रायगढ़। जिले के पंचायत सचिवों ने सोमवार को मिनी स्टेडियम में एकजुट होकर प्रदर्शन किया और रैली के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। पंचायत सचिवों की मांग है कि चुनाव पूर्व भाजपा द्वारा किए गए वादे के अनुरूप 100 दिनों के भीतर उनका शासकीयकरण किया जाए, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है।
सचिवों का कहना है कि रायगढ़ जिले के सातों ब्लॉकों में वर्तमान में करीब 522 पंचायत सचिव कार्यरत हैं, जो लंबे समय से शासकीयकरण की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि चुनाव के समय भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर पंचायत सचिवों का शासकीयकरण कर दिया जाएगा, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी उस वादे को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है।
वादा पूरा नहीं होने से ठगा सा महसूस कर रहे पंचायत सचिव
इस आश्वासन के पूरा न होने से पंचायत सचिवों में भारी नाराजगी है और वे अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सचिवों की हड़ताल से पंचायत स्तर पर मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, पेंशन योजना, आवास योजना सहित अन्य कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर असर पड़ा है।
प्रदर्शनकारी सचिवों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द उनकी मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया, तो वे अपना आंदोलन और उग्र करेंगे। फिलहाल जिला प्रशासन ने ज्ञापन प्राप्त कर मामले को शासन तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है।
पंचायत सचिवों के आंदोलन को सरपंचों का मिला समर्थन
पंचायत सचिवों के शासकीयकरण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को अब और ताकत मिलती दिख रही है। सोमवार को मिनी स्टेडियम में हुए प्रदर्शन के बाद सचिवों द्वारा निकाली गई रैली और कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन को जिले के नवनियुक्त सरपंचों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है।
नवनिर्वाचित सरपंचों ने सचिवों के आंदोलन को जायज ठहराते हुए कहा कि पंचायत सचिव गांवों में शासन की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में उनका असंतोष और हड़ताल पंचायत व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। उन्होंने भी सरकार से मांग की है कि पंचायत सचिवों के शासकीयकरण को लेकर जल्द निर्णय लिया जाए, जिससे पंचायतों में ठप पड़ी विकास योजनाएं फिर से गति पकड़ सकें।सरपंचों ने कहा कि चुनाव के पूर्व जो वादे किए गए थे, उन्हें निभाना सरकार की जिम्मेदारी है। अगर सचिवों की मांगों की अनदेखी की गई तो आने वाले समय में पंचायत स्तर पर प्रशासनिक कार्यों में और बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।पंचायत सचिवों को नवनियुक्त जनप्रतिनिधियों का साथ मिलने से आंदोलन को नई ऊर्जा मिली है।
पंचायत सचिवों ने किया प्रदर्शन, पीएम के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
शासकीयकरण की मांग को लेकर जताई नाराजगी! नवनियुक्त सरपंचों का भी मिला समर्थन
