रायगढ़। जिले के तमनार में जल जंगल जमीन को बचाने की मुहिम लगातार जारी है। कोयला खदान के विरोध में कोयला सत्याग्रह का आयोजन किया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर कोयला सत्याग्रह का आयोजन ऊरबा में किया गया। सम्मेलन में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी जमावड़ा हुआ। और किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने की मुहिम की सराहना की गई। सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आंदोलन को और गति देने की बात कही गई।
कार्यक्रम की शुरुवात महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को यादकर की गई। कार्यक्रम के शुरुवात में डॉक्टर प्रियंका डॉक्टर धीरेंद्र पटेल हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ग्रामीणों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना अतुल्य योगदान के लिए विशेष तौर पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया। इसके अलावा गांव और क्षेत्र के सतत विकास का काम करने वालों का सम्मान किया गया।
दरअसल यहां के लगभग 56 गांव के ग्रामीण खनन के लिए किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देना चाहते है। ग्रामीणों में इसे लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने साफ तौर पर कहा कि जल जंगल जमीन सरकार के संसाधन नहीं है इस पर जोर जबरदस्ती नहीं किया जा सकता है। जमीन के नीचे और ऊपर जो भी संसाधन है उस पर अधिकार जनता है। संविधान ने ये अधिकार दिया है। पर्यावरण बचाने का उद्देश्य है भरपूर ऑक्सीजन, अगर ऑक्सीजन नही है तो जीवन संभव नहीं है। जंगल को बचाना है प्राकृतिक संपदा को बचाना है। जंगल में किसान मजदूर बसता है जंगल है तो जीवन है इसे बचाने के लिए आज इस सत्याग्रह का आयोजन किया गया है।
देश के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अशोक श्रीमाली,रवि पंगरहा एमएमपी प्रमुख, सिया दुलारी आदिवासी मध्यप्रदेश, कुसुम आलम ताई, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र मध्यप्रदेश से पहुंचे दिग्गज समाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार पर निशाना साधा। संविधान उन्हें अधिकार देता है कि भूमि पर और अंदर जो कुछ भी है उस पर भू स्वामी का अधिकार है। संघर्ष करने वालों की पेलमा का कोयला सत्याग्रह की बात देश में होती। कोयला सत्याग्रह अब देश में मिसाल बन चुका है। उनके संघर्ष को आगे लेकर जाना है। उन्होंने कहा समुदाय के लोगो का यह कोयला सत्याग्रह में पूरे देश के संघर्षशील साथी आप लोगो के साथ है। यह आदिवासी अस्मिता की लड़ाई है इसके लिए चाहे सरकार प्रशासन कंपनी जिसके खिलाफ जाना पड़े जायेंगे।
कोयला सत्याग्रह में पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा की प्राकृतिक संपदा है उसको बचाने की मुहिम में हम शामिल होने आए हैं और एक जुट होकर इस मुहिम को आगे लेकर जाएंगे। जमीन हमारी है खेती हम करेंगे संपदा हम ही निकालेंगे। सरकार द्वारा सब कुछ कंपनियों को दे दिया जा रहा है लेकिन गांव के अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हम सक्षम है कोयला निकलने के लिए सक्षम है पूरे देश में लोग जानने लगे हैं की छत्तीसगढ़ के तमनार में कोयला सत्याग्रह चल रहा है। उसे देखने समझने के लिए मध्यप्रदेश से भी एक टीम आई है। आयोजित कार्यक्रम में कोयला सत्याग्रह के लोगों ने कहा कि हम सिर्फ खेती करेंगे हमे हमारे पुरखों से जो मिला है उसे हर हाल में बचाना ही हमारा मकसद है।