रायगढ़। जिला मुख्यालय में नगर निगम प्रशासन के पास कचरों का निपटान करने के लिए कोई सार्थक उपाय नहीं होने का खमियाजा शहर की जनता को भोगना पड़ रहा है। कहने को रायगढ़ शहर के 48 वार्डों में डोर-ट-डोर कचरा कलेक्शन से लेकर गली मोहल्लों से लगातार कचरों का उठाव हो रहा है, लेकिन स्थिति यह है कि उन कचरों को डिस्मेंटल करने का कोई सार्थक व्यवस्था नहीं है। पिछले एक-डेढ़ वर्षों से शहर के ट्रांसपोर्ट नगर के पास खुला में कचरों को डंप किया जा रहा है। जिसकी दुर्गंध और कचरों के ढेर में लगी आग के धुएं क्षेत्र के वाशिंदों के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है। ट्रांसपोर्ट नगर और स्थानीय अंबेडकर आवास के लोगों की इस समस्या का निदान नहीं हो पाना यहां के वाशिंदों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पढऩे की आशंका भी बढ़ती जा रही है। बताया जाता है कि लंबे अरसे से शहर से निकले कचरों का निपटान करने के लिए निगम सरकार के पास कोई प्लानिंग नहीं है। जिससे बड़ी मात्रा में पिछले डेढ़ -दो वर्षों से ट्रांसपोर्ट नगर अमलीभौना क्षेत्र में खुले में डंप किया जा रहा है। जहां करीब 1 किलोमीटर तक के क्षेत्र में कचरों के ढेर पहाड़ का आकार ले चुके हैं। इन कचरों के ढेर से निकलने वाली दुर्गंध से इस क्षेत्र के वाशिंदों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि डेढ़-दो वर्षों से शहर से निकलने वाले कचरों को यहां डंप किया जा रहा है। बताया जाता है कि इससे पहले रामपुर इलाके में कचरा डंपिंग यार्ड बनाया गया था। जिसे ग्रीन एरिया घोषित कर दिया गया जिससे राम रामपुर को छोडक़र ट्रांसपोर्ट नगर अमलीभौना के इस क्षेत्र में कचरा डंप किया जा रहा है। जहां कचरों के ढेर लगे हैं, पास में ही ट्रांसपोर्ट नगर की दुकान और रहवासी क्षेत्र है। जहां के लोगों ने इसकी शिकायत भी निगम प्रशासन से कई बार की है, लेकिन निगम की ओर से कोई पहल नहीं हो पाई। जिससे इस क्षेत्र के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन कई ट्रैक्टर कचरा यहां डंप किया जाता है, लेकिन उसके निपटान की कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे खुले में रखे कचरों के ढेर से बदबू के अलावा तेज हवा से उनके उड़ कर दूर-दूर तक फैलने की आम समस्या से लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया है। यह भी बताया जाता है कि कचरे के ढेर में आग भी लगा दिया जाता है। जिससे समूचा क्षेत्र धुएं के गुब्बार से भरा नजर आता है। कचरों के दुर्गंध और धुएं से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पढऩे की चिंता बढ़ती जा रही है। खास बात यह है कि यह डेढ़-दो वर्षों से यह स्थिति बनी है, लेकिन ढाक के तीन पात की तरह कोई सार्थक पहल नहीं की जा सकी है।
कचरों के ढेर में कबाड़ से रोटी का जुगाड़
कचरों के ढेर में आजीविका के लिए कबाड़ बीनने की यहां होड़ लगी रहती है। जिससे दुर्गंध और कचरों के जलते धुएं की गुब्बार के बीच कबाड़ बीनने वाले रोजी-रोटी की तलाश में सुबह से शाम तक कचरों के ढेर में उपयोगी वस्तुओं को छांटने बीनने में जुटे रहते हैं। बताया जाता है कि कचरों के ढेर में प्लास्टिक के समान लोहे के टुकड़ों के अलावा कबाड़ में बिकने वाले सामानों की तलाश करते नजर आते हैं। अपनी आजीविका चलाने के लिए कबाड़ बीनने वाले इन लोगों की ना तो अपने स्वास्थ्य की चिंता है और ना ही निगम प्रशासन अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की दिशा में गंभीर दिख रहा है। कचरों के ढेर में कबाड़ से रोटी का जुगाड़ करने की उम्मीद में यहां जूटे लोगों के स्वास्थ्य पर कितना विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, इसकी साफ तौर पर अनदेखी यहां देखने को मिलती है।
शहरी गोठान में भी कचरों के ढेर
ट्रांसपोर्ट नगर के इस क्षेत्र में नगर निगम का शहरी गोठान भी बनाया गया है, लेकिन इस बोठान की बदत्तर हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसकी उपयोगिता कितनी रही। इस शहरी बोठान की बाउंड्री के भीतर में गेट के पास कचरों का अंबार लगा है। मेन गेट खुला है अंदर सेटड भी बनाए गए हैं, सेड के आसपास कचरों का अंबार लगा है। जिससे साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि शहरी गोठान कचरा ठौर के रूप में पूरी तरह तब्दील हो गया है। जहां गौ सेवा की मनसा से शहरी बोठान का निर्माण कराया गया, वहां गौ-वंश तो नजर ही नहीं आए कचरों के अंबार अटे पड़े हैं।
मणीकंचन केंद्र के पास कचरों का अंबार
ट्रांसपोर्ट नगर अमलीभौना के इस कचरा डंपिंग यार्ड के पास मणीकंचन केंद्र भी है। इसके आसपास उसके मार्ग के दोनों तरफ कचरों के ढेर लगे हैं। बताया जाता है की डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का रिक्शा से घरेलू कचरों को मणीकंचन केंद्र में लाया जाता है। जहां घरेलू कचरों को अलग कर केंचुआ खाद बनाने की बात कही जाती है। मणीकंचन केंद्र में काम करने वाले लोगों से बाहर पड़े कचरों के ढेर के संबंध में जानकारी ली गई तो उनका साफ कहना था उन्हें पता नहीं। रिक्शा से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन होता है, उसे ही मणीकंचन केंद्र लाया जाता है। खास बात यह है कि शहर से बड़े पैमाने पर निकलने वाले आम कचरों को इस स्थान पर खुले में डंप कर निगम प्रशासन शहर से कचरों की सफाई कर लेने का दावा भले ही कर ले, लेकिन शहर के भीतर कचरा डंपिंग यार्ड में हजारों टन कचरों के ढेर सच्चाई बयान कर रहे हैं।