रायगढ़। समाज क्या होता है यह राजनीति करने वाले भली भांति जानते हैं लेकिन राजनीति के सामाजिक बंधनों में अगर बांध दिया जाये तो समाज भी साथ नही देता यही हाल हुआ अग्रवाल समाज के ध्वजवाहक बने शंकर अग्रवाल और गोपाल बापोडिया का द्यजहां-जहां भी शंकर अग्रवाल गए वहां उन्होंने कहा कि मै 40 हजार वोट के पास हूं, आप लोगों का साथ रहा तो जीत जाउंगा। ये झूठा भ्रम किसके लिये रखते हैं ऐसे लोग ग्रामीणों के पूजा पाठ को अपना बताकर,समाजसेवा की झूठी रोटी सेंकने वाले नेताओं को आम जनता भी भली भांति समझ चुकी है और ऐन चुनाव के वक्त इनको बताते हैं कि आप भले ही नेताओं को अपनी बड़ी-बड़ी बातें करके बेवकूफ बना सकते हो लेकिन आमजन आसानी से बेवकूफ नही बन सकता। वहीं 292 पोलिंग बूथों में 64 पोलिंग बूथ ऐसे थे जिसमें शंकर अग्रवाल का खाता तक न खुला। एक राष्ट्रीय पार्टी के कोषाध्यक्ष रह चुके शंकर अग्रवाल को उनके समाज के लोगों ने भी नकारा।
शहर के साथ-साथ गांवों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के परिणाम के बाद से शंकर अग्रवाल महादेव की तरह हिमालय की गुफा में अंतर्ध्यान हो गए है वहीं जिला पंचायत की पूर्व सदस्य गोपिका गुप्ता भी शंकर अग्रवाल की तरह 65 पोलिंग बूथों से गायब रही। तमाम तरह के लोग बाते करते रहे कि कोलता समाज का प्रतिनिधि ही जनप्रतिनिधि बनेगा। यहां तक कि समाज ने अपना समर्थन भी गोपिका को दे दिया था। लेकिन जब पिटारा खुला तो गोपिका गुप्ता को हजार वोट के लाले पड गए। इनको जिला पंचायत में मिले वोट भी प्राप्त नही हुआ। इसी से यह समझना चाहिए कि लोगों का विश्वास अभी भी राष्ट्रीय पार्टियों के तरफ है। शंकर अग्रवाल जहां 1810 मत ही प्राप्त कर सके वहीं गोपिका गुप्ता मात्र 878 वोट पाकर हजार का आंकडा भी नही छू पाई और सामाजिक नेतृत्व को बाय-बाय कर गई।
कभी भी व्यक्ति को राजनैतिक जीवन में समाज को हावी नही होने देना चाहिए। हमेशा अग्रवाल समाज में बढ़-चढक़र सभी कार्यक्रमों को रूपरेखा प्रदान करने वाले गोपाल बापोडिया की स्थिति भी बद से बदतर रही और 26 पोलिंग बूथ में वोट भी नही मिले। आम आदमी पार्टी की हालत 1058 वोट में ही सिमट कर रह गई और ओपी चौधरी की मात्र एक महीने की आंधी तूफान के आगे सभी पार्टी और निर्दलीय लोग उड़ गए। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा 128142 वोट मिले तो प्रकाश शक्राजीत नायक को 64209 वोट पाकर 64443 वोट के ऐतिहासिक अंतर से हारे हैं। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो निर्दलीय प्रत्याशियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। तीन बार राष्ट्रीय पार्टी से चुनाव लड़ चुके विजय अग्रवाल 22.41 प्रतिशत के साथ सबसे आगे तो पहली बार भाग्य आजमा रहे आंदोलनकारी युवा नेता विभाष सिंह ठाकुर भी 3.4 प्रतिशत के साथ अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज किये थे, दोनों निर्दलीय प्रत्याशियों की खास बात यह रही कि ये दोनों ल ने राष्ट्रीय पार्टी के वोट के समीकरण को तो बिगाड़ा ही साथ ही साथ सभी पोलिंग बूथों में वोट प्राप्त कर यह भी बता दिया कि इनकी पहुंच विधानसभा के हर बूथ तक है।