रायगढ़। विधानसभा चुनाव की मतगणना 3 दिसंबर को होगी। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की जशपुर रायगढ़ की 7 सीट और सारंगढ़ बिलागढ़ जिले की सारंगढ़ विधानसभा क्षेत्र की सीट के रिजल्ट को लेकर अलग-अलग कयास लगाये जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद भाजपा पहली बार प्रदेश की सत्ता में आई और लगातार 15 साल सरकार में रही। बीते 2018 के चुनाव में भाजपा को प्रदेश की जनता ने नकार दिया और कांग्रेस अप्रत्याशित बहुमत के साथ सत्ता में आ गई। अब 2023 के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सत्ता में वापसी का दावा कर रहे हैं। सभी राज्यों में मतदान संपन्न होने के साथ एग्जिट पोल भी आने शुरू हो गए हैं। जिससे मतदाताओं को अब वास्तविक परिणाम के आने का बेसब्री से इंतजार है। हालांकि मतगणना के लिए अब सिर्फ एक दिन शेष है। जिससे लोगों में उत्सुकता और बढ़ती जा रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो हर चुनाव में मतदाताओं में जिस तरह जागरूकता सामने आ रही है उसे यह अनुमान लगा पाना बेहद मुश्किल हो रहा है कि मतदाताओं का अंतिम निर्णय क्या रहा। हालांकि मतदान के दौरान सामने आए रुझानों को लेकर अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में चुनाव परिणाम को लेकर अटकलें लगाई जा रही है। इसे सिर्फ अनुमान ही कहा जा सकता है, वास्तविक परिणाम तो 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही सामने आएंगे।
रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 8 सीटों की बात करें तो इस चुनाव में लगभग सभी सीटों पर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा। कुछ सीटों पर तो मुकाबला कांटे की है, लेकिन कुछ सीटों पर मतदाताओं का रुझान साफ नजर आया। इस स्थिति में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की आठों सीट पर भाजपा और कांग्रेस के संभावित आंकड़ों को लेकर चर्चाएं हो रही है। बताया जाता है कि जशपुर जिले की जशपुर, कुनकुरी और पत्थलगांव सीट के परिणामों को लेकर जिस तरह की कयास लगाये जा रहे हैं। उससे लगता है कि भाजपा के हिस्से में दो सीट और कांग्रेस के खाते में एक सीट जा सकती है। वहीं सारंगढ़ सीट पर भी कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहने की अटकलें लगाई जा रही है। रायगढ़ जिले के चारों सीटों की बात करें तो यहां कांग्रेस और भाजपा बराबरी पर रह सकते हैं। इस तरह से रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 8 सीटों में से भाजपा और कांग्रेस के बराबरी पर रहने की बात सामने आ रही है। जिससे यह चर्चा है कि रायगढ़ जिले की दो सीट पर भाजपा और दो सीट पर कांग्रेस जीत दर्ज कर सकती है। वहीं जशपुर जिले की दो सीट बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस के जीतने के कयास लगाये जा रहे हैं। जबकि सारंगढ़ सीट कांग्रेस के कब्जे में एक बार फिर रह सकती है। राजनीति के जानकारों की माने तो मतदान के बाद जिस तरह की चर्चाएं सामने आ रही है। उससे इसी तरह के रुझान फिलहाल सामने आ रहे हैं। हालांकि मतदान को लेकर आम मतदाताओं में जिस तरह का रुझान दिखा उसके अलग-अलग मायने भी निकाले जा रहे हैं। बताया जाता है कि रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की आठों सीट पर चुनाव बेहद दिलचस्प रहा। मतदाताओं ने अंत तक अपने पत्ते नहीं खोले, जिसे सिर्फ अब भी अटकलें ही लगाई जा रही है। वास्तविक परिणाम बेहद चौंकाने वाले आ सकते हैं, इसकी भी बहुत ज्यादा संभावना है। हालांकि मतगणना के बाद ही इन आठों सीटों की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
रायगढ़ में बढ़ेगा जीत का अंतर
रायगढ़ जिला मुख्यालय की सीट को लेकर पूरे चुनाव में चर्चा सुर्खियों में रही। रायगढ़ सीट पर भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व आईएएस ओपी चौधरी की मौजूदगी से यह सीट हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। जिससे इस सीट की चर्चा छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में भी है। बताया जाता है कि पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को लेकर चुनाव के दौरान लोगों में रुझान जिस तरह से सामने आए उससे इस सीट पर भाजपा को काफी बड़ी बढ़त मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। भाजपा की ओर से रायगढ़ सीट पर 30 हजार से अधिक बढ़त मिलने का दावा किया जा रहा है। जबकि कांग्रेस 10 हजार लीड मिलने के साथ रायगढ़ सीट पर कब्जा बरकरार रखने का दावा कर रही है। हालांकि बीते चुनाव पर गौर करें तो 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक को महज 36 प्रतिशत मत मिले थे। जबकि भाजपा प्रत्याशी रोशन लाल 28प्रतिशत मत के साथ दूसरे स्थान पर और निर्दलीय विजय अग्रवाल 22 प्रतिशत मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे। इस बार भाजपा के मत प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। जिससे इस बार भाजपा की बढ़त अधिक होने की पूरी संभावना बनी हुई है। इसी तरह 2013 के चुनाव की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी रोशन लाल को जहां 51.94 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं कांग्रेस के सक्राजित नायक को महज 40 प्रतिशत मत से ही संतोष करना पड़ा था। दोनों चुनाव में जीत के अंतर पर गौर करें तो पता चलता है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस के प्रकाश नायक को 14580 वोट के अंतर से जीत मिली थी। जबकि 2013 के चुनाव में भाजपा के रोशन लाल ने 20592 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इस बार मतों के अंतर का रिकॉर्ड टूटने की संभावना दिख रही है। जिस तरह से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में युवा और महिला मतदाताओं में भाजपा को लेकर रुझान दिखा, उससे इस बार लीड का आंकड़ा पिछले चुनाव से काफी चौकाने वाला रह सकता है।
धरमजयगढ़, खरसिया और लैलूंगा किसकी झोली में?
रायगढ़ जिले के रायगढ़ सीट के अलावा खरसिया सीट के चुनाव परिणाम को लेकर इस बार भी बेहद दिलचस्पी है। 2018 के चुनाव में खरसिया सीट से ओपी चौधरी भाजपा प्रत्याशी रहे और कांग्रेस के उमेश पटेल ने 16642 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस बार भाजपा ने महेश साहू को प्रत्याशी बनाया है। जिससे इस बार के परिणाम को लेकर खासी दिलचस्पी है कि साहू समाज से आने वाले महेश साहू की स्थिति क्या रहेगी? बताया जाता है कि भाजपा ने खरसिया और धरमजयगढ़ सीट के लिए सबसे पहले प्रत्याशी घोषित कर दिया था। जिससे खरसिया सीट पर भाजपा को जनसंपर्क करने के लिए लंबा वक्त मिला। इस स्थिति में भाजपा प्रत्याशी की स्थिति को कमजोर नहीं आंका जा सकता है। यहां कांटे की टक्कर बताई जा रही है। उधर धरमजयगढ़ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी लालजीत सिंह राठिया को भाजपा प्रत्याशी हरिश्चंद्र राठिया कड़ी टक्कर देते हुए माने जा रहे हैं। 2018 के चुनाव में लालजीत सिंह राठिया ने भाजपा प्रत्याशी लीनव राठिया को 24483 मतों के अंतर से पराजित किया था। लेकिन इस बार धरमजयगढ़ सीट में परिस्थितियां बदली हुई मानी जा रही है। जिससे भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बेहद नजदीक का होता नजर आया। जिससे परिणाम भी काफी नजदीकी हो सकता है। इस बार कांग्रेस के लालजीत सिंह का कड़ा मुकाबला भाजपा के हरिश्चंद्र राठिया से है। चुनाव के दौरान धरमजयगढ़ सीट पर युवाओं ने स्थानीय विधायक के विरोध में जिस तरह से विरोधी तेवर नजर आए उससे परिणाम में परिवर्तन की स्थिति बन सकती है। उधर लैलूंगा सीट पर इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच दिलचस्प मुकाबला रहा। हालांकि 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सत्यानंद राठिया को पराजय का मुंह देखना पड़ा था। लेकिन 2013 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनीति राठिया ने कांग्रेस प्रत्याशी हृदयराम राठिया को 14201 मतों के अंतर से पराजित किया था। खास बात यह है कि इस बार सुनीति सत्यानंद राठिया फिर से चुनावी मैदान में है। उसका मुकाबला कांग्रेस की विद्यावती सिदार से है। बताया जाता है कि इस बार चुनाव कांटे का रहा। जिससे मतदान के बाद रिजल्ट को लेकर बेहद पशोपेश की स्थिति है। अब मतगणना के दिन ही वास्तविक स्थिति सामने आएगी, तब तक तो इंतजार करना ही पड़ेगा।