बिलाईगढ़। विकासखंड के ग्राम रिकोटार में दिनांक 10 जनवरी से 12 जनवरी तक तीन दिवसीय वार्षिक राम – राम भजन, संत समागम एवं राम कथा प्रवचन का आयोजन किया गया। राम नामी हिंदू भजन समिति के अध्यक्ष खुरसूला निवासी शिवराम जायसवाल एवं सह संचालक रिकोटार निवासी जयराम जायसवाल ने कहा कि इस तरह के आयोजन का यह 36 वां वर्ष है। इस आयोजन में महामंडलेश्वर रामसुंदरदास जी पूर्व अध्यक्ष गौ सेवाआयोग छग शासन श्रीश्री 108 श्रीराम गोपाल दास मारुति धाम देवघटा, पूज्यवर श्यामसुंदर दासजी हनुमान कुटी राहौद एवं निरंजन सेठ शिवरीनारायण विशिष्ट सम्मानित आमंत्रित अतिथिगण थे। राम राम भजन, संत समागम एवं राम कथा प्रवचन के तृतीय दिवस 12 जनवरीको ट्रांस महानदी क्षेत्र के प्रमुख रामायणी भाई श्यामसुंदर पटेल निवासी ग्राम बांसउरकुली ने भी उपस्थित होकर कथा सुनाया। उन्होंने श्रीरामचरित मानस का कथा सुनाते हुए कहा कि जब हम किसी तीर्थ में जाएं तो किसी जानकार व्यक्ति से उस तीर्थ की महिमा श्रवण करें। तीर्थ में विराजित देवी देवताओं का दर्शन पूजन करें। तीर्थ के नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करें। तीर्थ स्थान में शुद्धता एवं पवित्रता का ख्याल रखते हुये वहां गंदगी न फैलाएं। तीर्थ दर्शन बाद मन में रहने वाले किसी एक बुराई का परित्याग अवश्य करें एवं एक अच्छे गुण को ग्रहण कर उसका आजीवन पालन करें। ऐसा करने से तीर्थ जाने पर जो समय खर्चा आदि लगता है उसका सही लाभ घर परिवार व समाज को प्राप्त हो जाता है।
विदित हो कि -प्रयागराज को तीर्थो का राजा हमारे शास्त्रों में बताया गया है। प्रात: स्मरणीय गोस्वामी तुलसी दास जी प्रयागराज की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि – जहां गंगा जमुना सरस्वती का पवित्र संगम है। जिस तीर्थराज प्रयाग को देखकर कर आनंद और सुख के सिंधु भगवान श्रीरामचंद्रजी भी सुख की अनुभूति करते हैं ऐसे तीर्थ राज की महिमा का वर्णन भला कौन कर सकता है। तीर्थराज प्रयाग में जाकर स्नान करने दर्शन करने से कलयुग के समस्त पापों का समन हो जाता है। जिनके पास धन है व जिनके शरीर स्वस्थ हैं, ऐसे लोगों को जीवन में एक दो बार तीर्थ राज प्रयाग का अवश्य दर्शन करना चाहिए। यदि संभव हो तो इस वर्ष लगने वाले कुंभ में जाकर वहां होने वाले सत्संग, कथा कीर्तन, साधु महात्माओं का दर्शन एवं संगम स्नान कर मनुष्य जीवन का लाभ अवश्य उठा लेना चाहिए, क्योंकि मनुष्य का तन क्षणभंगुर है। इसका कोई ठिकाना नहीं है कि यह कब समाप्त हो जाए। मानस प्रवक्ता श्याम सुंदर पटेल ने और कहा कि तीर्थ में किया हुआ कोई भी कार्य अक्षय होता है इसलिए तीर्थ में जाकर के मनुष्य को श्रेष्ठ कार्य ही करना चाहिए। पुण्य कर्म करने पर तीर्थ में उसका फल कई गुना बढ़ जाता है। इसी तरह तीर्थ में जाकर पाप कर्म करने पर उसका परिणाम भी कई गुना बढक़र कष्टकारी हो जाता है। इस लिए तीर्थ में बुरे काम के बारे में कभी सोचना भी नहीं चाहिए। तीर्थ में जाने पर छोटे-छोटे धंधा कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले रिक्शा चालक, साग भाजी या अन्य प्रकार के धंधा करने वाले लोगों से ज्यादा मोल भाव करके अपने समय का नुकसान नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को एक दो रूपया अधिक दे देना ज्यादा पुण्य का काम होता है। तीर्थ में जाने पर अंधे लूले लंगड़े आदि को यथाशक्ति दान भी करना चाहिए।
तीर्थ में जाने पर श्रेष्ठ कार्य ही करें : श्यामसुंदर
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