धरमजयगढ़। प्रदेश में सरकारी सुशासन के तमाम दावों के बावजूद अब भी कई मामलों में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली आशा के विपरीत नजर आती है। यही नहीं जब मामला भ्रष्टाचार और अनियमितता से जुड़ा हो तो ऐसे केस की गोपनीयता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारी की मनमानी और बढ़ जाती है। यहां तक कि आर टी आई एक्ट जैसे कानून का खुलेआम उल्लंघन करने से भी कोई गुरेज नहीं करते हैं।
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें रिमाइंडर के बाद भी अधिकारी किसी तरह की कार्यवाही करने से बचते नजर आ रहे हैं। हालांकि, यह दस्तावेजों तक आसान पहुंच को बाधित करने का प्रयास है। अधिनियम के प्रावधान के अनुसार यह जानबूझकर सूचना से वंचित किए जाने का कृत्य है। ऐसा नहीं है कि आर टी आई से जुड़े सभी प्रकरणों की डील इसी तरह की जाती है। अधिकांश मामलों में वांछित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते है। लेकिन शायद यह मामला विषेश होने के कारण अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। यह मामला पौधरोपण कार्य के प्रमाणक से जुड़ा हुआ है। जाहिर सी बात है कि इस मामले में अधिकारियों के कलम पहले ही चल चुके हैं और अब आरटीआई के तहत जानकारी देने में शायद उनके हाथ कांप रहे हैं।