रायगढ़। जिले के सबसे बड़े मेडिकल कालेज अस्पताल के शुरू हुए करीब डेढ़ साल हो गया, लेकिन अभी तक यहां बर्न यूनिट शुरू हो सका है। जिससे आग से झुलसे मरीजों को आज भी सुविधा विहिन जिला अस्पताल के बर्न यूनिट में उपचार कराने की मजबूरी बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि जिले में मेडिकल कालेज अस्पताल शुरू होने के बाद जिलेवासियों को यह उम्मीद थी कि अब रायगढ़ जिला के साथ-साथ पड़ोसी राज्य ओडिशा के मरीजों को भी एक ही छत के नीचे स्वास्थ्य से जुड़ी सभी सुविधाएं मुहैया हो जाएगी, लेकिन इस अस्पताल शुरू होने के डेढ़ साल बाद भी सुविधाओं में कुछ खास बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई है। जिससे बेहतर उपचार के लालसा लेकर आने वाले मरीजों व परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही मेडिकल कालेज अस्पताल नए भवन में शिफ्ट होने के बाद यहां बर्न यूनिट सहित अन्य कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं शुरू होने वाली थी, जिसके लिए भवन भी तैयार किया गया, लेकिन डेढ़ साल बित जाने के बाद भी अभी तक न तो यहां कर्मचारियों की संख्या में इजाफा हो सका और न ही आवश्यक सामानों की पूर्ति हो सकी है। जिसके चलते जिले के मरीजों को आज भी सुविधाविहिन जिला अस्पताल के जर्जर व्यवस्थाओं के बीच उपचार कराने की मजबूरी बनी हुई है। वहीं ठंड व गर्मी के दिनों में जिले से बर्न के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। जिससे सबसे पहले लोगों के जुबान पर मेडिकल कालेज ही आता है, लेकिन जैसे ही मरीज वहां पहुंचते हैं तो सुविधा नहीं होने का हवाला देते हुए उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर किया जाता है, जिससे यहां भर्ती तो किया जाता है, लेकिन बर्न के मरीजों को जो सुविधाएं व उपचार मिलनी चाहिए यहां नहीं मिल पाती, जिससे ज्यादा मरीज यहां महिनेभर अस्पताल के बेड़ में पड़े-पड़े दम तोड़ देते हैं। ऐसे में अगर मेकाहारा में बर्न यूनिट शुरू हो जाती है तो रायगढ़ जिला के अलावा अन्य जिले के मरीजों को भी काफी राहत मिलती।
ठंड व गर्मी के दिनों में ज्यादा आते हैं मरीज
उल्लेखनीय है कि ठंड व गर्मी व गर्मी का मौसम शुरू होते ही जिले में बर्न मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है, क्योंकि इस जिले में वनांचल क्षेत्र अधिक होने के कारण ज्यादातर ग्रामीण ठंड से बचने के लिए आग जलाकर सो जाते हैं, इस दौरान आग कपड़े को पकड़ लेता है, जिसके चलते झुलसने का मामला अधिक आता है। लेकिन जिले में मेडिकल कालेज अस्पताल और जिला अस्पताल होने के बावजूद बर्न के मरीजों को जैसी सुविधाएं चाहिए वैसा नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते झुलसने वाले ज्यादातर मरीजों की मौत हो जाती है।
20 बेड का बर्न यूनिट होना है तैयार
इस संबंध में सूत्रों की माने तो मेडिकल कालेज अस्पताल के नए भवन में बर्न यूनिट के लिए 20 बेड का वार्ड तैयार है, लेकिन डेढ़ साल बित जाने के बाद भी अभी तक इसके लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई। ऐसे में अधिकारियों का कहना है कि बर्न यूनिट शुरू करने के लिए तीन से चार डाक्टर चाहिए जिसमें एक प्लास्टिक सर्जन होना अनिर्वाय है। इसके अलावा तीन शिफ्ट में काम करने के लिए करीब 80 नर्स की जरूरत पड़ेगी, इसके साथ ही इस वार्ड के लिए हाई क्वालिटी के बेड व अन्य मशीनरती सामानों की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कई बार मांग भी की जा चुकी है, लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, जिसके चलते बर्न यूनिट का मामला लटका हुआ है।