धरमजयगढ़। जिले में धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम भालूपखना में धनवादा कंपनी के लघु जल विद्युत परियोजना को लेकर विवाद लगातार बढ़ रहा है। सरपंच पति और नायब तहसीलदार के बीच तनाव की स्थिति सामने आने के बाद से इस मामले में कई नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला है। कंपनी प्रबंधन की ओर से सरपंच पति और अन्य पर काउंटर शिकायत दर्ज कराने और उसके बाद सरपंच पति के द्वारा तहसीलदार के खिलाफ थाने में की गई अपनी शिकायत वापस लेने की बात सामने आई है। सरपंच पति ने अपनी शिकायत वापस लेने के लिए किसी तरह का दबाव नहीं होना बताया है। हालांकि, इन घटनाओं के बीच भालूपखना गांव में स्थिति नियंत्रित करने के लिए जिस तरह से फोकस किया गया उससे लगता है कि इस मामले में पूरा तंत्र सक्रिय हो गया है। इन सब के बीच इस मामले में अब आंशिक तौर पर ही सही लेकिन राजनीतिक सक्रियता फिलहाल सार्वजनिक रूप से बढ़ रही है। स्थानीय भाजपा से जुड़े हुए नेता मनीष राठिया ने धरमजयगढ़ एसडीएम धनराज मरकाम को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें धनवादा कंपनी प्रबंधन पर भालू पखना गांव के प्रोजेक्ट में अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक़ बीते रविवार को भालूपखना गांव में कंपनी प्रबंधन द्वारा किसानों की निजी भूमि पर लंबे समय से डंप किए गए मलबे को हटाने का काम भी शुरू किया गया है।
प्रक्रिया लंबित फिर भी क्रियान्वयन जारी
रायगढ़ जिले में धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम भालूपखना में धनवादा कंपनी के लघु जल विद्युत परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर अभूतपूर्व परिस्थितियां सामने आई हैं जिसमें इस परियोजना में प्रभावित होने वाले वन भूमि के व्यपवर्तन के लिए वन मंजूरी की प्रक्रिया फिलहाल लंबित है। बावजूद इसके प्रभावित वन भूमि के साथ साथ गैर वन भूमि पर प्रोजेक्ट का धड़ल्ले से क्रियान्वयन किया जा रहा है और इस पूरी कवायद में स्थानीय प्रशासनिक तंत्र का जबरदस्त प्रोत्साहन देखने को मिल रहा है।
जमीनी स्तर पर विरोध, दुबका हुआ है शीर्ष नेतृत्व!
इस पूरे मामले में वन मंजूरी की प्रक्रिया लंबित होने के बावजूद प्रोजेक्ट का काम जारी रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। उधर, राजनीतिक सक्रियता को लेकर भी अप्रत्याशित परिदृश्य सामने आ रहे हैं जिसमें विपक्ष हमलावर होने के बजाय पूरी तरह से आंखें बंद किए बैठा है। इधर, आशा के विपरीत सत्ता पक्ष से भी जो मुखरता सामने आई है वह स्थानीय स्तर तक सीमित है। इस मामले में सबसे दिलचस्प और लोकतंत्र के लिए दुखद स्थिति यह है कि प्रोजेक्ट को लेकर उपजे इस विरोध पर शीर्ष नेतृत्व दुबका हुआ नजर आ रहा है।
धनवादा प्रोजेक्ट को लेकर नाटकीय घटनाक्रमों के बाद राजनीति तेज
जमीनी स्तर पर हो रहा विरोध, दुबका नजर आ रहा शीर्ष नेतृत्व!
