खरसिया। छत्तीसगढ़ का लोकपर्व छेरछेरा सोमवार को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों में खासा उत्साह देखा गया, उन्होंने घर-घर जाकर छेरछेरा मंगा और किसानों ने दिल खोलकर धान और पैसे दान में दिये। वहीं घर-घर में यह त्योहार छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध बड़े और सोहारी बनाकर मनाया गया।
हालांकि समय के साथ लोकपर्व छेरछोरा भी बदलता सा नजर आ रहा है। पहले पुरुष और महिलाऐं गांव में टोली बनाकर डंडा नृत्य करते थे, यादव समाज के लोग भी अपनी पारम्परिक वेशभूषा पहनकर ढोल निशान और मंजीरा के साथ घर-घर जाकर राऊत नाचा का प्रदर्शन करते और दान मांगते थे। परंतु आज के दौर में पुरखों की कला संस्कृति और परंपरा को लोग भूलते जा रहे हैं।
अब आ गया डिजिटल छेरछेरा
जहां सब कुछ डिजिटल हो रहा है, तो छेरछेरा का यह पर्व भी क्यों पीछे रह जाए? संभवत इसीलिए छेरछेरा का दान मांगने के लिए लोग गूगल-पे पेटीएम और फोनपे का उपयोग कर रहे हैं। वहीं इस नये चलन से दूर-दराज बैठे अपनों से भी दान लेना सुलभ हो गया है।