रायगढ़। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की दूसरी सूची जारी होने के बाद लैलूंगा क्षेत्र से बगावत के सुर मुखर होने की आशंका बन रही है। कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर जिला पंचायत सदस्य सुरेन्द्र सिंह सिदार अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडऩे की तैयारी में है। लैलूंगा सीट से कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने से नाराज़ सुरेन्द्र सिदार अपने समर्थकों से चुनाव की तैयारी करने की बात कह रहे हैं। सुरेन्द्र सिदार का कहना है कि विधायक चक्रधर सिंह सिदार के बाद उसकी प्रबल दावेदारी थी, लेकिन पार्टी ने महिला प्रत्याशी का चयन कर दिया। जिससे क्षेत्र के उनके समर्थकों में काफी नाराजगी है। इस स्थिति में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित लैलूंगा सीट से विधायक चक्रधर सिंह सिदार की टिकट काट कर इस बार महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष विद्यावती सिदार को प्रत्याशी घोषित किया है। इस सीट से भाजपा ने पूर्व विधायक सुनीति राठिया को प्रत्याशी बनाया है। इस स्थिति में कांग्रेस से बगावत कर सुरेन्द्र सिदार के निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरने पर मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार बन सकते हैं। सुरेन्द्र सिदार के बगावती तेवर से कांग्रेस के चुनावी समीकरण पर असर पडऩे की भी आशंका है। अब कांग्रेस डैमेज कंट्रोल के लिए क्या रूख अपनाती है यह देखने वाली बात होगी।
लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र से विगत 15 वर्षों से टिकट की मांग कर रहे कांग्रेसी नेता सुरेंद्र सिंह सिदार ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। ऐसा पहली बार नहीं है, जब उन्होंने टिकट नहीं मिलने से पार्टी के प्रति नाराजगी जताई हे। 2018 मे भी सुरेंद्र सिदार ने अपनी दावेदारी रखी थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था, उस दौरान भी उन्होंने बागी होने की बात कही थी ,लेकिन मान-मनौव्वल के बाद वे मान गए थे, लेकिन इस बार उनकी नाराजगी चरम पर है। फिलहाल ऐसा लगता है कि वे किसी भी स्थिति में मानने को तैयार नहीं हे। नवीन कदम से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि वे अन्य किसी पार्टी से नहीं बल्कि निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
तमनार क्षेत्र पर सबकी नजर
इस चुनाव में लैलूंगा सीट के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल के प्रत्याशी तमनार क्षेत्र से हैं। सुरेन्द्र सिदार भी तमनार क्षेत्र के है। जिससे पूरा फोकस तमनार ब्लाक पर ही होना माना जा रहा है। इसे जातीय समीकरण को साधने की रणनीति भी बताई जा रही है। ऐसे में कांग्रेस से सुरेन्द्र सिदार के बगावती तेवर पर मुकाबला त्रिकोणीय होने के साथ दिलचस्प होने के संकेत मिल रहे हैं।