रायगढ़। शहर के नंद बाग में प्रतिष्ठित ढ़ाणेवाल गर्ग परिवार के श्रद्धालुओं द्वारा सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। व्यासपीठ पर विराजमान हैं देश के सुप्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य ताराचंद शास्त्री जो अपने दिव्य प्रवचनों से व भजन टीम के साथ मधुर भक्तिगीतों से प्रतिदिन दोपहर तीन से शाम 7 बजे बजे तक श्रद्धालुओं को निहाल कर रहे हैं।
प्रभु की भक्ति में भलाई है
व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य ताराचंद शास्त्री ने कथा प्रसंग के अंतर्गत कथा का रसपान कराते हुए कहा कि प्रभु श्री हरि की लीला अनंत है वे अपने सच्चे भक्तों की हर भावना को समझते हैं साथ ही हर संकट के क्षण में पुकारने से अदृश्य रुप में साथ देकर कल्याण ही करते हैं। जब बालक ध्रुव ने अपनी तपस्या और भक्ति से प्रभु को पा लिया तो कोई भी अपनी श्रद्धा व भक्ति से उनको प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि इस नश्वर संसार में केवल प्रभु से ही प्रीति करें उनको प्रेम करने से जीवन का कल्याण होता है। वहीं उन्होंने कथा प्रसंग के अंतर्गत राजा बलि की कथा का रसपान कराते हुए कहा कि भगवान मधुसूदन अपने भक्तों की हर क्षण परीक्षा लेते हैं। राजा बलि के अभिमान को दूर करने के लिए उन्होंने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग जमीन मांगकर परीक्षा ली परंतु राजा बलि की परमात्मा के प्रति अपार प्रीति थी वे सहर्ष स्वीकार करते हुए अंत में अपने सिर में आखिरी पग रखने को कहा इस तरह से राजा बलि ने प्रभु का हृदय जीत लिया और पाताल लोक का स्वामी प्रभु की कृपा से प्राप्त किया। इसी तरह उन्होंने गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाते हुए कहा कि श्री राधे को सच्चे मन से पुकारने से अवश्य सुनते हैं बस उनके प्रति हृदय में निर्मल भावना व पवित्र प्रेम का होना जरुरी है। जब गजेंद्र के पैर को मगरमच्छ ने पूरी तरह जकड़ लिया था और वह खुद को बचाने में पूरी तरह से असमर्थ हो गया तब सच्चे मन से गजेंद्र ने श्रीहरि को पुकारा तब गजेंद्र की करुण पुकार सुनकर परमात्मा मधुसूदन आए और गजेंद्र को मोक्ष दिलाए ऐसी है प्रभु श्रीराधे की लीला। इस तरह से पावन अमृतमयी कथा की धारा बह रही है जिसका रसपान भक्तगण कर रहे हैं।
राम व कृष्णावतार कथा
कथा प्रसंग के अंतर्गत आज कथा स्थल में जीवंत झांकियों के साथ श्री वामन अवतार, श्री रामावतार व श्री कृष्णावतार कथा की मनभावन प्रस्तुति हुई। जिसे देख सभी मुग्ध हुए। वहीं मधुर भजन के साथ श्रद्धालुगण भाव विभोर होकर झूम रहे हैं। वहीं भव्यता देने में श्री ढ़ाणेवाल परिवार के सभी श्रद्धालुगण जुटे हैं। वहीं प्रतिदिन कथा स्थल में कथा का रसपान करने भक्तों की भीड़ उमडऩे लगी है।