रायगढ़। इस बार रायगढ़ विधानसभा का चुनाव कई मायनों में बेहद खास माना जा सकता है। औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हो रहे रायगढ़ शहर में नए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की बीते कुछ वर्षों से आवश्यकता महसूस हो रही है। लेकिन लोगों की उम्मीद के अनुरूप रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र के समग्र विकास की परिकल्पना धरातल पर नहीं उतर पाई। जिससे इस बार जहां राजनीतिक दलों ने आम जनता की भावना के अनुरूप डेवलपमेंट का नया विजन अपने-अपने घोषणा पत्र में उल्लेख किया। वहीं आम जनमानस मतदान के बाद इस विजन के अनुरूप डेवलपमेंट की उम्मीद पर चुनावी परिणाम के इंतजार में नजर आ रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद रायगढ़ जिले में बड़े पैमाने पर औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हुई। जिससे रायगढ़ शहर का विस्तार तेजी से होने लगा बसाहट बढऩे के साथ अन्य मूलभूत सुविधाओं के विस्तार की आवश्यकता बढ़ी बताया जाता है कि 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में नई सरकार आने पर रायगढ़ जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र में सडक़ों का विस्तार बिजली पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं के अलावा कई इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट के कार्य शुरू हुई। जिससे रायगढ़ शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के विकास की एक नई शुरुआत सामने आई। उस दौर में किए गए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्य मौजूदा दौर की अनेक जरूरत को पूरा कर रही है। परंतु नित नए विकास की उम्मीद क्षेत्र की जनता को रही है। बीते 20 वर्षों में रायगढ़ शहर का विस्तार चार गुना से अधिक हो चुका है। शहर नगरीय निकाय का स्वरूप भी बदल गया। बढ़ती आबादी के साथ रायगढ़ शहर में नगर निगम का नया स्वरूप सामने आया, वार्डों का विस्तार और उसी तेजी से मूलभूत सुविधाओं के विस्तार की उम्मीद बढ़ी। लेकिन जिस गति से शहरी क्षेत्र में समग्र विकास की परिकल्पना निरूपित की गई उस रूप में उसे धरातल पर उतारने की कोशिश नाकाम ही साबित हुई। शहर में सुसज्जीत और सर्व सुविधायुक्त सब्जीमंडी, व्यवस्थ्ति ट्रांसपोर्ट नगर व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन के लिए समुचित सुविधा का विस्तार नहीं हो पाया। जिसकी लंबे अरसे से रायगढ़ में उम्मीद की जा रही थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन से प्रदेश में नई सरकार आई तो रायगढ़ शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में नए अघोसंरचना विकास की उम्मीद एक बार फिर बढ़ी, लेकिन रायगढ़ क्षेत्र के समग्र विकास की आस पूरी नहीं हो सकी। जिससे इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले ही शहरी क्षेत्र की जनता के सामने विकास के नए विजन तैरने लगे थे। बताया जाता है कि समय के साथ विकास की नई संभावनाएं तलाश आम जनता के मनोभावों को समझते हुए चुनावी घोषणा पत्र में राजनीतिक दलों ने उल्लेख भी किया। माना जा रहा है कि रायगढ़ शहरी क्षेत्र में विकास के नए विजन को लेकर युवाओं, महिलाओं सहित सर्वहारा वर्ग में गजब का उत्साह भी नजर आया। रायगढ़ नगर निगम क्षेत्र के 48 वार्डों में शहरी मतदाताओं ने इसी विजन को लेकर ईवीएम का बटन दबाया। जाहिर है कि क्षेत्र के समग्र विकास की उस परिकल्पना को धरातल पर उतारने के लिए एक बेहतर नेतृत्व की जरूरत होती है। ऐसा नहीं कि बीते कई वर्षों में नेतृत्व विहीन रहा, लेकिन यह तो माना जा सकता है कि जनभावना के अनुरूप विकास की नई गाथा नहीं लिखी जा सकी। मेडिकल कॉलेज की स्थापना की आधारशिला रखे जाने के कई वर्षों बाद उसका संचालन सीमित सुविधाओं के साथ होना नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल तो उठाता ही है। सडक़ों का विकास आवागमन की समुचित व्यवस्था के लिए जीतना जरूरी है उतना ही ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रित करने की बेहतर उपाय भी जरूरी है। मल्टी स्टोरी पार्किंग की सुविधा नहीं हो पाना रायगढ़ के ट्रैफिक व्यवस्था पर एक बदनुमा दाग की तरह माना जा रहा है। इस चुनाव में राजनीतिक गलियारों में मुद्दे बाहरी भीतरी का चला, लेकिन मतदान में जनता ने अपने मुद्दों पर निर्णय लिया। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सडक़, बिजली, पानी, सिंचाई साधन, महिलाओं के उत्थान, खेलों का विकास, तकनीकी शिक्षा जैसे कई मुद्दे सीधे जनता से जुड़े मुद्दे होते हैं। इस दृष्टि से 2023 का विधानसभा चुनाव रायगढ़ क्षेत्र के लिए बेहद खास रहा। अपनी उम्मीदों के विकास की राह चुनने की चुनौती जनता पर रही अब मतदान के बाद जनता अपनी उम्मीदों पर धरातल पर उतारने की आस में परिणाम आने का बाट जोहजी नजर आ रही है।
नेतृत्व को लेकर जनता में विश्वास
इस चुनाव में रायगढ़ शहरी क्षेत्र की जनता को विकास के नए सपने दिखाए गए। उन सपनों को साकार करने का काम सरकार कर सकती है। रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व किसके हाथों में होगा और प्रदेश में नई सरकार की तस्वीर क्या होगी। इसे लेकर आम जनता में कौतूहल की स्थिति है। हालांकि आम जनता यह भी कहने में गुरेज नहीं कर रही है। कि रायगढ़ का नेतृत्व कौन करेगा इस पर निर्णय तो लिया जा चुका है। मतगणना के दिन नेतृत्व सामने आ जाएगा उसी के साथ नई सरकार का स्वरूप भी स्पष्ट हो पाएगा। परंतु विकास की नई उम्मीद बरकरार रहेगी। नई सरकार से उस उम्मीद को पूरा करने की होगी। और नेतृत्व उस दिशा में सजक प्रहरी की तरह आम जनमानस के सपनों को साकार करने कदम बढ़ाएगी। मतदान के बाद इस तरह की उम्मीद हर आंखों में तैरती देखी जा सकती है। यही लोकतंत्र को लेकर आस्था और विश्वास आम जनता में हमेशा की तरह कायम है। जनता को विश्वास है कि जनादेश ऐसा ही होगा।
घोषणा पत्र में किए गए दावे
इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के अलावा निर्दलीयों ने भी रायगढ़ के विकास का नया विजन अपने घोषणा पत्र में उजागर किया। अब रायगढ़ की जनता ने किसके विजन को सकारात्मक मानकर निर्णय लिया यह ईवीएम में कैद है। रायगढ़ शहर के अलग-अलग वार्डों में लोगों से बात करने पर यह जानकारी सामने आई कि आमजन की समस्या और उसके निदान के मुद्दे इस चुनाव में अहम रहे। लोगों का कहना है कि रायगढ़ शहरी क्षेत्र के विकास की बातें हर चुनाव में होती है, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सकता। लोग कहते हैं कि जिला मुख्यालय में अब तक दैनिक सब्जीमंडी का जीर्णोद्धार नहीं हो सका, जिला चिकित्सालय में चिकित्सा सुविधाओं का टोटा है। बिजली की कटौती जारी है, शहर में पीने के पानी की समुचित सप्लाई में दिक्कतें हैं। शहर में सफाई व्यवस्था सुचारू नहीं है। निगम सरकार लाख दावा करती है, लेकिन वर्डों में कचरों का ढेर आम बात है। बजबजाती नालियां, गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाना अलग-अलग वार्डों में अपनी दुर्दशा बयां करते हैं। सडक़ों पर बढ़ता ट्रैफिक दबाव और जर्जर होती सडक़े शहर में धूल का गुब्बार फैलाते हैं, इसकी चिंता भी सरकार और नेतृत्व को करना होता है लेकिन ऐसा नहीं हो पता है।
जनादेश से सामने आएगा रायगढ़ के विकास का ‘नया विजन’
चुनाव में राजनीतिक दलों ने किए विकास के वादे, मतदान के बाद परिणाम को लेकर कौतूहल, किसके हाथों में रायगढ़ का नेतृत्व
