रायगढ़। शहर में ट्रिपल इंजन की सरकार बनने जा रही है यह तो लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन भाजपा-कांग्रेस के कितने-कितने पार्षद जीतकर आएंगे इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। भाजपाई सुरमाओ की माने तो मेयर और सभापति दोनों ही भाजपा के होंगे ऐसा दावा किया जा रहा है, तो कांग्रेस की ओर से 18 से 20 पार्षदों की जीत पर अटकलें लगाई जा रही है। कांग्रेस का एक बड़े वर्ग का मानना है कि वे महापौर व सभापति दोनों की रेस से बाहर हैं। हां अगर कोई चमत्कार हो जाए तो बात अलग है।
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मतदान के उपरांत 15 फरवरी को होने वाले मतगणना पर सबकी निगाहें टिकी हुई है भाजपा ने चाय वाले जीर्वधन चौहान को मेयर प्रत्याशी बनाकर सभी को चौंका दिया और विधायक व वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने चाय वाले भाजपा के मेयर प्रत्याशी जीवर्धन चौहान के पक्ष में न केवल जबरदस्त माहौल बनाया बल्कि ऐसी ब्रांडिंग की कि जीवर्धन महज 15 दिनों में घर-घर तक पहुंच गए। साथ ही श्री चौधरी ने भाजपा से मेयर की टिकट मांगने वाले आधा दर्जन दावेदारों को एकजुट कर उन्हें जीवर्धन के साथ प्रचार-प्रसार में लगा दिया। जिससे आम जनता में भाजपा की एकजूटता का संदेश पहुंचाने में भी श्री चौधरी की रणनीति पूर्णता सफल नजर आ रही है। रायगढ़ की कमान संभालने के बाद लोकसभा, नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में विधायक ओपी चौधरी खेमेबाजी पर अंकुश लगाने में काफी सफल साबित हो रहे हैं। जिसका परिणाम यह है कि रायगढ़ में भाजपा लगातार भारी मतों के अंतराल से जीतते आ रही है। शहर सौंदर्यीकरण, सडक़ों का गुणवत्ता पूर्वक जीर्णोद्धार, नालंदा परिसर, इतवारी बाजार में ऑक्सीजोन व महज एक साल में जिला मुख्यालय में विकास की नई इबारत लिखने के कारण शहरवासियों का मानना है कि रायगढ़ नगर पालिक निगम में ट्रिपल इंजन की जीवर्धन चौहान के नेतृत्व में शहर सरकार बनने जा रही है।
वहीं कांग्रेस ने पूर्व महापौर श्रीमती जानकी अमृत काटजू को मैदान में तो जरूर उतारा है, परंतु गुटबाजी, अन्र्तकलह वह खेमेबाजी के कारण कांग्रेस प्रत्याशी के अलग-थलग पड़ जाने से उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है। अगर पूर्व महापौर जानकी के पिछले पांच साल रिकॉर्ड देखा जाए तो इतना भी खराब कार्यकाल नहीं था। जितने बड़े अंतर से उनके हारने की संभावना बनी हुई है। हां इतना जरूर है कि पिछले 5 साल में जानकी के कार्यकाल में शहर विकास को लेकर कोई बड़ा कार्य नहीं हुआ, लेकिन रोजमर्रा के कार्यों को उन्होंने बाकायदा स्वयं खड़े होकर करवाया है। प्रस्तावित बड़े कार्य जो होने थे वह एमआईसी, सभापति व कांग्रेसी पार्षदों के बीच चल रही नूरा-कुस्ती के भेंट चढ़ गए हैं। चुनाव के दौरान कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी श्रीमती जानकी काटजू ने कुछ ही वार्डों में चुनावी जनसंपर्क किया और वोट मांगा। विभिन्न खेमों में बंटी कांग्रेस नेताओं ने महापौर प्रत्याशी के लिए जमीन पर उतरने के लिए क्यों परहेज किया, यह समस्या परे हैं।
5 साल का पूरा कार्यकाल पूर्ण करने के बाद श्रीमती जानकी काटजू को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाकर बीच मझधार में छोड़ दिया। ऐसा पूरे चुनाव के दौरान देखा गया है।
वहीं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भाजपा महापौर के प्रत्याशी जीवर्धन के लिए विशाल रोड शो किया और उनकी चाय दुकान में जाकर चाय बनाकर जनता के बीच ऐसा संदेश देने का प्रयास किया कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और आम कार्यकर्ता भी उनकी पहुंच से दूर नहीं है ना ही स्थानीय विधायक व वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने जीवर्धन के प्रत्याशी घोषित होने के तुरंत बाद से मोर्चा संभाल लिया था और मतदान तिथि तक वे मोर्चे पर डटे रहे। जिसके कार्यकर्ताओं का मनोबल जमकर बढ़ा और जीवर्धन आज भारी जीत की दहलीज में बैठे हैं, बस मतगणना की औपचारिकता बाकी है।
ओपी द्वारा बिछाई विकास की पटरियों पर सरपट दौड़ सकती है ट्रिपल इंजन की शहर सरकार
निगम चुनाव के दौरान ओपी चौधरी द्वारा किए गए विकास कार्यों का जादू सर चढ़ कर बोल रहा था। ‘एक ही राजनीति विकास की राजनीति’ ओपी चौधरी द्वारा दिए गए इस नारे के चक्रव्यूह को कांग्रेस अंत तक भेद नहीं पाई। विधान सभा चुनाव में जीत के बाद ओपी चौधरी द्वारा बिछाई गई विकास की पटरियों पर ट्रिपल इंजन की शहर सरकार सरपट दौड़ सकती है। विधायक ओपी चौधरी ने नेगेटिव राजनीति को बदलने का प्रयास किया है। पिछला विधान सभा चुनाव में उन्होंने पूरा प्रचार शराब वर्सेस किताब पर लड़ा गया। विधान सभा प्रचार के दौरान ओपी द्वारा युवाओं को बांटी गई पुस्तकों में शराब वितरण का मिथक तोड़ा। निगम चुनाव के दौरान ओपी ने प्रचार अभियान में विकास को मुद्दा बनाया। अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों का हिसाब दे कर बार बार कांग्रेस को पांच सालो में किए गए विकास कार्यों का हिसाब पूछा गया लेकिन कांग्रेस केवल यही बयान देकर मुंह छुपाती नजर आई कि फाइलों में हस्ताक्षर कौन करेगा? भाजपा ने इस बयान का जवाब नहीं दिया। इसे ओपी में सूझबूझ एवं रणनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।
रायगढ़ में ट्रिपल इंजन की सरकार बनने की बन रही संभवना
आंकड़ों के खेल में जीवर्धन जीत की दहलीज पर, गुटबाजी व खेमेबाजों के भंवरजाल में फंस कर रह गए कांग्रेस प्रत्याशी
