धरमजयगढ़। क्षेत्र की बात करे तो कांग्रेस के अभेद किला खरसिया के बाद धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र है वन जंगलो से आच्छादित धरमजयगढ़ क्षेत्र में 70 त्न राठिया कवंर समाज के लोग रहते हैं जिनका झुकाव इंदिरा गांधी के समय से कांग्रेस के प्रति अपनी अगाध आस्था रखते है वही धरमजयगढ़ विधानसभा में राठिया समाज ने स्व चनेश राम राठिया के साथ पुत्र लालजीत राठिया के लिए 37 सालों से अपनी निष्ठा प्रकट की है। धरमजयगढ़ के अंतिम छोर कापू धरमजयगढ़ छाल से लेकर घरघोड़ा तक कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है जिसका मुकाबला करना टुकड़े में बंटी भाजपा के लिए आसान दिखाई नही देता है भाजपा ने सिर्फ दो बार ही इस सीट को जीत पायी है।
वही इस बार भाजपा ने नए चेहरे हरिश्चंद्र राठिया पर अपना दाँव लगाया है । धरमजयगढ़ के गनपतपुर के रहने वाले हरिश्चंद्र राठिया पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है वे दो बार से बाकारुमा क्षेत्र से डीडीसी रहे है गौटिया परिवार से तालुकात रखते है नए चेहरे है धर्मजयगढ़ विधानसभा में इन्हें भांजा के नाम से जाना जाता है । पारिवारिक दृष्टिकोण से धरमजयगढ़ क्षेत्र में इनकी मजबूत पकड़ बताई जा रही है परंतु छाल घरघोड़ा क्षेत्र में इनका झंडा उठाने वालो के लाले पड़े हुए है। टिकट वितरण के बाद घरघोड़ा व छाल के टिकट दावेदारों के साथ छाल और घरघोड़ा क्षेत्र के बड़े नेताओं में गुटबाजी चरम पर है जिसका फायदा सीधे तौर पर विधायक लालजीत राठिया को मिलता दिख रहा है।
स्थानीय मुद्दों को उठाने में भाजपा पीछे
घरघोड़ा ब्लाक में भाजपा के जिले से लेकर प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों की भरमार है दुर्भाग्य की बात है ये नेता सिर्फ सोशल मीडिया में ही अपनी सक्रियता दिखाते है इन नेताओं के द्वारा प्रदेश के मुद्दों को उछाल कर स्थानीय मुद्दों को दबाकर स्थानीय विधायक या सत्ता पक्ष के जुड़े जनप्रतिनिधियों को घेरने में कभी भी रुचि नही दिखायी गई है। जिसके कारण स्थानीय स्तर पर भाजपा कमजोर दिखती है देखा जाये तो स्थानीय स्तर में मुद्दे की भरमार है जिन्हें उठाकर विपक्ष कांग्रेस को घेर सकती है अप्रत्यक्ष रूप से मौन रह कर कुछ नेता स सत्ता पक्ष के साथ देकर सत्ता का लाभ उठा रहे हैं।
भाजपा में गुटबाजी को देखते हुये राजनीति विशेषज्ञ हरिश्चंद्र को लालजीत राठिया के सामने कमजोर मान रहे है । परंतु यह बात भी सामने आ रही है ग्रामीण क्षेत्रों में लोगो से यह भी सुना जा रहा है कि इस बार नए चेहरे को भी मौका देना चाहिये ऐसे में देखना होगा कि इस चर्चा को हरिश्चंद्र राठिया और भाजपा वोट में तब्दील कर पाती है या नही ।
विधायक की सबसे बड़ी ताकत छाल ओर घरघोड़ा क्षेत्र है जो विधायक लालजीत राठिया के गृह निवास क्षेत्र का एरिया है जिसे लालजीत का गढ़ कहा जाता है जहाँ से हमेशा से ही वह बढ़त बनाये रहते है पिछले चुनाव में छाल से 8 हजार व घरघोड़ा में लगभग 12 हजार से अधिक वोटों से बढ़त ली थी । ऐसे में देखना होगा कि विधायक लालजीत राठिया के इस अभेद किला को तोडऩे में गुटबाजी में सिमटी हुई भाजपा कितना सफल होती है।