रायगढ़। एक बेकाबू ट्रेलर बीती रात बिजली के खंभे को तोड़ते हुए घर की बाड़ी में जा घुसा। मामला घरघोड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम देवगढ़ की है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार बुधवार की रात्रि तकरीबन 02 बजे की बतायी जा रही है, जिस वक्त यह घटना घटी उस वक्त घर के सारे लोग सो रहे थे। दुर्घटना के बाद कानों में तेज आवाज पड़ी तो परिवार के लोग हड़बड़ा कर उठ पड़े और किसी अनहोनी के अंदेशे से बाहर निकल कर देखे तो एक ट्रेलर घर की बाड़ी में घुसा हुआ मिला। यह दृश्य देखकर परिवार के लोग पूरी तरह से सहम गये क्योंकि घटना इतनी भयानक है कि मानो बाल-बाल उनकी जान बची और एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। ऐसा मालूम होता है कि घटना कारित ट्रेलर कहीं किसी जगह से कोयला अनलोड कर घरघोड़ा से तमनार की ओर जा रहा था और चालक के द्वारा तेज रफ्तार पूर्वक वाहन चालन की वजह से नियंत्रण खो बैठा और बेकाबू वाहन अनियंत्रित होकर विद्युत खम्भे से टकराते हुए अन्यत्र घुस गया। घटना के बाद वाहन चालक मौके से फरार हो गया। जिसके घर की बाड़ी में वाहन घुसा उसका नाम सुधा बाई सिदार बताया जा रहा है। फिलहाल इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। जहां पर यह घटना घटी वहां सुधा बाई सिदार के घर के अलावा अगल-बगल और भी कई मकान हैं इसलिए इस हादसे से वहां के काफी लोग दहशत में हैं। लोगों ने बताया कि ग्राम देवगढ़ में इस तरह की घटना और कई बार से घटित हो चुकी है जिसमें कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है।
घरघोड़ा से तमनार रोड प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना की सडक़ है जिसमें भारी वाहनों का चालन पूर्णत: वर्जित है, जिसकी क्षमता 12 टन तक के भार सहन करने की होती है, मगर नियमध्कानून को नजरअंदाज करते हुए कुछ तथाकथित ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के द्वारा 35 से 40 टन तक की कोयले से भरी ओव्हरलोड गाडिय़ां चलाई जा रही है। इससे प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना की सडक़ें भी खराब हो रही हैं और इन सडक़ों के किनारों में बसे ग्राम एवं ग्रामवासियों के लिए हर समय खतरा भी बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि उक्त भारी वाहनों पर रोक लगाने हेतु शासन प्रशासन से कई बार शिकायत की जा चुकी है और इस संबंध में कई बार धरना प्रदर्शन और आंदोलन भी किया जा चुका है मगर आज तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई ठोस नहीं हो पायी है जिससे कि उक्त समस्या से निजात मिल सके। उनका कहना है कि मना करने पर गाड़ी वाले नहीं मानते और दिन में तो कुछ गाडिय़ां चलाते हैं मगर रात के अंधेरे में ज्यादातर ओव्हरलोड की गाडिय़ां चलाई जाती है।