रायगढ़। वार्ड क्र. 5 (जगतपुर, जवाहर नगर, लक्ष्मीपुर,बापूनगर, चैतन्यनगर, कार्मेल स्कूल रोड) को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अब तक यहां कांग्रेस के ही पार्षद रहे हैं जिसमें बीते 4 बार से दयाराम धुर्वे पार्षद हैं। 4 और 5 में परिसीमन बदला पर निर्णय वही रहा।
अपने वार्ड से लगातार जीत के बाद अब दयाराम धुर्वे का कद शहर सरकार में बड़े पद के लायक हो गया है। सरकार आई तो सभापति नहीं आई तो नेता विपक्ष के लिए दयाराम की दावेदारी तगड़ी है क्योंकि 4 बार चुनाव जीतने के साथ ही वह 2 बार के एल्डरमेन रह चुके हैं। 2004 में तो वे और उनकी पत्नी दोनों पार्षद थे।
बात करें पार्षद चुनाव की तो 3500 मतदाताओं वाले वार्ड में आदिवासी समाज के लोगो की बहुलता है फिर इसके बाद एससी वर्ग के मतदाता ज्यादा है। दयाराम की स्वीकार्यता पूरे वार्ड में है। उन्होंने यातायात को सुगम बनाने और अपने वार्ड को जोडऩे के लिए नाले पर चार पुल बनवाए। सिटी डिस्पेंसरी जिसे इन्हीं की पहल पर बनवाया गया था उसे अब सीएचससी और स्मार्ट हेल्थ सेंटर बनाया गया। दया ने ही यहां पानी टंकी, सामुदायिक भवन के साथ तीन आंगनबाडिय़ों का निर्माण करवाया है।
बीते कार्यकाल में दयाराम ने ढिमरापुर बस्ती में पुलिस निर्माण के लिए 27 लाख पास करा लिये थे, टेंडर हो चुका था। सरकार बदली तो काम वापस ले लिया गया। बापूनगर में आंगनबाड़ी खोलने की उनकी योजना है। अभी तक नहीं बनने के कारण पर दया कहते हैं कि पहले यह मोहल्ला मेरे वार्ड में नहीं आता था अब आया है तो मैं जरुर पूरा करुंगा। अपने प्रतिद्वंद्वी के बारे में दया का कहना हैं कि इससे पहले जब वह वहां से पार्षद थे तो कभी कार्य नहीं किया 10 साल पार्षद रहे घर से नहीं निकले, लोगों की नाराजगी उनके प्रति काफी है।
कोविड में भाजपा गायब थी
दयाराम धुर्वे कहते हैं कि राजनीति सतत चलने वाली प्रक्रिया है इसमें लोगों के साथ आपको लगे रहने पड़ता है। यह नहीं कि 5 साल में एक बार चुनाव के समय सक्रिय हो जाओ। इसी कारण इस क्षेत्र में भाजपा कमजोर है क्योंकि जब लोगों की जरूरत थी तो वह घर में दुबक के बैठ गए थे। कोविड के समय में मेरे कार्यकर्ता हमने लोगों की लगातार सेवा की। दवाई, इलाज से लेकर राशन जरूरतमंदों तक पहुंचाया। और अभी आचार संहिता लगने के बाद भाजपाई घर-घर जाकर आयुष्मान कार्ड बनवा रहे थे जिसका मैंने विरोध किया।
बापूनगर में बदली हवा
दयाराम के वार्ड में बापूनगर भी आता है जो बीते चुनाव से जुड़ा है। शुरू में यहां भाजपा के प्रत्याशियों को लीड मिलता था पर अब दया के मेहनत ने यहां मतदाताओं का मत बदल दिया। यहां अब उनकी पैठ है बिना किसी लाग लपेट के दया यहां के लोगों के लिए सदैव उपलब्ध रहते हैं इसी कारण अब इस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदल गया है।
वार्ड 5 में 20 साल से कायम है दयाराम का वर्चस्व
4 बार के पार्षद और 2 बार के ऐल्डरमेन रहे दयाराम की वार्ड में जबरदस्त पकड़
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