रायगढ़। हिंदू धर्म की सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज पर्व को वैदिक काल से भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाते आ रही हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान शिव और पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। इस बार भी हरतालिका तीज को श्रद्धा व उत्साह के साथ शहर की युवतियों व महिलाओं ने अपने घर व मंदिर में योग्य पंडितों के सानिध्य में पूजा अर्चना और कथा सुनकर मनाया।
हरतालिका का महत्व- हरतालिका पर्व पूजा का महत्व हिंदू धर्म की सुहागिन महिलाओं के लिए शास्त्रों में अति उत्तम और फलदायी माना गया है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को अपना पति के रुप में प्राप्त करने के लिए जंगल में जाकर कठोर व्रत पूजा साधना की थीं जिससे भगवान शिव माता पार्वती की साधना देख अति प्रसन्न हुए और माता पार्वती की मनोकामना को पूरी करते हुए उमापति कहलाए तब से इस हरतालिका तीज पर्व को सुहागिन महिलाएं व कुंवारी कन्याएं श्रद्धा के साथ करती आ रही हैं। वहीं माता पार्वती की सखियों द्वारा व्रत पूजा के लिए उनको हर कर ले जाने के कारण भी इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा है।
बाजार में रही रौनक- शहर का बाजार भी सुहाग व पूजा की सामग्रियों और फल फूलों से पूरी तरह से सजा रहा और सुबह से शाम तक व्रती महिलाएं अपनी पसंद के चीजों की खरीदारी कीं जिससे बाजार में दिन भर चहल-पहल रही।
रात में हुई हरतालिका पूजा- भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को हर तालिका तीज पर्व को सुहागिन महिलाएं व युवतियों ने दिन भर कठोर व्रत रखते हुए आज रात में सुयोग्य पंडितों के सानिध्य में कथा सुनते हुए भजन कीर्तन करते हुए मनाया इसके बाद पवित्र नदी व तालाब में पूजा कर व सामग्रियों को विसर्जन कर व्रती महिलाएं व युवतियों ने फलाहार ग्रहण किया।