रायगढ़। कई सरकारें आई और गई केंद्र में भी परिवर्तन हुआ राज्य में भी परिवर्तन हुआ परंतु रायगढ़ को इंसाफ नहीं मिला ,मिला तो सिर्फ आश्वासन और मिले तो केवल कोरे वादे। सन 1998 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने यहां रेलवे कोचिंग टर्मिनल का शिलान्यास किया था। जिसके लिये भूमि भी उपलब्ध हो गयी परंतु यह मांग आज तक लंबित है। 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व भी सभी जनप्रतिनिधियों को छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स रायगढ़ के तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल एवं महामंत्री हीरा मोटवानी के नेतृत्व में चेंबर के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर ज्ञापन के माध्यम से यह मांग रखी थी कि रायगढ़ में हवाई सुविधा के लिए प्रस्तावित एयरपोर्ट और विभिन्न यात्री गाडिय़ों के परिचालन को बल देने के लिए रेलवे कोचिंग टर्मिनल की स्थापना की जावे। उल्लेखनीय है कि चेंबर के आव्हान पर सर्व सामाजिक संगठनों एवं विभिन्न राजनीतिक प्रतिनिधियों ने तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल और महामंत्री मनजीत सिंह टुटेजा के नेतृत्व में आयोजित रेल आंदोलन के दौरान धरने पर बैठ कर इस मांग को बहुत ही प्रमुखता से उठाया था तब केवल दो यात्री गाडिय़ों के स्टॉपेज और गोंडवाना एक्सप्रेस के रायगढ़ से परिचालन की सुविधा प्राप्त हुई। इसके अलावा रेल टर्मिनल के लिए भी शासन की ओर से आश्वासन प्राप्त हुआ था। परंतु बरसों बीत गए रेल टर्मिनल की मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। आदिवासी बाहुल्य इस जिले में जो कि अब औद्योगिक नगरी के रूप में भी विकसित हो चुका है रेल टर्मिनल की स्थापना यहाँ की जरुरत भी है और रायगढ़ की जनता का हक भी है। प्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के रायगढ़ पदाधिकारी हीरा मोटवानी एवं राजेश अग्रवालने अपनी मांग को दोहराते हुए जन प्रतिनिधियों एवं शासन का ध्यान रायगढ़ की इस बहुप्रतीक्षित मांग की ओर आकर्षित किया है।