पखांजुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस का 128 वीं जयंती पर नेताजी चौक पखांजुर में विभिन्न कार्यक्रम कर धूम धाम से मनाया गया,इस दौरान सुबह 11बजे पखांजुर नगर पंचायत में रैली निकला गया।जिसमें शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला पखांजुर, सरस्वती शिशुमंदीर,रामकृष्ण मिशन आदि स्कूल के शिक्षक- शिक्षीका छात्र -छात्रा,आम गणमान्य नागरिक, मंच पदाधिकारी आदि ने रैली में भाग लिए।तत्पश्चात नेताजी चौक में नेताजी का मूर्ति पर मंच अध्यक्ष रविन्द्रनाथ मिस्त्री ने किया।तत्पश्चात उपदेष्टा मण्डली सदस्य मृणाल कांति बैरागी,नेपाल सरकार, सुकुमार मजुमदार, उपाध्यक्ष ऋषिकेश मजूमदार, कोषाध्यक्ष रथिन्द्रनाथ बैनर्जी, सचिव निबास अधिकारी, कल्पना, रंजीता,समित्र सरकार, श्रीकृष्ण दास,दीपावली, आदि ने फुल माला चड़ाकर श्रद्धांजलि दी।अभिभाषन,रविन्द्रनाथ मिस्त्री,रामकृष्ण मिशन के छात्र-छात्राएं, निबास अधिकारी, विष्णु दे,कविता पाठ नितीका तालुकदार, भोपाल आदि,प्रेणादायक गीत की प्रस्तुती दिपावली विश्वास, कल्पना, ज्योत्सना, दिपेन्द्र लाल राय आदि ने दी।जागृति मंच द्वारा कार्यक्रम में भाग लेनेवाले सभी कलाकारों को नेताजी का छायाचित्र से सम्मानित किया गया है। सभा में वक्ताओं ने कहां है कि नेताजी ने देश के आम जनताओं से आहवान किया है कि अन्याय और झूठ से समझौता करने से बुरा कोई अपराध नहीं है।
स्कूल में, कॉलेज में, घर में, बाहर, सडक़ पर, घाट पर, मैदान में, जहाँ भी तुम्हें अत्याचार, अन्याय या अराजकता दिखे, नायक की तरह आगे बढ़ो और उसे रोक दो-एक क्षण में तुम स्थापित हो जाओगे वीरता के आसन पर हमेशा के लिए जीवन की धारा सत्य की ओर मुड़ जाएगी-सारा जीवन बदल जाएगा। अगर मैंने अपने छोटे से जीवन में कोई ताकत जुटाई है, तो मैंने इसे केवल इसी तरह से किया है। नेताजी सुभाष चन्द्र युवावस्था के प्रतीक थे। वह देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थे। उनका अदम्य साहस, अदम्य उत्साह, अटूट ऊर्जा, वीरोचित अभिव्यक्ति, अनुशासित कार्यशैली, निश्छल जीवन शैली, आदर्शों के प्रति समर्पित दृढ़ता, लोगों के प्रति सच्ची करुणा- प्रेम जैसे गुणों ने उन्हें देश का सबसे आकर्षक व्यक्तित्व बना दिया। उनकी उपस्थिति अथवा उनके नाम से ही देशवासियों के हृदय अत्यंत उत्तेजित हो गये, जो शासक वर्ग के लिये भय का कारण था। वह देश के लोगों के लिए गहरे विश्वास और विश्वास का स्रोत थे। उनकी देशभक्ति न केवल भूमि के प्रति बल्कि देशवासियों के प्रति भी प्रेम में बदल गयी। उनके प्रेम ने लोगों में कर्तव्य की भावना जगाई, महान कार्यों के लिए प्रेरित किया। उनके आह्वान पर सभी अमीर लोग देशभक्त की तरह काम करते हैं। उन्होंने उसे धन सौंपकर फकीर बनने में संकोच नहीं किया, इसलिए आम आदमी, यहां तक कि निराश्रित बूढ़े भिखारी ने भी अपनी भिखारी संपत्ति दे दी, जिसे उसने अपने सिर पर रख लिया और कहा, यह सबसे अच्छा दान है। ‘तुम मुझे खून दो, ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’’ उनका मार्मिक आह्वान उस दिन लाखों युवा जीवन-संघर्ष में कूद पड़े। 42 अगस्त के विद्रोह सहित पूरे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय धरती पर ब्रिटिश शासकों के हाथों अपनी जान देने वालों से कई गुना अधिक युवा जिंदगियों का बलिदान आजाद हिंद ने दिया। ‘दिल्ली चलो’ का अभियान में देश भाग लेकर नेताजी का संघर्षमय जीवन पूरी गति से, निर्बाध रूप से आगे बढ़ता रहा। माता-पिता का स्नेह, तथाकथित सुखी घर या पत्नी और बच्चों का आकर्षण, आयु और शक्ति की कमी, खतरनाक चरम बाधाएँ और निश्चित मृत्यु का भय, कोई भी चीज़ उसे पीछे नहीं खींच सकती थी। उसकी प्रगति को रोकना तो दूर, वह कभी धीमा भी नहीं हो सकता।
आज देश की पीड़ा उस दिन से कई गुना अधिक है। आज देश को उनके चरित्र को पुनर्जीवित करने की जरूरत है नई पीढ़ी. देश की इस भीषण कठिनाई में कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को नये युग का नेता बनाने की चाह में आगे नहीं बढ़ा सकते, इतिहास में कौन अपना नाम अक्षुण्ण छोड़ेगा? देश के भीतर राममोहन-विद्यासागर, ज्योतिबाफुले, बिरसामुंडा, भगत सिंह, नेताजी के महान गुणों की खोज में, आज की जटिल समस्याओं और संकट से निपटने के लिए उपयुक्त उन्नत चरित्रों की अगली पीढ़ी की खोज का उत्तर अधिकारी कौन होगा? इसी आशा के साथ जागृति मंच 25 वर्षों से इस वर्ष भी 23 जनवरी पखांजूर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस का प्रतिमा के नीचे गर्व और सम्मान के साथ मनाते हैं।