रायगढ़। आध्यात्मिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित नाम पंचम मूल गुरु जगतगुरु कृपालुजी महाराज के परम शिष्या एवं प्रचारिक वृंदावन वासिनी सुश्री श्रीश्वरी देवी जी का आध्यात्मिक प्रवचन बरमकेला के समीपस्थ ग्राम कंचनपुर में दिनांक 13 फरवरी से प्रारंभ होकर .26 फरवरी तक चल रहा है। प्रतिदिन सायं पांच बजे से सात बजे तक चलने वाले अध्यातिमक प्रवचन में सुश्री श्रीश्वरी देवी जी द्वारा वेद, भगवद्गीता, रामायण, भागवत इत्यादि धर्म ग्रंथो क प्रमाणों से युक्त गुढ़ तात्विक सिद्धांतों का समावेश करते हुए जीवन दर्शन पर आध्यात्मिक प्रवचन दिया जा रहा है।। ग्राम वासियों द्वारा उक्त आयोजन में आध्यात्मिक क्षेत्र के श्रद्धालु भक्तजनों को आमंत्रित करते हुए आग्रह किया गया है कि प्रतिदिन सायं 5:00 बजे से 7:00 बजे तक आध्यात्मिक प्रवचन का कार्यक्रम संपन्न हो रहा है जिसमें शामिल होकर श्रद्धालु जन मानव जीवन को सार्थक करते हुए गृहस्थ में रहते हुए ईश्वर तत्व के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं इस प्रवचन में शामिल होने वाले अन्य ग्राम से आने वाले श्रद्धालु भक्तजनों के लिए भोजन प्रसाद की भी व्यवस्था आयोजकों की ओर से किया जा रहा है। ऐसा स्वर्णिम अवसर बहुत कम मिलता है इसलिए इस प्रवचन का लाभ अवश्य उठाया जाना चाहिए।
सप्तम दिवस इस विषय पर दिया प्रवचन
अध्यात्मिक कथा प्रवचन के सप्तम दिवस 19 फरवरी बुधवार को सुश्री श्रीश्वरी देवी जी ने महापुरुष तत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिना महापुरुष की शरणागति किये किसी जीव को भगवत प्राप्ति नहीं हो सकती भागवत से उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब तक किसी वास्तविक महापुरुष की चरण रज से हम अपने आप को अभिषिक्त नहीं कर लेते तब तक निवृत्ति तो बहुत दूर की बात है हम ईश्वरीय जगत में पहला कदम भी नहीं रख सकते। प्रारंभ में तत्व ज्ञान प्रदान करने से लेकर साधना पथ की कठिनाइयों का समाधान करना और फिर अंत:करण की शुद्धि के पश्चात् अंतिम तत्व ईश्वरीय प्रेम प्रदान करना ये सब गुरु ही करता है। इसलिए गीता में श्री कृष्ण ने कहा- ‘तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया’ अर्थात भगवान के लिए हमें सर्वप्रथम गुरु की पूर्ण शरणागति करनी होगी ‘प्रणिपातेन’। ‘परिप्रश्नेन’ अर्थात् पूर्ण जिज्ञासु भाव से गुरु से ईश्वर संबंधी शंकाओं पर प्रश्न करना होगा और फिर उनकी तन, मन, धन से सेवा करनी होगी जितनी हमारी गुरु के प्रति सेवा वासना बढ़ेगी उतनी द्रुत गति से हमारा अंत:कारण शुद्ध होगा, हमारा मन संसार से हटेगा और हम ईश्वर प्राप्ति की ओर अग्रसर होंगे। श्री कृष्ण की नित्य सेवा प्राप्ति ही हमारा लक्ष्य है जो कि प्रथम गुरु सेवा से ही हमें प्राप्त होगी। गुरु शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए दीदी जी ने कहा कि जो जीव को माया निवृत्ति करा दे और जीव को ईश्वरीय प्रेम प्रदान करे वही वास्तविक गुरु है। लेकिन ऐसा वही कर सकता है जिसकी स्वयं की माया निवृत्ति हो चुकी हो और जिसने स्वयं ईश्वर को प्राप्त कर लिया हो इसलिए वेद, भागवत एवं गीता से प्रमाण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि गुरु श्रोत्रिय एवं ब्रह्मनिष्ठ होना चाहिए अर्थात् वो समस्त वेदों, शास्त्रों, का ज्ञाता हो और स्वयं ने ईश्वर प्राप्ति की हो। ऐसे गुरु की ही हमको शरणागति करनी है। लेकिन महापुरुष को हम कैसे पहचानें इत्यादि आगे के प्रवचनों में बताया जाएगा।
प्रवचन में इन विशिष्ट जनों की है सहभागिता
आध्यात्मिक कथा प्रवचन में श्रीश्वरी देवी के अभिन्न स्वयं सेविका प्ररिब्राजकों के साथ ग्राम कंचनपुर के श्रद्धालु जनों की विशेष सहभागिता है वहीं अंचल के प्रतिष्ठित जनों में ग्राम लोधिया से मधुर लाल नायक ग्राम बारादवन से डॉक्टर हरिशंकर नामक ग्राम कंचनपुर के ध्वजाराम पटेल, जगदीश पटेल एवं पटेल परिवार, व्याख्याता पुरुषोतम चौधरी, से.नि. जनपद अधिकारी तेजराम कुम्हार एवं कंचनपुर ग्रामवासियों की सहयोगात्मक भूमिका है।
गुरु शरणागति से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव : श्रीश्वरी देवी
कंचनपुर के आध्यात्मिक कथा प्रवचन में उमड़े श्रद्धालु
