धरमजयगढ़। क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों पर निजी कंपनियों के वर्चस्व स्थापित होने के कई उदाहरण सामने आते रहते हैं। वहीं हद तब हो जाती है जब निजी स्वार्थ के लिए नियम कानूनों को जानबूझकर अनदेखा किया जाता है। यह भी कि प्रशासन द्वारा जारी किसी भी आदेश के पालन की जिम्मेदारी तय होने के बावजूद उन निर्धारित नियमों की अवहेलना इसलिए संभव हो पाती है क्योंकि मामले से जुड़े दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच होने वाले अनिवार्य विभागीय संवाद को गंभीर रूप से नजरअंदाज किया जाता है। इस तरह दोनों विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों के मध्य अविश्वसनीय विभागीय संवादहीनता की स्थिति पर सहज विश्वास नहीं किया जा सकता है। अलावा इसके जब बात पर्यावरण संरक्षण और आदिवासियों के हितों की आती है तब मामला और संगीन हो जाता है।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र अंतर्गत सेमीपाली क्षेत्र में दिलीप बिल्डकॉन नामक एक प्राइवेट कंपनी का पत्थर खदान प्रस्तावित है। जिसमें क्षेत्र के 4 किसानों की लगभग 4 हेक्टेयर से अधिक निजी जमीन की मांग संबंधित कंपनी द्वारा की गई है। फिलहाल इस पत्थर खदान की स्वीकृति मिलने के संबंध में कोई भी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। गौरतलब है कि इस खदान के लिए मांगे गए जमीनों पर करीब 5 सौ से अधिक पेड़ हैं। फारेस्ट विभाग के अधिकारी ने भी उपस्थित पेड़ों की संख्या की पुष्टि की है। अब उसी जमीनों पर स्थित पेड़ो को काटने के लिए आदेश जारी किए गए हैं और क्षेत्र में पेड़ो की कटाई शुरू भी हो गई है।
अप्रत्याशित रूप से पेड़ की कटाई के लिए केवल प्रभावित किसानों ने ही आवेदन किया है जिस पर चारों किसानों को 10 या उससे कम पेड़ काटने की अनुमति दी गई है। राजस्व विभाग व वन विभाग के संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर पेड़ों को काटने की सशर्त अनुमति आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में निर्धारित नियमों के पालन की जिम्मेदारी आवेदक को दी गई है। वन विभाग से जुड़े तमाम आवश्यक शर्तों के पालन की जिम्मेवारी सिर्फ संबंधित किसान को सौंपा जाना उन नियमों के पालन की सुनिश्चितता पर कई सवाल खड़े करता है।
इसके अलावा इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि पत्थर खदान के लिए जिन 4 लोगों की जमीनों को डीबीएल कंपनी को आबंटित करने की प्रक्रिया चल रही है उसी जमीन पर लगे फलदार और कीमती इमारती वृक्षों की कटाई के लिए किसानों के द्वारा आवेदन किया जाता है। जिसके बाद राजस्व व वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के प्रतिवेदन के आधार पर उन किसानों को पेड़ काटने की अनुमति सिर्फ इस आधार पर दी जाती है कि वे पेड़ परिपक्व हो गए हैं।
बता दें कि इस पूरे मामले में पत्थर खदान के लिए प्रस्तावित जमीनों पर लगे करीब 37 पेड़ों की कटाई की अनुमति और उसी जमीनों पर डीबीएल के पत्थर खदान का पहले से प्रस्तावित होना कई सवाल खड़े कर रहा है। एक बार फिर बता दें कि प्रस्तावित क्षेत्र में 5 सौ से अधिक पेड़ों की गणना की गई है। इस मामले पर आगामी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा करेंगे कि नियमों की बखिया उधेड़ते हुए किस तरह यह पूरा तंत्र काम कर रहा है और भारतमाला प्रोजेक्ट से जुड़े काम के लिए दिलीप बिल्डकॉन नामक कंपनी के इस प्रस्तावित खदान क्षेत्र में प्रभावित किसानों द्वारा पेड़ों की कटाई की अनुमति लिए जाने के पीछे की पूरी सच्चाई क्या है। इस मामले पर धरमजयगढ़ डीएफओ से उनका पक्ष रखने के लिए संपर्क किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।