रायपुर। शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा 4 मार्च तक रायपुर जेल में न्यायिक हिरासत में रहेंगे। कोर्ट ने उनकी हिरासत 14 दिन के लिए बढ़ा दी है। रायपुर स्थित ईडी की स्पेशल कोर्ट में लखमा मंगलवार को पेश हुए। सुनवाई के दौरान लखमा ने जज से कहा कि मुझे विधानसभा सत्र में शामिल होना है। छत्तीसगढ़ की जनता के बहुत से मुद्दे उन्हें विधानसभा में उठाने हैं। अनुमति दी जाए। इसके लिए लखमा के वकील फैजल रिजवी की ओर से कोर्ट में आवेदन भी दिया गया है। कवासी लखमा की अर्जी पर आपत्ति जताते हुए ईडी के वकील सौरभ पांडे ने कहा कि अगर विधानसभा में कोई वोटिंग चल रही है, लखमा की ओर से कोई सवाल पूछा गया है या उन्हें कोई जवाब देना है, ऐसी कोई स्थिति है तो आप बताइए।
ईडी के वकील ने अपने तर्क में कहा कि, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल की ओर से विधानसभा में कवासी लखमा को पार्टिसिपेट करने के लिए कोई पत्र नहीं आया है, इसलिए इन्हें अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। दोनों पक्षों का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस पर 20 फरवरी को फैसला आएगा। शराब घोटाला मामले में ईडी ने 15 जनवरी को कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था। इससे पहले उनसे 2 बार ईडी दफ्तर बुलाकर पूछताछ की गई थी। गिरफ्तारी के 7 दिन बाद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को पहले ईडी ने 7 दिन कस्टोडियल रिमांड में लेकर पूछताछ की थी। उसके बाद 21 जनवरी से 4 फरवरी तक लखमा को 14 दिन के न्यायिक रिमांड पर भेजा गया था। पिछली सुनवाई के दौरान जेल में पर्याप्त बल नहीं होने के कारण लखमा की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेशी हुई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने लखमा की 18 फरवरी तक रिमांड बढ़ा दी थी।
ईडी का आरोप है कि, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। वहीं, शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे छत्तीसगढ़ में स्नरु-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। ईडी का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बडिय़ों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि, 3 साल शराब घोटाला चला। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस दौरान 36 महीने में लखमा को 72 करोड़ रुपये मिले। ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगे। ईडी ने कहा था कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई भरी गई। निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ईडी की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमीशन मिला है।
पार्ट-ए कमीशन- सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी। पार्ट-बी कच्ची शराब की बिक्री- बेहिसाब ‘कच्ची ऑफ-द-बुक’ देशी शराब की बिक्री हुई।
इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी। पार्ट-सी कमीशन: शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी। एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन ली गई जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई के लिए लाया गया था।
शराब घोटाला : 4 मार्च तक जेल में रहेंगे कवासी लखमा
विधानसभा-सत्र में शामिल होने मांगी अनुमति पर 20 को फैसला
