रायगढ़। विपक्ष की भूमिका में बैठी कांग्रेस पार्टी इन दिनों कई जिलों में जिला शहर अध्यक्ष और ग्रामीण जिला अध्यक्ष पद की नवनियुक्ति पर विचार विमर्श कर रही है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद से प्रदेश के कई जिलों में कांग्रेस जिला अध्यक्ष परिवर्तन के मूड में देखी जा रही है, जिसमें रायगढ़ जिला भी प्रमुख रूप से शामिल है, यहां पर पिछले चार वर्षो से जिला शहर अध्यक्ष और पिछले 7 वर्षो से ग्रामीण अध्यक्ष में बदलाव नहीं किया गया है।
रायगढ़ जिला से सारंगढ़ पृथक होने के बाद अब कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व रायगढ़ की कमान नए लोगों को सौंपना चाहती है। जिला कांग्रेस में शहर सहित ग्रामीण अध्यक्ष में बदलाव होना है इसी को लेकर इन दिनों कांग्रेस में खूब खींचातानी चल रही है, रायगढ़ से सारंगढ़ पृथक होने के बाद रायगढ़ जिले में अब कुल चार विधानसभा क्षेत्र ही शेष रह गए हैं, इसमें एक मात्र केवल रायगढ़ विधानसभा भाजपा के पास है तो वहीं लैलूंगा, खरसिया और धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का जलवा इसबार भी है। बता दें विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पूरे जिले में निराशा का सामना करना पड़ा है लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से कांग्रेस संगठन जिला शहर कांग्रेस अध्यक्ष और ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने पर जोर दे रही है।
जिला शहर अध्यक्ष और ग्रामीण अध्यक्ष में बदलाव पर अब राजनीति गर्म हो गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश कांग्रेस की सह प्रभारी जरिता लैतफलांग लगातार दौरे पर रायगढ़ पहुंची रही है। इस दौरान उन्होंने जिला कांग्रेस शहर और ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर जिला भर से आए वरिष्ट नेताओं सहित युवा कांग्रेस अध्यक्ष एनएसयूआई और समस्त कांग्रेस कार्यकर्ताओं से वन टू वन मुलाकात भी कर चुकी है।
सूत्रों की माने तो कहा जा रहा है कि आने वाले नगर निगम चुनाव से पहले ही जिला कांग्रेस शहर अध्यक्ष और जिला पंचायत चुनाव से पहले जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष बदले जा सकते हैं इसकी तैयारी कांग्रेस पार्टी कर रही है। लेकिन पार्टी को विपक्ष को ध्यान में रखते हुए मजबूत अध्यक्ष बनाने की तैयारी में जुटी हुई है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद दावेदारी की चर्चा यू ही गरम नही हो रही है यहां आने वाले नगर निगम चुनाव में अपनी अपनी राजनीति चमकाने को भी खींचतान होना है इसके अलावा विधानसभा चुनाव पर दावेदारी की अभी से तैयारी की जा रही है, यही कारण है कि शहर अध्यक्ष और ग्रामीण अध्यक्ष पर सबकी नजरे गड़ी हुई है दिलचस्प बात यह है कि वर्तमान जिला अध्यक्ष बने हुए हैं वे भी अपने ओर से एक नेता को आगे करके दावेदारी पेश करा रहे है ताकि उनकी पार्टी में मजबूती बनी रहे।
राजनीतिक जानकारों की माने तो यह केवल अध्यक्ष पद पाने की लड़ाई नहीं है यहां अभी से ही आने वाले चुनाव में अपनी अपनी राजनीति चमकाने का एक बड़ा प्रयास है लेकिन कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व भी इससे बात से परे नहीं है इसलिए उन्हे भी आगामी चुनावों को देखते हुए ही निर्णय लेना है प्रदेश नेतृत्व रायगढ़ को लेकर बेहद गंभीर है। क्योंकि रायगढ़ जिला में भाजपा के दिग्गज नेताओं की राजनीति हावी है। ऐसे में अब यहां पर कांग्रेस सुलझे हुए नेताओं को ही बागडोर सौंप सकती है राजनीतिक सूत्रों की माने तो जिला कांग्रेस ग्रामीण की दौड़ चाहे जितने लोग भी लगाए लेकिन प्रदेश कांग्रेस संगठन भी गम्भीर है।
प्रदेश कांग्रेस संगठन रायगढ़ जिला में हल्का निर्णय बिल्कुल भी नही लेगी। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार रायगढ़ जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष इस बार आदिवासी समाज से बनाया जा सकता है। वहीं शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर पिछड़ा वर्ग या फिर सामान्य वर्ग में से किसी एक वरिष्ठ नेता को महत्व दिया जा सकता है आदिवासी समाज से जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस आने वाले जिला पंचायत चुनाव के साथ पार्टी को आगामी चुनाव के लिए भी मजबूत कर सकती है।