रायगढ़। छत्तीसगढ़ सरकार के महत्वाकाक्षी सिटी बस योजना पर पूरी तरह से पलीता लग गया है। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत प्रदेश के करीब 70 शहरों को सिटी बस सेवा से जोडऩे की योजना बनाई गई थी। रायगढ़ जिला मुख्यालय में सिटी बस योजना के अंतर्गत करीब 40 लाख की लागत से बस डिपो का निर्माण कराया गया था। इसके साथ ही रायगढ़ जिले के लिए 24 सिटी बसों को मंजूरी दी गई थी। लेकिन मौजूदा दौर में रायगढ़ के पंजरी प्लांट मरीन ड्राइव मार्ग पर निर्मित बस डिपो पूरी तरह कबाड़ खाने में तब्दील हो गया है। इस बस डिपो पर कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार का कारोबार चल रहा है। बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री लोहा, सीमेंट और अन्य चीजों का अंबार लगा है। दूसरी तरफ इन दिनों गिने-चुने मार्ग पर सिटी बस चल रही है। इस तरह छत्तीसगढ़ सरकार कि यह योजना पूरी तरह ठप होने के कगार पर है। बताया जाता है कि निगम प्रशासन को बसों के संचालन का नोडल बनाया गया है। लेकिन निगम प्रशासन के स्वामित्व वाले बस डिपो पर कंस्ट्रक्शन कंपनी का संचालन सवालों के घेरे में है। रायगढ़ जिला मुख्यालय में सिटी बस योजना के संचालन के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जहां सिटी डापों के निर्माण के लिए 40 लाख को मंजूरी दी थी। बताया जाता है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासनकाल में इस वर्ष डिपो का निर्माण कराया गया। हालांकि निर्माण में कई साल बाद भी इसका लोकार्पण नहीं किया जा सका। बताया जाता है कि बस डिपो के निर्माण से पहले ही रायगढ़ सहित जांजगीर चांपा जिले में सिटी बसों का संचालन शुरू कर दिया गया। इसके लिए 24 बसें में दी गई थी। बसों के संचालन के लिए ऑपरेटर नियुक्त किए गए थे। जिन्हें निर्धारित रूट पर बसों का संचालन करना था। बस डिपो निर्माण नहीं होने के कारण बसों को पुलिस लाइन ग्राउंड से संचालित किया जा रहा था। बस डिपो के निर्माण होते-होते सिटी बस योजना मरणासन्न की स्थिति में पहुंच चुकी थी। जिससे बस डिपो को सिटी वर्षों के संचालक को गंभीरता से नहीं लिया जा सका। मौजूदा दौर में महज आधा दर्जन बसें ही ठीक-ठाक स्थिति में है। बाकी बसें कंडम हालत में पहुंच गई जिससे ज्यादातर रूट पर सिटी बसों का संचालन ठप हो गया। खास बात यह है कि सिटी बस के लिए बनाए गए बस डिपो की हालत भी पूरी तरह से कंडम स्थिति में पहुंच गई है। बस डिपो में बनाए गए सेट जर्जर हो चुके हैं। बसों के मरम्मत एवं रखरखाव की मनसा से निर्मित इस बस डिपो की हालत बद्तर स्थिति में है। दूसरी तरफ इस पर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इस पर डेरा डाल लिया है। बस डिपो के बाउंड्री के भीतर लोहे के साजो सामान पुरानी मशीन सीमेंट के बड़े-बड़े पाइप के ढेर लगे हुए हैं। बस डिपो प्रांगण में कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा बाकायदा निर्माण सामग्री का निर्माण भी कराया जा रहा है। लोहे के छड़ों के निर्माण सामग्री तैयार की जा रही है। बताया जाता है कि नगर निगम के अधीन इस बस डिपो की बद्तर हालत को लेकर कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शिकायत भी की, लेकिन निगम प्रशासन की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी। जिससे बस डिपो का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है।
ज्यादातर वर्षों का संचालन भी ठप
्रछत्तीसगढ़ शासन की सिटी बस योजना को 2015 में मंजूरी मिली थी। बताया जाता है कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी थी। बताया जाता है कि इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ में सिटी बस योजना के संचालन के लिए बड़े शहरों सहित 22 क्लस्टर बनाए गए थे। केंद्र सरकार के द्वारा 222 करोड़ की लागत से 451 सिटी बसों के संचालन की मंजूरी दी गई थी। जिसे रायगढ़ कलस्टर को 24 बसें स्वीकृत की गई थी। रायगढ़ कलस्टर अंतर्गत रायगढ़ शहर से किरोड़ीमल नगर, फसौर और सरिया तक बसों का संचालन शुरू किया गया। बाद में लैलूंगा, तमनार, धमजयगढ़, खरसिया सहित जांजगीर चांपा जिले के डभरा, शक्ति तक बसों का संचालन प्रारंभ हुआ। किंतु मौजूदा दौर में ज्यादातर बसों का संचालन ठप हो चुका है।
निगम को भी बस डिपो की नहीं सुध
्रबस डिपो से सिटी बसों का समुचित रूप से जहां संचालन नहीं हो पाया। वहीं बस डिपो की दुर्दशा की तरफ भी प्रशासन की नजर नहीं पहुंची। बताया जाता है कि कोरोना काल के बाद महज 6-7 सिटी बसों का संचालन शुरू किया गया। परंतु बस ऑपरेटर संचालन नहीं करने में कुछ समय बाद असमर्थता जताने लगे। बसों की कंडम हालत जर्जर सडक़े और यात्रियों की संख्या कम होने के चलते बस ऑपरेटरों ने हाथ खड़े कर दिये। जिससे बसों की रिपेयरिंग के लिए करीब 80 लाख मंजूरी मिलने की बात सामने आई। परंतु बसों की रिपेयरिंग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। बताया जाता है मौजूदा दौर में तीन बसें रिपेयर होकर आई है। जिसका कुछ एक रूट पर संचालन हो रहा है। इसके बावजूद नगर निगम नोडल होने के बाद भी बस डिपो की दुर्दशा को लेकर किसी तरह गंभीर नजर नहीं आ रहा है। जिससे इस बस डिपो के अस्तित्व पर खतरा मुडराता नजर आ रहा है।
40 लाख के बस डिपो पर कंस्ट्रक्शन कंपनी का डेरा
सिटी बसों के संचालक पर भी लगा ग्रहण, डिपो की हालत जर्जर
