रायगढ़। शहर के प्रतिष्ठित श्री मोदी परिवार के श्रद्धालुओं द्वारा विगत 17 सितंबर से सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन होटल आशीर्वाद परिसर में दोपहर तीन से शाम सात बजे तक किया जा रहा है। व्यासपीठ पर विराजित हैं देश के सुप्रसिद्ध युवा श्रीमद् भागवत कथा वाचक पं शिवम विष्णु पाठक जो अपने अत्यंत ही मधुर वाणी से भागवत कथा के प्रसंगों को सहज सरल ढंग से श्रद्धालुओं को श्रवण कराकर मुग्ध व धन्य कर रहे हैं।वहीं पं शिवम जी ने आज रासपंचाध्यायी, उद्वव गोपी संवाद व रुक्मिणी विवाह प्रसंग की कथा को विस्तार से सुनाए।
भागवत श्रवण से पाप नष्ट होते हैं
व्यासपीठ पर विराजित पं शिवम ने रासपंचाध्यायी प्रसंग के अंतर्गत जीव और परमात्मा के संदर्भ में अनेक महत्वपूर्ण ज्ञान की बताए और कहा कि इस घोर कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा ऐसी साक्षात कथा है कि जिसे सुनकर मनुष्य के सभी श्री हरि की कृपा से क्षण भर में पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं उन्होंने रुक्मिणी-श्रीकृष्ण विवाह प्रसंग की कथा प्रसंग के अंतर्गत कहा कि विदर्भ राज्य का भीष्म नामक एक वीर राजा था। उसकी पुत्री का नाम रुक्मिणी था। वह बहुत ही सुंदर और सभी गुणों वाली थी। नारद द्वारा श्रीकृष्ण के गुणों का वर्णन सुनने पर रुक्मिणी श्रीकृष्ण से ही विवाह करना चाहती थी। रुक्मिणी के रूप और गुणों की चर्चा सुनकर भगवान कृष्ण ने भी रुक्मिणी के साथ विवाह करने का निश्चय किया था। रुक्मिणी का एक भाई था, जिसका नाम रुक्मि था। उसने रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से साथ तय कर दिया था। रुक्मिणी द्वारा भेजे गए संदेश से जब यह बात श्रीकृष्ण को मालूम हुई तो वे विवाह से एक दिन पहले ही रुक्मिणी का हरण कर द्वारका ले गए। द्वारका पहुंचने के बाद श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह हुआ। वहीं उन्होंने कहा कि रुक्मिणी कोई और नहीं साक्षात माता लक्ष्मी जी थीं।
जीवंत झांकी ने किया मुग्ध
कथा स्थल में बड़े ही धूमधाम से जीवंत झांकी के साथ रुक्मिणी विवाह प्रसंग किया गया जिसे देखकर सभी खुश हो गए। सभी श्रद्धालुओं को यूँ लगा कि आज वास्तव में श्रीकृष्ण रुक्मिणी का विवाह है। वहीं कथा स्थल जय – जय श्रीराधे के जयकारे से गूंजित हो गया।वहीं कथा प्रसंग के अंतर्गत आज सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष की कथा होगी। सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान के इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने में श्री मोदी परिवार के सभी श्रद्धालुगण जुटे हैं।