रायगढ़। विधानसभा चुनाव के बाद भी जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की रफ्तार काफी धीमी है। आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान 1 नवंबर से प्रदेश के सभी जिलों में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी प्रारंभ कर दी गई थी। लेकिन चुनाव परिणाम आने तक रायगढ़ जिले के ज्यादातर उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी की बोहनी नहीं हो पाई थी। जिससे माना जा रहा था कि दिसंबर महीने के दूसरे सप्ताह से खरीदी केन्द्रों में धान की आवक बढ़ सकती है।
हालांकि खरीदी शुरू होने के 46 दिन गुजर जाने के बाद भी जिले में महज 69 हजार 222 मिट्रिक टन धान की खरीदी हो पाई है। जबकि इस सीजन में 5 लाख मिट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित है। किन कारणों से धान की आवक खरीदी केन्द्रों में नहीं बढ़ पा रही है? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। सिर्फ उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों खरीदी केन्द्रों में धान की आवक बढ़ सकती है। रायगढ़ जिले में इस साल धान खरीदी की रफ्तार फिलहाल काफी धीमी है। बीते 1 नवंबर से जिले के सभी 105 केन्द्रों में धान खरीदी करने की तैयारी कर ली गई थी।
लेकिन बीते 21 नवंबर तक जिले के सिर्फ 20 उपार्जन केन्द्रों में ही धान खरीदी की बोहनी हो पाई थी। जहां सिर्फ 1100 मिट्रिक टन धान खरीदी की जा सकी थी। अब धान खरीदी शुरू होने के 46 दिन गुजर जाने के बाद 69 हजार 222.04 मिट्रिक टन धान की खरीदी की जा सकी है। खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक 11789 किसानों के धान खरीदे गए हैं। धान खरीदी के साथ ही समर्थन मूल्य के पुराने दर के अनुसार राशि का भुगतान भी किया जा रहा है। इस तरह रायगढ़ जिले में समर्थन मूल्य पर इस सीजन में धान बेचने वाले 10572 किसानों को राशि का भुगतान भी किया जा चुका है। इसके अलावा धान का स्टॉक खरीदी केन्द्रों में ज्यादा ना लगे इसके लिए उठाव का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। बताया गया है कि अब तक की स्थिति में उपार्जन केन्द्रों से 36308 मिट्रिक टन धान का उठाव भी किया जा चुका है। खाद्य विभाग के अधिकारीयों का यह भी कहना है कि धान खरीदी के लिए सभी उपार्जन केन्द्रों में बारदाना के पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है। हालांकि उपार्जन केन्द्रों में धान के आवक की रफ्तार काफी कम होने को लेकर विभागीय अधिकारी कुछ भी कहने से गुरेज कर रहे हैं। लेकिन माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में धान खरीदी का 2 साल का बकाया की बोनस राशि, समर्थन मूल्य की दर 31 सौ रूपये प्रति क्विंटल और धान खरीदी का एक मुस्त बोनस भुगतान किए जाने की घोषणा भाजपा द्वारा की गई थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश की विष्णु देव सरकार बकाया बोनस राशि का भुगतान 25 दिसंबर को किसानों के खाते में डालने का निर्णय भी ले लिया है। उसके बाद भी किसान धान खरीदी केन्द्रों तक धान लेकर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसका क्या कारण है इसे लेकर फिलहाल कोई कुछ नहीं बोल रहा है। बताया जाता है की खरीदी केन्द्रों में पुराने पर पर खरीदी होने की वजह से किसान सरकार के नए आदेश के इंतजार कर रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी पुराने दर पर ही फिलहाल धान खरीदी की बात स्वीकार रहे हैं, माना जा रहा है कि जब तक कोई नया आदेश नहीं आ जाता तब तक पुराने दर पर ही धान की खरीदी की जाएगी।
धान की कटाई 70 फ़ीसदी पूरी
रायगढ़ जिले की ज्यादातर क्षेत्रों में धान की ज्यादा अवधि वाले किस्मों की पैदावार की जाती है। जिससे इस बार भी धान की फसल पूरी तरह से पक नहीं पाई थी, उसके साथ ही बारिश की भी स्थिति बनी रही। जिससे जिले के ज्यादातर क्षेत्रों में धान की पूरी तरह से कटाई और मिसाई का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। जिससे किसान धान बेचने के लिए पूरी तैयारी नहीं कर पाए हैं। उपार्जन केन्द्रों में धान की आवक कम होने को इसे भी एक कारण माना जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में 70 प्रतिशत धान फसल की कटाई पूर्ण हो चुकी है। आने वाले एक दो सप्ताह में कटाई और मिसाई संपूर्ण रूप से पूरी कर ली जाएगी।
नहीं आया नया आदेश, पुराने दर पर खरीदी
सहकारी समितियों से जुड़े लोगों का कहना है कि आने वाले दिनों में धान की आवाज बढ़ जाएगी। बताया जाता है की नई सरकार के गठन का किसान इंतजार कर रहे थे, नई सरकार बनने के साथ धान की आवक पहले के मुकाबले बढ़ी है। बताया जाता है कि पुराने एमएसपी से मौजूदा दौर में धान की खरीदी की जा रही है। अब तक नई दर से खरीदी करने का आदेश नहीं आया है। जिससे किसान पशोपेश की स्थिति में हैं, कि पुराने दर पर यदि धान बेचे तो इस सीजन में नया दर लागू होने पर उन्हें किसी तरह का नुकसान तो न हो जाए। हालांकि सहकारी समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि नया आदेश आने पर इस सीजन में सभी किसानों पर लागू होगा। बताया जाता है कि इसी पशोपेश में किसान नए आदेश के आने का इंतजार कर रहे हैं।