रायपुर। नान घोटाला केस में सीबीआई ने 3 सीनियर अफसरों पर केस दर्ज किया है। इनमें तत्कालीन स्कूल शिक्षा विभाग सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा शामिल हैं। जांच प्रभावित करने पर केस दर्ज किया है। सीबीआई ने तीनों अफसरों पर सबूतों से छेड़छाड़, गवाहों पर दबाव बनाने के आरोप में स्नढ्ढक्र दर्ज की है। इसके पहले सीबीआई ने शुक्रवार को अनिल टुटेजा के रायपुर निवास के अलावा एक अन्य ठिकाने पर छापेमारी की थी। तलाशी के दौरान कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। सीबीआई ने संकेत दिए हैं कि इस मामले में और नाम जुड़ सकते हैं। साथ ही जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने जांच में बाधा डालने का प्रयास किया, उनकी भूमिका भी जांच के दायरे में है। सीबीआई की टीम ईओडब्लू में दर्ज केस अपने हाथ में लेकर नए सिरे से जांच कर रही है।
सीबीआई के मुताबिक, अफसरों ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग किया। एनएएन (नागरिक आपूर्ति निगम) मामले में ईडी और ईओडबलू/एसीबी की कार्रवाई को प्रभावित करने की कोशिश की। आयकर विभाग ने जिन डिजिटल सबूतों को जब्त किया, उसमें जांच को कमजोर करने एविडेंस मिले हैं। सीबीआई की शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि, तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्रयास किए गए। इन अधिकारियों ने न सिर्फ खुद के लिए अग्रिम जमानत की कोशिश की, बल्कि राज्य आर्थिक अपराध शाखा में तैनात अधिकारियों को डॉक्यूमेंट में हेरफेर करने के लिए भी राजी किया।
नान घोटाला फरवरी, 2015 में सामने आया था, जब एसीअी/ईओडब्लू ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने वाली नोडल एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे। छापे के दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए थे। छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई थी। दावा किया गया था कि वे घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त थे।
ईओडब्लू ने अपनी स्नढ्ढक्र में बताया था डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से असम्यक लाभ लिया। उनका मकसद था कि सतीशचंद्र वर्मा को लोक कर्तव्य को गलत तरीके से करने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए सरकारी कामकाज में गड़बड़ी कर सकें। इसके बाद, सभी मिलकर एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य था नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ दर्ज एक मामले (अप.क. 09/2015) में अपने पक्ष में जवाब तैयार करना, ताकि हाईकोर्ट में वे अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके। छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा, सतीश चंद्र वर्मा और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराओं 7, 7क, 8, और 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धाराएं 182, 211, 193, 195-ए, 166-ए, और 120बी के तहत अपराध दर्ज किए गए हैं।
नान घोटाला केस : आलोक-अनिल-सतीश पर एफआईआर
जांच प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ पर सीबीआई का एक्शन
