सारंगढ़। राज्य व्यापी शिशु सुरक्षा अभियान की शुरुवात 21 जनवरी से होगी जिला कलेक्टर धर्मेश साहू के मार्गदर्शन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एफ आर निराला के निगरानी में अभियान के पूरे एक माह तक चलेगी जिसमें 1101 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 1412 मितानिन,192 स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आरएचओ), 28 पर्यवेक्षकों की भूमिका रहेगी ये सभी जिले में आयोजित होने वाले 5 मंगलवार, 5 शुक्रवार को कुल 1235 टीकाकरण सत्र को जिले के तीनों विकास खंड के सभी गांवों में आयोजित करेंगे इन टीकाकरण सत्रों में जो सेवाएं दी जाएगी वे निम्न है 1 टीकाकरण 2 विटामिन ए की सिरप पिलाना,3 आयरन सिरप पिलाना,4 वजन लेना एवं कुपोषण की पहचान करना 5 गर्भवती माताओं को स्तन पान के महत्व बताना। शिशु मृत्यु के लिए सबसे बड़ा कारण कुपोषण एवं उसके जटिलता है, कुछ बीमारियों के कारण बच्चो की मौतें होती है,बच्चो में रक्त अल्पता व विटामिन ए की कमी है इन सभी की कमियों को दूर कर दी जाए एवं इनकी सही सही आपूर्ति कर दी जाए तो शिशु मृत्यु की संख्या में बहुत गिरावट आ सकती है इसी कारण हर 6 माह में ये अभियान चलाई जाती है। ढ्ढङ्घष्टस्न बच्चो में विशेष कर नवजात शिशुओं को मिलने वाली मां की दूध अमृत समान है जिसे 6 माह तक सिर्फ मां के दूध ही बच्चो को दी जानी चाहिए क्योंकि इसमें पाई जानी वाली इम्युनोग्लोबिन बच्चो की शारीरिक अब मानसिक विकास के लिए जरूरी है इसमें बच्चों की बीमारी से लडऩे की क्षमता विकसित होता है इसलिए 6 माह तक छोटे को सिर्फ मां के दूध ही देना चाहिए लेखी 6 माह से ऊपर होने पर अतिरिक्त ऊर्जा के लिए पूरक आहार भी जरूरी है मां के दूध को निरंतर 2 वर्ष तक दी जा सकती है जो ममत्व विकाश के लिए भी जरूरी होता है इस कारण अभियान के दौरान सभी गर्भवती माताओं को एवं पोषक माताओं को इसके लिए प्रेरित की जाती है।
विटामिन ए भी एक अति महत्वपूर्व तत्व है जिसके कमी से बच्चों में मौतें होती है इसके बचाव के लिए 9 माह से 5 वर्ष के 47517 बच्चो को विटामिन ए की सिरप पिलाई जाएगी बच्चे की उम्र 9 माह पूरा होने पर पहली बार, 18 महीना में दूसरी बार तथा इसके बाद हर 6 माह में 5 वर्ष तक कुल 9 बार विटामिन ए की खुराक दी जाती है जो बच्चोगारों में बीमारी से लडऩे की क्षमता विकसित करता है।रतौंधी की बीमारी को खत्म करता है एवं शारीरिक मानसिक विकास में मदद करता है। आयरन सिरप नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार 6 माह से 5 वर्ष के 69 प्रतिशत बच्चे एनीमिक या रक्त अल्पता के पाए गए है इस कारण इस उम्र के सभी बच्चो को आयरन सिरप की अतिरिक्त खुराक बच्चो को 6 माह से 5 वर्ष तक दी जाती है जिसे सप्ताह में दो बार पिलानी होता है शिशु संरक्षण अभियान इस उम्र के सभी बच्चो को एक एक शीशी दवाई उनके पालकों को दी जाती है समझाइश के साथ की हर सप्ताह बच्चे को दो बार एक एक दवाई पिलाएंगे,शीशी को सुरक्षित तरीके से रखेंगे पालक बच्चे को आयरन सिरप पिलाई है की नहीं इसकी निगरानी के लिए मितानिन को घर घर जाकर देखना एवं पता लगाना होता है बच्चों मृत्यु का एक बड़ा कारण रक्त अल्पता है इस कारण एनीमिया मुक्त के लिए प्रत्येक बच्चे को आयरन सिरप पिलाना जरूरी है। जिले में 6 माह से 5 वर्ष के बच्चो की संख्या 51624 है ये हमारे सेवा के लिए लक्षित समूह है।
टीकाकरण शिशुओंको लगने वाले टीका भी जरूरी है बहुत से बीमारी को टीकाकरण से बचाए जा रहे है बच्चो को ये टीका नहीं लगाए जाने के कारण शिशुओं की मृत्यु के एक कारण है इन बीमारियों में क्षय रोग, पीलिया कुकर खासी,गलघोंटू, धनुष टंकार, निमोनिया, डायरिया, खसरा, रुबेला, पोलियो, जैसे 12 प्रकार के बीमारियों के लिए 11 टीके बच्चो को उम्र के अनुसार लगाए जाते है टीकाकरण सही समय में,सही जगह पर,सही एवं दक्ष लोगों से लगाया जाना चाहिए,बहुत से पालक कमाने खाने जिले से बाहर चले जाते है उनसे भी आग्रह है देश के हर जगह टीके लगाए जाते है अपने बच्चे को इन टीका से उन्हें वंचित न करे ये टीका बच्चो के अधिकार है उन्हें ये सेवा मिलनी चाहिए टीकाकरण के पश्चात एक जच्चा बच्चा कार्ड रूष्टक्क कार्ड प्रदाय प्रत्येक पालक को प्रदाय की जाती है अपेक्षा की जाती है इसे बच्चे की टीकाकरण के समय टीकाकरण सत्र में पालक द्वारा ले जाया जाना चाहिए जिससे इसमें टीका करण पश्चात कार्ड में टीका का विवरण लिखी जा सके इस कार्ड को परिजनों को सम्भाल कर रखना चाहिए टीकाकरण के लिए लेफ्ट आउट,ड्रॉप आउट सभी बच्चो को टीकाकृत करने है एक वर्ष में पूर्ण टीका एवं 2 वर्ष के भीतर संपूर्व टीका लगाया जाना अनिवार्य है। बच्चे अंडर 5 में मृत्यु के एक कारण कुपोषण भी होता है बच्चे को मां के दूध नहीं मिलने,या पर्याप्त नहीं मिलने,या कहे 6 माह के बाद पूरक आहार नहीं मिलने,या कोई बीमारी हो जाने की स्थिति में या फिर पोषक तत्व की कमी होने,कृमि रोग होने के कारण,रक्त अल्पता होने के कारण कुपोषण की स्थिति बनती है समुदाय में उपरोक्त सभी बिंदुओं को प्रभावी ढंग से संचालित होने पर ही हम शिशुओं की मृत्यु के आंकड़ा को कम कर पाएंगे सभी पलको से आग्रह है कि आप अपने बच्चे को सुरक्षित कीजिए, संरक्षित कीजिए एवं शीशी मृत्यु को कम करने की इस अभियान को सफल बनाने में सहभागी बने।
शिशु सुरक्षा एवं संवर्धन अभियान की शुरूवात आज से
