्रिसमस त्यौहार ईसाई समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है। जिसको लेकर शहर के गिरजाघर परिसर को आक्रर्षक विद्युत झालरों से सजाया गया था, साथ ही रामभाठा चर्चा में आकर्षक चरनी, गौशाला का निर्माण कर प्रभु यीशु की प्रतिमा को स्थापित किया गया था, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। इस दौरान रात 12 बजे प्रभु यीशु के जन्म होने के बाद समाज के लोगों द्वारा केक काटा गया और आपस में एक दूसरे को केक खिलाते हुए खुशियां बांटी गई।
इस संबंध में मासीही समाज के लोगों बताया कि क्रिसमस ट्री का चलन जर्मनी से शुरू हुआ था। इसकी मान्यता है कि जर्मनी में क्रिसमस के अवसर पर अपने बच्चों के लिए बगीचे से फर का पेड़ लाकर अपने घर की नर्सरी में लगाया जाता है, साथ ही इस पेड़ को कैंडल्स से सजाया जाता है ताकि वे जीसस के जन्मदिन पर बर्फीली रात की खूबसूरती को अपने बच्चों को दिखा सकें। साथ ही क्रिसमस के पेड़ से जुड़ाव सदियों पुराना बताया जाता है। इसी मान्यता के अनुसार लोग क्रिसमस ट्री की खरीददारी करते है। जिसको लेकर बाजार मतें विगत सप्ताहभर से खरीदी चल रही थी। साथ ही क्रिसमस ट्री की मांग को देखते हुए बाजार में छोटे से बड़े साइज का क्रिसमस ट्री आया है, जिसे लोग अपने हिसाब खरीदी कर रहे हैं।
बाजार में बढ़ी रौनक
गौरतलब हो कि क्रिशमस त्यौहार के चलते बाजार में विगत सप्ताहभर से रौनक बढ़ गई थी, जिससे व्यवसायी भी कपड़े से लेकर लाईट व अन्य सजावट के सामान एक से बढ़ कर एक मंगाए हैं, जो लोगों को खूब पसंद आया। इसके साथ ही त्यौहार को यादगार बनाने के लिए ग्रीटिंग कार्ड की भी जमकर खरीदी हुई।
पांच जगहों में हुआ आयोजन
शहर के अलग-अलग स्थानों पर पांच चर्च मौजूद हैं, जहां समुदाय के लोग विगत सप्ताहभर पहले से तैयारी में जुट गए थे। इस संबंध में समाज के लोगों ने बताया कि शहर के विश्वागढ़ चर्च, रामभाठा स्थित संत माईकल चर्च, बोईरदादर स्थित संत जेबियर चर्च, उर्दना स्थित संत मोनिका चर्च तथा छातामुड़ा स्थित संत टेरेसा चर्च में आयोजन किया गया। जहां बड़ी संख्या में समाज के लोग एकत्र हुए थे।