सरगुजा। सरगुजा जिले के अंतिम छोर पर उदयपुर विकासखंड के मतरिंगा क्षेत्र सहित कोरबा और रायगढ़ के सरहदी क्षेत्र के ग्रामीण हर साल श्रमदान कर 10 किलोमीटर के वनमार्ग को हर साल चलने लायक बनाते हैं। यह सडक़ तीन जिलों के 12 गांवों को आपस में जोड़ती है। इस सडक़ के कारण लोगों को 40 से 50 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय नहीं करनी पड़ती है। लोगों ने कई बार सडक़ के निर्माण की मांग रखी, लेकिन अब तक इसके लिए पहल नहीं हो सकी।
सरगुजा जिले के अंतिम छोर वनांचल क्षेत्र मतरिंगा और आसपास के दर्जनों गांवों के लिए 10 किलोमीटर वनमार्ग का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि सरगुजा, कोरबा और रायगढ़ के दर्जनों गांवों के लोग आपस में श्रमदान कर हर साल इस सडक़ को बनाते हैं। व्यवसायी और किसान चंदा कर सहयोग के लिए राशि एकत्र करते हैं।
तीन जिलों को जोड़ती है सडक़
सरहदी ग्राम पंचायत मतरिंगा की सीमाएं एक ओर रायगढ़ और दूसरी ओर कोरबा जिले की पहाडिय़ों से जुड़ी हैं। सरहदी वन क्षेत्र तक पहुंचने के लिए पक्की सडक़ बन गई है, लेकिन पहाड़ी होने के कारण दस किलोमीटर इलाका पहुंचविहीन हैं। इस कारण ये तीनों जिले के गांव आपस में नहीं जुड़ पाते और बारिश में दर्जनों गांवों के लोगों का आपसी संपर्क टूट जाता है।
हर साल करनी पड़ती है मरम्मत
बारिश में यह सडक़ बह जाती है। बारिश समाप्त होने और धान की कटाई, मिसाई का काम पूरा होने के बाद दर्जनभर से अधिक गांव के लोग इस सडक़ को बनाने के लिए श्रमदान करते हैं। मतरेंगा से धरमजयगढ़ पहाड़ तक सडक़ बनाई जाती है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर जनवरी में काम शुरू होता है। यह सडक़ जून तक काम आती है।
सरगुजा जिले के ग्राम पंचायत मतरिंगा, मरैया, सितकलो, बड़े गांव, पनगोती, केसमा, केदमा सहित दर्जनों गांवों के लोग आपसी सहयोग चंदा एवं श्रम दान कर सडक़ बनाते हैं। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ ब्लॉक के अमलडि़हा, जलडेगा के लोग श्रमदान करते हैं। कोरबा जिले के अमलडि़हा, किण्डा, जलडेगा, बताती, रूवाफूल, समकेता गांव अपने हिस्से की सडक़ बनाते हैं। यह सडक़ धार्मिक स्थल झगराखांड को भी जोड़़ती है।
हजारों लोगों करते हैं आवागमन
यह सडक़ दर्जनों गांवों के हजारों लोगों के धार्मिक ,समाजिक, व्यवसायिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से संजीवनी का काम करता है। हाट-बाजार और व्यवसाय के लिए इस वनमार्ग का उपयोग होता है। इस सडक़ के बनने से 40 से 50 किलोमीटर की दूरी आवागन के लिए कम हो जाती है।
लोगों को उम्मीद- सीएम सुनेंगे गुहार
ग्राम पंचायत मतरिंगा के सरपंच गाड़ा राम ने कहा कि यह सडक़ अत्यंत महत्वपूर्ण है। शासन प्रशासन से कई बार मांग की गई। हर साल दर्जनों गांव के लोग आपस में बैठकर श्रमदान, जन सहयोग, चंदा के माध्यम से सडक़ बनाकर आवागमन करते हैं। मुख्यमंत्री से उम्मीद है कि वे हमारी गुहार सुनेंगे। केदमा के व्यवसायी एकनाथ यादव का कहना है कि यह मार्ग हर हाल से बनना चाहिए, ताकि तीन जिले के लोग निर्वाध रूप से आवागमन कर सकें। सडक़ बनने के बाद पांच माह तक सडक़ का लाभ मिलता है। जनप्रतिनिधियों से भी कई बार सडक़ बनाने की मांग की जा चुकी है।
3 जिलों को जोडऩे 10 किमी सडक़ बनाने श्रमदान
सरकार से कई बार मांग, लेकिन नहीं बनी रोड, सरगुजा के 12 गांव के लोग करेंगे चंदा
