खरसिया। धार्मिक नगरी खरसिया में छठ पूजा का पर्व धूमधाम और उल्लास से मनाया जा रहा है खरसिया नगर में बिहार उत्तर प्रदेश और झारखंड के निवासियों की अच्छी खासी तादाद है जो कि अपने सबसे बड़े पर्व छठ पूजा को धूमधाम से मनाते हैं, खरसिया नगर अपने धार्मिक आयोजनों के लिए माना जाता है और नगर में सभी लोगों की पूजा और आस्था का बराबर सम्मान किया जाता हैं खरसिया शहर में हरियाणा के अग्रवाल एवं विप्र समाज की तादाद ज्यादा है एवं पिछले कुछ वर्षों से वह भी उत्तर भारतीयों के साथ मिलकर छठ पूजा के आयोजनों और पूजा में बढ़-चढक़र हिस्सा लेता है। समाज की महिलाएं भी व्रत रखती हैं और छठ पूजा के सभी नियमों का विधि विधान से पालन करती हैं। जिससे खरसिया का सामाजिक सौहार्द देखते ही बनता है। साथ ही छठ पूजा का कार्यक्रम विशाल और भव्य हो जाता है। बताते चलें कि ‘छठ’ हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है इस व्रत को संतान की लंबी आयु, पति के स्वस्थ जीवन और घर-परिवार के सुख-सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। चार दिवसीय छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है आज रविवार, 19 नवंबर 2023 छठ व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दे रहे हैं जिसे संध्या अध्र्य कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, लोकआस्था का महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल छठ पर्व 17-20 नवंबर 2023 तक है आज षष्ठी तिथि पर 19 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया और 20 नवंबर को सुबह इस ठंड के मौसम में भी कमर तक पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अध्र्य देते हुए छठ व्रत संपन्न होगा। छठ पर्व पर व्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है और कठोर नियमों का पालन भी करती है, इसलिए छठ को सबसे कठिन व्रतों में एक माना गया है, वैसे तो छठ देशभर में मनाया जाता है, लेकिन विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इसकी धूम देखने को मिलती है। आज छठ व्रत का तीसरा दिन है और संध्या अर्घ्य दिया गया छठ पूजा में सही समय पर ही सूर्य देव को अर्घ्य देने से व्रत का फल मिलता है इसलिए आज सूर्य देव को समय पर ही संध्या अर्घ्य दिया गया।
भगवान सूर्य को अघ्र्य देने मांड नदी के तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
रायगढ़। धरमजयगढ़ के मांड नदी में स्थित डोंगा घाटतट के तट पर आज नगर के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अस्त होने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की. चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सोमवार को व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। लोक आस्था और सू्र्य उपासना के पर्व चैती छठ महापर्व के अवसर पर रविवार की शाम डूबते भगवान सूरज को नदियों के किनारे जल चढ़ाया गया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे.आपको बता दे चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सोमवार को व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। इसके पहले व्रतियों ने भगवान भास्कर की अराधना की और खरना किया था. खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया. पर्व के चैथे और अंतिम दिन यानी सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा. इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करेंगे. हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है. इस दौरान व्रती भगवान भास्कर की अराधना करते हैं।