रायगढ़। हर परिवार में बुजुर्गों का होना उस परिवार की खुशकिस्मती होती है और इन बुजुर्गों के दिखाए मार्ग पर चलकर ही उस परिवार की भविष्य की नई दिशा और दशा तय होती है। अपनी आने वाली नई पीढ़ी को अपना अनुभव बताना और रीति रिवाजों से बांधकर परिवार चलाना हमारे बुजुर्ग ही हमे सिखाते हैं… ठीक इसी प्रकार अपनी आगामी पीढ़ी को … पहले परिवार फिर संस्कार रूपी अनुशासन और एकता का पाठ पढ़ा गई हैं श्रीमती नारायणी देवी शर्मा.. शुरू से ही सामान्य रूप से जीवनयापन तथा मंदिर के पूजा पाठ के साथ ही जो प्राप्त वो पर्याप्त वाली सोच रखने वाले पंडित श्री बैजनाथ शर्मा जो कि काफी शांत स्वभाव के व्यक्ति थे तथा अपने सरल हृदय के कारण सदैव शंभू की भक्ति में लीन रहते थे. और रहते भी क्यूं न क्योंकि इसमें उनका साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती नारायणी देवी ने पूरा दिया और स्थिति को समझकर परिवार के अनुशासन की बागडोर संभालने का जिम्मा उठाया यही नहीं सभी सदस्यों की सभी जरूरतों को पूरा करने का काम भी बखूबी निभा गई… उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वो आंखों से पढक़र ही मन की हर इच्छा को समझ लेती थी। शायद इसे ही हम अनुभव कहते हैं। अभावों की जिंदगी के बीच अपने दोनों पुत्रों को आगे बढऩे की प्रेरणा देती हुई उनके परिवार को एक सुखद भविष्य के लिए मार्गदर्शन देने का काम भी जीवन पर्यन्त किया साथ ही अपनी पुत्रियों को भी प्रतिष्ठित परिवारों में पाणिग्रहण करके उन्हें भी अनुशासित जीवन की परम्परा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी है। आज ये शर्मा परिवार जिसके सदस्यों में कैलाश शर्मा (आयकर एवं जीएसटी सलाहकार) तथा कमल शर्मा (प्रसिद्ध छायाकार) है जो सदैव ही सभी सामाजिक एवं पारिवारिक कार्यक्रमों में अपनी सक्रिय सहभागिता देते हैं। चाहे आम हो या खास सभी की नजर में आपकी एक अलग पहचान आपके मिलनसार व्यक्तित्व के कारण बन जाती है। मां बाबूजी के सिखाए हुए इस पाठ को ये परिवार हमेशा अपने अमल में रखता है और आगे की पीढ़ी में भी इस बीज को बोता रहेगा। मां बाबूजी को नमन के साथ श्रद्धांजलि
नितेश शर्मा
शर्मा परिवार में श्रीमती नारायणी देवी ने ‘पहले परिवार- फिर संस्कार’ रूपी अनुशासन का बीज उगाया
शर्मा परिवार में श्रीमती नारायणी देवी ने ‘पहले परिवार- फिर संस्कार’ रूपी अनुशासन का बीज उगाया
