लैलूंगा। वर्षो पुराने जर्जर पुत्री शाला के नाम से जाने जाने वाली शाला भवन को तोडक़र नवनिर्माण किया जा रहा है जिसके लिए सेठ जयदयाल सिंघानिया के चार्टड़ एकाउंटेंट सुपुत्र ओमप्रकाश सिंघानिया द्वारा जयदयाल फाउंडेशन से शाला भवन के लिए दान स्वरूप लगभग 50 लाख की राशि शासन को दी गयी है। लेकिन नगर पंचायत लैलूंगा में पदस्थ इंजीनियर के नवनिर्माणाधिन भवन का नक्शा डिज़ाइन पर विवाद खड़ा हो गया है। शाला भवन का ग्राउंड लेबल सडक़ लेबल के बराबर बनाये जाने से जल भराव की संभावना से नकारा नही जा सकता।ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के द्वारा प्राकलन के अनुसार वर्तमान में नगर के अनेक शाला भवन का निर्माण किया जा रहा है जिसमे शाला भवन का ग्राउंड लेबल 2-3 फ़ीट ऊंचा रखा गया है। लेकिन नगर में निजी अनुदान से निर्मित होने वाली पुत्री शाला भवन का ग्राउंड लेबल सडक़ के लेबल के बराबर करा दिया गया है।
विगत दिवस निरीक्षण में रायपुर से आये सिंघानिया जी ने बताया कि सेठ जयदयाल फाउंडेशन के द्वारा स्कूल निर्माण के लिए नगर पंचायत लैलूंगा को लगभग 40 लाख की राशि दी जा चुकी है। कन्या स्कूल का निर्माण बेहद स्तरहीन कराया जा रहा है ग्राउंड लेबल को सडक़ लेबल के बराबर रखने का कारण समझ से बाहर है। नगर पंचायत लैलूंगा के इंजीनियर से जब जानकारी ली गयी तो चूक होना स्वीकार किया गया है। कम से कम डेढ़ फीट ऊपर होना चाहिए था।मेरे द्वारा नगर में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा निर्माणाधीन स्कूलों का भी निरीक्षण किया गया तो वहां स्कूल का लेबल 2 फ़ीट तक ऊंचा बनाया गया है जबकि नगरीय निकाय होते हुए भी नगर में बिना सोच समझ के कार्य कराया गया है। सामाजिक कल्याण के लिए बने ट्रस्ट की राशि से ऐसा निर्माण आहत करने वाला है जिसमे हवा चलने पर स्कूल में धूल भरेगी एवं बारिश होने पर जल भराव होगा।साथ ही जंतु जानवर भी सडक़ लेबल होने से स्कूल में घुसेंगे।
नगर पंचायत लैलूंगा में हो रही भर्राशाही में यहां पदस्थ इंजीनियर की शह है। बताया जाता है कि सीमेंट कॉन्क्रीट सडक़ के घटिया व स्तरहीन निर्माण का आलम यह है कि 14 वर्ष के नगर पंचायत कार्यकाल में गली में कंही कंही 3-4 बार सीमेंट कॉन्क्रीट सडक़ बनायी जा चुकी है। प्राकलन में कांक्रीट मशाला 30 ग्रेड का बनाया जाना है जिसमे एक सीमेंट एक बालू एवं दो भाग गिट्टी का मिश्रण रहता है लेकिन इंजीनियर की सह पर नगर में यह अनुपात पांच से दस गुना बनाया जा रहा है। यही कारण है कि कॉन्क्रीट सडक़ निर्माण के एक दो वर्ष में ही उखडऩे लगती है। उच्च स्तर के मिश्रण से बनने वाली कॉन्क्रीट सडक़ में बारिस के पानी से ही गिट्टी बाहर आ जाती है। इन सब का कारण नगर पंचायत लैलूंगा में व्यापत कमीशनखोरी को माना जा रहा है जिसमे इंजीनियर व भुगतान अधिकारी द्वारा व्यापक कमीशन की राशि लेने से ठेकेदार घटिया निर्माण के लिए विवश हैं।वर्तमान में नगर पंचायत के विभिन्न वार्ड में सीमेंट कॉन्क्रीट का निर्माण किया जा रहा है। वार्डवासियों के अनुसार पुरानी सीमेंट कॉन्क्रीट सडक़ के ऊपर ही निर्धारित मोटाई से कम की ढलाई कर बनायी जा रही है। जिसके लिए कॉन्क्रीट मिक्सचर भी निर्धारित मात्रा अनुपात से कई गुना कम बनाया जा रहा है। नगर की निर्मित व निर्माणाधीन कॉन्क्रीट सडक़ो की उच्च स्तरीय गुणवत्ता जांच कराए जाने से नगरीय निकाय में व्याप्त शासकीय राशि के बंदरबाट की पोल खुलने की संभावना से नकारा नही जा सकता।
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सेठ जयदयाल फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वारा स्कूल निर्माण के लिए शासन को लगभग 50 की राशि दी जानी है। जिसके लिए 40 लाख दिया जा चुका है।मेरे निरीक्षण से ज्ञात हुआ कि बिना प्लानिंग के स्कूल निर्माण कार्य कराया गया है।जल भराव की स्थिति बनेगी,जो कि आहत कर रहा है कि निजी ट्रस्ट के अनुदान की राशि का दुरूपयोग करना है। चूंकि निर्माण लगभग हो गया है अब निजी इंजीनियरों की सलाह ली जा रही है। जिससे कि जल भराव न हो सके। दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए।
-ओपी सिंघानिया, जयदयाल फाउंडेशन
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शाला भवन के निर्माण में घोर लापरवाही की गयी है। सडक़ लेबल के नीचे बनने से स्कूल में जल भराव होगा। दानदाता के द्वारा परोपकार के लिए दी गयी राशि का दुरुपयोग करने वाले जिम्मेदार अधिकारीयो पर कड़ी कार्यवाही करते हुए वसूली की कार्यवाही होनी चाहिए।
-आदित्य बाजपेयी, पार्षद, वार्ड क्रमांक 13