चीन के सम्राट शेन नुंग ने ईसा पूर्व 2737 में चाय की खोज की थी।एक बार जब वह जंगल से गुजऱ रहे थे।, तो पीने के लिए पानी उबाला जा रहा था.इस दौरान बर्तन में पेड़ की कुछ पत्तियां आ गिरीं, जिससे पानी का रंग बदल गया. जब उन्होंने इसे पिया, तो पीने में ताजगी महसूस की.इसके बाद उन्होंने इस पेय का नाम ‘चा’ रखा, जो बाद में चाय के नाम से जाना जाने लगा।
भारतीय सियासत में नरेंद्र मोदी के आने के बाद चाय की चर्चा ने जोर पकड़ा नरेंद्र मोदी ने पहले चुनाव के दौरान जीवन की सामान्य पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने कभी रेलवे प्लेटफॉर्म पर चाय भी बेची थी। कांग्रेस को लगा उसे मुद्दा मिल गया मणिशंकर अय्यर ने बयान दिया चाय बेचने वाला देश नहीं चला सकता भाजपा को मानो बड़ा हाथियार मिल गया और भारतीय राजनीति में इस चाय ने ऐसा उबाल लाया कि मानो कांग्रेस की जीभ जल गई हो उनके विरोधी ‘चायवाला’ कहकर उन पर ताने कसने लगे।यही से भारतीय राजनीति में चाय की चर्चा शुरू हुई । चाय वाले मोदी जी ने अपनी पॉलिटिकल चाय से राजनीति का जायका हो बदल दिया।
छग की राजनीति में चाय की चर्चा ने जोर पकड़ा जब रायगढ़ नगर निगम में महापौर प्रत्याशी के लिए भाजपा की पसंद चाय बेचने वाले जीवर्धन चौहान को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया।भाजपा की पसंद पर विधायक ओपी चौधरी की सहमति की मुहर लगते ही जीवर्धन की सुर्खिया राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी। टिकट मिलने के साथ ओपी चौधरी ने सोशल मंच में चाय बनाते हुए वीडियो शेयर किया उसके बाद सूबे के उप मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने भी सोशल मंच में चाय बनाते वीडियो शेयर किया। गरीब की इस टपरी में सूबे के वित्त मंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के पहुंचने के साथ राजनैतिक गलियारों का सियासी पारा गर्म हो गया और देखते देखते भाजपा की पसंद जीवर्धन चुनाव के पहले अब जनता की पसंद बन गए। जीवर्धन की सादगी ने आम जनता का मन मोह लिया। उनके मिलनसरिता की मिठास चाय की की मिठास का एहसास करा जाती है।
आखिर जीर्वर्धन ओपी चौधरी की पसंद क्यों बने
इसका रहस्योद्घाटन ओपी ने कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान करते हुए कहा इस पद के लिए बहुत से योग्य प्रत्याशी थे चयन किसी एक व्यक्ति का होना था। 29 सालो से पार्टी की सेवा करने वाले जीवर्धन तीन दशक तक राजनीति करने के बाद भी चाय की दुकान ही चलाकर किसी तरह मुफलिसी का जीवन जीते रहे। टिकट फायनल होने के पहले तक राजनैतिक समीक्षक यह मान चुके थे कि महापौर पद की रेस में कही जीवर्धन कही नहीं है। राजनीति में चर्चे खर्चे का बड़ा महत्व है और जीवर्धन ना ही चर्चे में है और ना ही खर्चे में कही फीट बैठता है। 29 सालो तक चाय दुकान चला कर पार्टी के लिए जीवन खपाने वाला जीवर्धन टूटा फूटा मकान भी दो मंजिला नहीं करा पाया जीवर्धन की यही ईमानदारी विधायक ओपी चौधरी को भा गई और ओपी की नजरों में जीवर्धन की सादगी चढ़ गई। कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान ओपी ने दावा किया जीवर्धन ईमानदार है। जीवर्धन की ईमानदारी से ओपी चौधरी प्रभावित हुए.. राजनीति में केवल विकास मायने नहीं रखता बल्कि ईमानदारी के साथ गया विकास मायने रखता है।ईमानदारी का साथ विकास के लिए जीवर्धन महापौर पद के योग्य माने गए। एक वो दौर था जब भाजपा कांग्रेस की नेगेटिव राजनीति से परेशान जनता ने नाराज होकर मधु बाई किन्नर को जीता दिया था यह किन्नर की जीत नहीं बल्कि आम जनता का राजनीति के प्रति हुए मोह भंग की एक बानगी थी। एक दशक पहले की इस राजनीति को ओपी चौधरी ने अपनी इच्छा शक्ति से बदला आज जनता उनके विकास की राजनीति के प्रति आश्वस्त और उत्साहित है जन सम्पर्क के दौरान आम जनता सीधे अपना वोट डेवलेपमेंट पॉलिटिक्स के लिए ओपी की पसंद को देना चाहती है ओपी के ईमानदार प्रयासों को देना चाहती है। ओपी के विकास कार्यों की आंधी में कांग्रेस का किला ध्वस्त होता नजर आ रहा रहा। भाजपा का कमल निशान जनता का ओपी के प्रति विश्वास जीवर्धन के लिए ऐतिहासिक जीत का मार्ग कर रहा है। रायगढ़ के जनता की मन की बात माननीय मोदी जी तक पहुंचे। देश की जनता के कान मोदी जी से यह सुनने के लिए बेताब है कि धन्यवाद रायगढ़ वासियों…आप लोगो ने एक और चाय बेचने वाले को महापौर बना दिया..एक चाय वाले ने देश बदला दूसरा चाय वाला ईमानदारी से अब रायगढ़ नगर की तस्वीर बदलेगा..रायगढ़ की राजनीति में ओपी के विकास के साथ जीवर्धन के ईमानदारी का तडक़ा जनता को खूब पसंद आ रहा है .. रायगढ़ भाजपा द्वारा बनी इस चाय से फिर कांग्रेस की जीभ जल गई।
गणेश अग्रवाल
(राजनैतिक समीक्षक)
भाजपा की चाय जनता को पसंद आने लगी…
