सारंगढ़। जिला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडे ने महती सभा में कहा कि आरएसएस भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व धर्म ध्वज वाहक एक ऐसी संस्था है, जो वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को लेकर आगे बढ़ती है। इसके जनक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार है, जिनका जन्म बासंती चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा को हुआ था। जो हिंदू कैलेंडर का पहला दिन है, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जिसके आदर्श और सिद्धांत राष्ट्रीय चेतना की रक्षा करना है। आज आरएसएस भारत में गुलाम मानसिकता और गुलामी के प्रतीकों त्याग कर आगे बढ़ रहा है। गुलाम मानसिकता से बनाई गई दंड संहिता को त्याग कर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय न्याय संहिता को लागू किया। वसुधैव कुटुंबकम का हमारा मंत्र दुनिया के सभी कोनों तक पहुंच रहा है। आरएसएस के स्वयंसेवक देश के विभिन्न क्षेत्रों एवं हिस्सों में निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। संघ भारत की संस्कृति की अमित पहचान है। यह एक ऐसा वट वृक्ष है जो 100 वर्ष पूरे कर रहा हैं। स्थापना के समय से ही संघ के लिए यह बात स्पष्ट रही है कि ऐसे अवसर उत्सव के लिए नहीं होते, बल्कि वह हमें आत्म चिंतन करने तथा अपने उद्देश्य के प्रति पुन: समर्पित होने का अवसर प्रदान करते हैं। साथ ही यह अवसर इस पूरे आंदोलन को दिशा देने वाले मनीषियों और इस यात्रा में निस्वार्थ भाव से जुडऩे वाले स्वयं सेवक व उनके परिवारों के स्मरण का भी है। 100 वर्षों के इस सुदीर्घ यात्रा के अवलोकन और विश्व शांति व समृद्धि के साथ सामंजस्य पूर्ण और एकजुट भारत के भविष्य का संकल्प लेने के लिए संघ संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती से बेहतर कोई अवसर नहीं हो सकता, जो वर्ष प्रतिपदा यानी हिंदू कैलेंडर का पहला दिन है। डॉ हेडगेवार जन्म जात देशभक्त थे, भारतभूमि के प्रति उनका अगाध प्रेम और शुद्ध समर्पण बचपन से ही उनके क्रियाकलापों में दिखाई देता था। डॉ. हेडगेवार ने मातृभूमि को दास्ता की बेडिय़ों से मुक्त कराने वाले सभी प्रयासों का सम्मान किया और इनमें से किसी भी प्रयास को कमतर नहीं समझा। उस दौर में सामाजिक सुधार राजनीति स्वतंत्रता चर्चा के प्रमुख विषयों में से थे। ऐसे समय में भारतीय समाज को एक डॉ. हेडगेवार के रूप में उन्होंने उन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया जिनकी वजह से हम विदेशी दास्तां से मुक्त हुए।
आरएसएस के एक शतक पूरे : संजय पांडे

By
lochan Gupta
