रायगढ़। सत्तीगुड़ी चौक स्थित भरत कूप शिव मंदिर में इस वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी को भव्य आयोजन किया जा रहा है। सुबह से ही पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला प्रारंभ होगा। मंदिर से भगवान शिव की भव्य शिव बारात भी निकाली जाएगी, जिसमें जीवंत झांकियां श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र होंगी। महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन–मंदिर के पुजारी पं. कमल शर्मा ने बताया कि यह मंदिर सेठ किरोड़ीमल द्वारा नगर के मध्य स्थित सत्तीगुड़ी चौक पर बनवाया गया था। अपनी विशिष्टता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। यहां भैया भरत, मां दुर्गा, संकट मोचक हनुमानजी और शिव परिवार की भव्य प्रतिमाएं विराजमान हैं। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि और अन्य पर्वों पर विशेष आयोजन होते हैं। इस बार भी महाशिवरात्रि को 26 फरवरी, बुधवार को सुबह से पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी। इसके पश्चात बाजे-गाजे और झांकियों के साथ शिव बारात निकाली जाएगी, जो शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरेगी। इसके बाद विशेष पूजा और प्रसाद वितरण किया जाएगा।
भरत कूप की विशेषता
भरत कूप का धार्मिक महत्व काफी प्राचीन है। मान्यता है कि यहां के जल में 27 कुंओं का जल मिश्रित है, जिसका उपयोग विशेष पूजन में किया जाता है। परंपरा के अनुसार, जिन पिता को अपने नवजात शिशु का चेहरा देखने में पंचक या अन्य ग्रह-नक्षत्रों की बाधा होती है, वे यहां से जल लाकर विधिवत पूजा के बाद अपने बच्चे का मुख दर्शन करते हैं। इसके अलावा, पूजा-पाठ, हवन और अन्य शुभ कार्यों में भी इस जल का विशेष महत्व है।
भक्तों से अपील
भरत कूप शिव मंदिर समिति ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे महाशिवरात्रि पर मंदिर में दर्शन एवं पूजा-अर्चना के लिए अधिक से अधिक संख्या में पहुंचे और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें। भक्तों की सुविधा के लिए विशेष जलाभिषेक और पूजन व्यवस्था की गई है।
60 वर्ष पुराना मंदिर
मंदिर के पुजारी पं. कमल किशोर शर्मा ने बताया कि भरत कूप मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 2021 (लगभग 60 वर्ष पूर्व) हुआ था। सेठ किरोड़ीमल द्वारा निर्मित यह मंदिर श्वेत संगमरमर से बना है, जिसके मध्य में शिवलिंग स्थापित है। यहां माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी महाराज विराजमान हैं। इसके अलावा, हनुमान जी, दशरथ पुत्र भरत और माता दुर्गा की प्रतिमाएं भी पूजन कक्ष में स्थित हैं। मंदिर के गुंबद पर लाल ध्वजा लहराती है और इसके चारों ओर की दीवारें रामचरितमानस की चौपाइयों से अलंकृत हैं। लगभग 40 वर्षों तक पं. बैजनाथ शर्मा ने यहां पूजा-पाठ की जिम्मेदारी निभाई, उनके निधन के बाद उनके छोटे पुत्र पं. कमल शर्मा इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
महाशिवरात्रि की पौराणिक मान्यता
महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 26 फरवरी को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करती हैं।
महाशिवरात्रि पूजन एवं जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि आरंभ 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त- 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे चार पहर पूजन मुहूर्त प्रथम पहर- 26 फरवरी- शाम 6:19 बजे से 9:26 बजे तक। द्वितीय पहर- 26 फरवरी- रात 9:26 बजे से 27 फरवरी, 12:34 बजे तक। तृतीय पहर- 27 फरवरी- 12:34 बजे से 3:41 बजे तक। चौथी पहर 27 फरवरी-3:41 बजे से 6:48 बजे तक। नहीं जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त सुबह- 6:47 बजे से 9:42 बजे तक। मध्यान्ह- 11:06 बजे से 12:35 बजे तक। दोपहर- 3:25 बजे से 6:08 बजे तक व रात्रि- 8:54 बजे से 12:01 बजे तक रहेगा।
भरत कूप शिव मंदिर में महाशिवरात्रि पर भव्य आयोजन
सुबह से पूजा-अर्चना व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होंगे, निकलेगी भगवान शिव की बारात
