जशपुर/कोतबा। छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कोतबा में आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के द्वितीय दिवस देवपूजन कार्यक्रम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या का आगमन धर्मनगरी कोतबा में हुआ। इस अवसर पर कोतबा नगरवासियों ने पूरे उत्साह के साथ उनका स्वागत अभिनंदन किया।यज्ञ आयोजन के द्वितीय दिवस देव आवाहन, तत्ववेदी, सर्वतोभद्र, सप्तऋ षि पूजन के साथ यज्ञाग्नि प्रवेश उपरांत यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र की आहुतियां समर्पित की गईं।
डॉ चिन्मय पंड्या के आगमन पर गायत्री महायज्ञ समिति के अध्यक्ष बसंत गुप्ता, प्रकाश यादव, उमाशंकर भगत, सवित निखाड़े, महेश अग्रवाल,डीआर चौहान समेत गायत्री परिजनों ने पगड़ी पहनाकर उन्हें सम्मानित किया।इस अवसर पर गुरुसत्ता के रुप में स्थापित सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा पर श्री पंड्या ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के साथ युग निर्माण की पताका फहराते हुए पूजन अर्चन किया। उक्त कार्यक्रम में शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे डॉ चिन्मय पंड्या के मुखारविंद से ज्ञान गंगा प्रवाहित हुई।श्री पंड्या ने यज्ञशाला में उपस्थित श्रद्धालुओं से भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के महान मूल्यों पर आधारित अपने विचार साझा किए।उन्होंने गायत्री माहात्म्य का वर्णन किया और गायत्री महामंत्र की महिमा बताई।
श्री पंड्या ने बताया कि जीवन में सौभाग्य एक बार आता है।ऐसा समय जब आता है तो हम श्रेष्ठता से जुड़ते हैं, श्रेष्ठ लोगों के सान्निध्य में आते हैं, श्रेष्ठ कर्म करने की ओर अग्रसर होते हैं। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हमें परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्री राम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के माध्यम से मां गायत्री से जुडऩे का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।इस यज्ञ आयोजन में पधारे श्रद्धालुओं से उन्होंने कहा कि जो भी परिजन यहां पहुंचे हैं वे परम सौभाग्यशाली हैं जिन्हें जीवन में परिवर्तन का अवसर मिला है। उन्होंने गुरु और गायत्री से जुडऩे पर जीवन में बड़े परिवर्तन की बात कही।विचारों में परिवर्तन के माध्यम से ही व्यक्तित्व निखरता है।जिसके बाद राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त होता है।जिस शक्ति से जुडऩे का मौका हमें मिला वह विरलों को मिलता है।गुरु हमारे जीवन में सुधार के लिए संकट लाते हैं और उबारने का काम भी वही करते हैं।आज इस यज्ञ के माध्यम से हमारे जीवन में देवत्व की संभावना जगी है हम यहां शामिल हुए हैं तो यह गुरु की प्रेरणा है जिसे शिरोधार्य करते हुए हमें विश्व कल्याण की कामना के साथ मनुष्य में देवत्व का उदय करते हुए इस धरती को स्वर्ग बनाने की दिशा में कार्य करना है।
अपने अंदर के देवत्व को जगाएं – श्री पंड्या
श्री पंड्या ने कहा कि हमारे भीतर के देवता जाग गए तो हममें देने का भाव जागृत होता है।असली देवता वे हैं जो समाज के कल्याण के लिए अपना श्रम दें,समय दें। आज यहां से संकल्प लेकर जाएं कि हम अपने अंदर के देवत्व को जगाएंगे और सतत समाज को सद्ज्ञान,सत्कर्म के साथ खुशियां बांटेंगे,संस्कारों को जागृत करेंगे।यज्ञ में उपस्थित परिजनों का यह कर्तव्य है कि वे ज्ञान के इस दिव्य प्रकाश को घर-घर और जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करें और अपने जीवन की सार्थकता सिद्ध करें। स्वागत विदाई के क्रम में डॉ. पंड्या ने उपस्थित विशिष्ट गायत्री परिजनों और छत्तीसगढ़ राज्य के जन प्रतिनिधियों को परम पुज्य गुरुदेव का साहित्य और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।