रायगढ़। नगरनिगम चुनाव में बम्पर जीत के साथ भाजपा शहर सरकार के गठन को लेकर बेहद उत्साहित है। महापौर जीवर्धन चौहान और निगम के 33 वार्डों में शानदार जीत से भाजपा का सियासी पारा तेजी से चढ़ता जा रहा है। मौसम के तेवर जैसे जैसे बदल रहे हैं, ठीक वैसे ही सभापति के चयन को लेकर भाजपा का सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है।
राजनीति के जानकारों की मानें तो रायगढ़ नगरनिगम महापौर सहित 33 पार्षदों की जीत से लबरेज भाजपा पार्षदों के मन में सभापति चयन को लेकर लड्डू फूट रहे हैं। नगरनिगम के प्रथम सम्मिलन सभापति का निर्वाचन होना है, जिससे भाजपा के ज्यादातर पार्षद दबी जुबान से मन की बात कह रहे हैं। बताया जाता है कि सभापति पद के लिए संभावित दावेदारों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। इनमें पहली बार व दूसरी बार पार्षद निर्वाचित हुए लोगों को तादाद ज्यादा है। जैसे जैसे पार्टी के चुनाव पर्यवेक्षक के आगमन की तारीख नजदीक आ रही है संभावित दावेदारों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। हालांकि सबसे ज्यादा तीन-चार नामों की चर्चा सबसे ज्यादा है।
इनमें वार्ड क्रमांक 1 से दूसरी बार पार्षद बने डिग्री लाल साहू, वार्ड क्रमांक 18 से निर्विरोध निर्वाचित पार्षद पूनम सोलंकी, पूर्व सभापति एवं वार्ड क्रमांक 19 के पार्षद सुरेश गोयल और वार्ड क्रमांक 26 के पांचवीं बार पार्षद बने आशीष ताम्रकार सभापति के संभावित दावेदारों में सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं। हालांकि इनके अलावा पार्षद पंकज कंकरवाल,महेश शुक्ला, नारायण पटेल सहित त्रिवेणी डहरे और कुछेक पहली बार की महिला पार्षदों के नामों की चर्चा है। भाजपा के करीबी सूत्रों की माने तो पार्टी के अधिकृत पर्यवेक्षक की मौजूदगी में पार्षदों से सभापति पद के चयन को लेकर रायसुमारी होगी। यहां से तीन नामों का पैनल प्रदेश हाईकमान को भेजा जाएगा। बताया जाता है कि एक मार्च को पार्टी पर्यवेक्षक के रायगढ़ आने की खबर से सभापति पद के प्रबल दावेदार सीधे पार्टी के पार्षदों से भेंट कर समर्थन जुटाने में जुट गए हैं। हालांकि सबको यह भी पता है कि पार्टी का निर्णय ही सर्वोपरि है बावजूद इसके हर कोई अपनी दावेदारी को मजबूत जताने की कोशिश में हैं। खास बात यह है कि रायगढ़ विधायक एवं वित्त मंत्री ओपी चौधरी का हर कोई कृपा पात्र बनने की जद्दोजहद में है, परंतु खुलकर दावेदारी से गुरेज भी किया जा रहा है। अब देखना है कि पार्टी की नजरें इनायत किस पर होती है,और चौंकाने वाला निर्णय क्या आता है?
ओबीसी वर्ग के पार्षदों के हौंसले बुलंद
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित महापौर सीट पर जीवर्धन चौहान की प्रचंड जीत से सभापति पद के लिए ओबीसी वर्ग के संभावित दावेदारों के हौंसले बुलंद हैं। माना जा रहा है कि भाजपा रायगढ़ में सभापति का पद ओबीसी वर्ग को सौंप सकती है। जिससे डिग्री लाल साहू, पूनम सोलंकी और आशीष ताम्रकार की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है। बताया जाता है कि ओबीसी कार्ड से पार्टी का जनाधार और मजबूत होगा, साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि पार्टी महिला सशक्तिकरण का संदेश लेकर महिला सभापति का दाव खेल सकती है। इन दोनों स्थितियों में इन तीन नामों पर नजर टिकती है। अब देखना है कि सभापति पद के लिए किस नाम पर पार्टी की मुहर लगती है।
सामाजिक सहभागिता का कितना असर
पार्षद डिग्री लाल साहू ओबीसी वर्ग से आते हैं, साहू समाज से हैं। नगरनिगम क्षेत्र में साहू समाज ओबीसी वर्ग में एक बड़ा समाज माना जाता है। वर्ष 2011 से डिग्री लाल साहू भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं। 2014 में पहली बार पार्षद निर्वाचित हुए। दूसरी बार महिला सीट होने चुनाव नहीं लड़े। इस बार वार्ड क्रमांक 1 से दूसरी बार पार्षद निर्वाचित हुए। बीमा व्यवसाय से जुड़े डिग्री लाल साहू सामाजिक गतिविधियों में बेहद सक्रिय हैं। साहू समाज के जिला अध्यक्ष पद पर आसीन हैं, जिससे कोसमनारा बाबा धाम में साहू समाज की सक्रिय भागीदारी रहती है। संगठन में उनकी सक्रियता से उन्हें भाजपा शहर मंडल में महामंत्री और अध्यक्ष का भी दायित्व दिया गया। वें 2020 से 2022 तक महामंत्री और 2022 से 2025 तक अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं। संगठन में सक्रिय सदस्य हैं। इस चुनाव में भाजपा ने ओबीसी वर्ग को साधने तरह – तरह के जतन किए, उसका लाभ भी मिला।
लीक से हटकर निर्णय किसके हिस्से में?
पूनम सोलंकी ओबीसी वर्ग से हैं। तीसरी बार की पार्षद पूनम सोलंकी भाजपा की राजनीति में बेहद सक्रिय हैं। बीते कार्यकाल में नगरनिगम नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं। महिला पार्षद के तौर पर उनकी सक्रियता किसी से छिपी नहीं है। सभापति पद के लिए उनकी दावेदारी की चर्चा उनके निर्विरोध पार्षद निर्वाचित होने से शुरू हो चुकी है। महिला वर्ग में मजबूत पकड़ होने से उनकी दावेदारी को बेहद मजबूत माना जा सकता है। हालांकि अब तक नगरनिगम किसी महिला को सभापति का दायित्व नहीं मिला है, लेकिन यह भी सच है कि नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी पूनम सोलंकी के हिस्से में रही है। अब उनके कामकाज की समीक्षा पार्टी कर सकती है, देखना है कि पार्टी लीक से हटकर किस तरह चौंकाने वाली निर्णय लेती है?
नगरनिगम की राजनीति का बड़ा अनुभव
आशीष ताम्रकार भी ओबीसी वर्ग से हैं। पांचवीं बार पार्षद निर्वाचित हुए हैं। नगरपालिका से लेकर नगरनिगम की राजनीति में सक्रिय रहे आशीष ताम्रकार की सामाजिक गतिविधियों में गहरी दिलचस्पी है। शहर में रामनवमी उत्सव का भव्य एवं सफल आयोजन उनके सामाजिक सहभागिता को रेखांकित करता है। नगरनिगम की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले आशीष ताम्रकार के अनुभव, शहर सरकार के संचालन में कारगर साबित हो सकते हैं? पार्टी ऐसे अनुभवी नेता का किस रूप उपयोग करती है, इसकी चर्चा भी खूब चल रही है।
धरातल पर उतरेगी विकास की राजनीति!
विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद रायगढ़ जिले में भाजपा की राजनीति में बदलाव का दौर चल रहा है। लोकसभा चुनाव,संगठन चुनाव, नगरीय निकाय और त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी की बदली हुई कार्यशैली का लाभ भी दिख रहा है। भाजपा की करवट बदलती राजनीति में सक्रिय, निष्ठावान और जमीनी कार्यकर्ता गौरवांवित महसूस कर रहें हैं। यह पार्टी की दशा और दिशा तय करने का नया फार्मूला माना जा रहा है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि ओपी चौधरी रायगढ़ जिले में पार्टी की धुरी बन चुकें हैं। यह उनके नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है, नगरनिगम चुनाव में पार्टी को मिले प्रचंड जनादेश की अहमियत को भी समझा जा रहा है। नगर निगम को राजनीति का अखाड़ा बनाने की परम्परागत सोच वाले राजनीतिक लोगों को विकास की राजनीति का संदेश भी इसी मंशा से देने की कोशिश है। इसी सोच को धरातल पर उतारने सभापति के चयन में भी दिखाई दे तो, अचरज नहीं होगा।