विभाग को पर्यावरण की नहीं है चिंता, आदिवासी बाहुल क्षेत्र के पांच गांव होंगे प्रभावित
रायगढ़। जिले में पर्यावरण संरक्षण मण्डल का कार्यालय सदैव उद्योगपतियों के सरंक्षण में नजर आता है। अब तक जनसुनवाई की ओपचारिकता निभा कर उद्योगो को पर्यावरणीय स्वीकृति देने का काम इस विभाग में होता आया है। उद्योगपतियों द्वारा कॉपी पेस्ट कर दी गयी ईएनआई रिपोर्ट की बिना अध्ययन के जनसुनवाई करवाये जाने और विरोध के बाद भी पर्यावरणीय स्वीकृति देने की बात सामने आती रही है। वहीं इस बार तो पर्यावरण विभाग की सारडा एनर्जी एण्ड मिनरल्स लिमिटेड कम्पनी पर विशेष मेहरबानी नजर आ रही है।
सारडा एनर्जी एण्ड मिनरल्स लिमिटेड की तमनार क्षेत्र के कोल माइंस का विस्तार होना है जिसमें कारवाही, खमरिया, सराईटोला, ढोलनारा एवं बजरमुड़ा गांव प्रभावित होंगे। चुंकि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है लिहाजा यहां पेसा कानून लागू होना चाहिए लेकिन प्रशासन उद्योगपतियों के लिए कानून कायदो को दरकिनार कर देते है। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। कोल माइंस की जनसुनवाई के बजाय केक्ल दावा आपत्ति मंगा कर येन केन प्रकारेण स्वीकृति देने की तैयारी चल रही है। तमनार क्षेत्र में इस बात को लेकर ग्रामीणों में भी शासन प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश देखा जा रहा है।