रायगढ़। आज 11 सितंबर को किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा 1893 में हुए शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन की 130वीं वर्षगांठ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारत के प्रतिनिधि के रूप में स्वामी विवेकानंद जी के उत्कृष्ट एवं प्रभावशाली वक्तव्य एवं विचारों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती एवं स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। इसके पश्चात माननीय अतिथियों के द्वारा उक्त विषय पर वक्तव्य रखे गए। वक्तव्य की प्रथम कड़ी में मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शारदा घोघरे द्वारा विवेकानंद जी के संबंध में विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विवेकानंद जी ने विश्व धर्म सम्मेलन में भारत के गौरव एवं भारत की संस्कृति को उजागर किया एवं विश्व को भारत की ताकत बताई। इसके पश्चात अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक श्री राकेश गिरी सर ने अपना वक्तव्य रखा उन्होंने विवेकानंद जी को युवाओं का प्रेरणा स्रोत बताया और कहा कि पूरे विश्व में विवेकानंद जैसी विभूतियों सदियों में एक बार आते हैं। तत्पश्चात छात्र-छात्राओं के द्वारा भी वक्तव्य रखे गए परिचर्चा के अगले क्रम में इतिहास विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रताप चौधरी के द्वारा विवेकानंद जी के जीवन दर्शन पर उद्बोधन दिया। उन्होंने विस्तृत रूप से 1893 में शिकागो में विवेकानंद जी द्वारा दिए गए भाषण के एक-एक पंक्ति से सभी को परीचित कराया एवं उन्हें अपने जीवन में अनुसरण करने की सलाह दी। इसके पश्चात हिंदी विभाग के अतिथि व्याख्याता सौरभ सराफ के द्वारा उद्बोधन दिया गयाउन्होंने विवेकानंद जी के आध्यात्मिक विचारों पर प्रकाश डाला और विवेकानंद को भारतीय सभ्यता संस्कृति का उद्घोषक निरूपित किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में इतिहास विभाग के अतिथि व्याख्याता प्रशांत विश्वकर्मा द्वारा विवेकानंद जी पर विस्तृत चर्चा की गयी। उन्होंने विवेकानंद जी के 11 प्रेरक वाक्यों को उदाहरण एवं कहानियों के रूप में समझाया और उसे अपने जीवन में उतारने के लिए कहा उनका मानना है कि यदि हम विवेकानंद जी के विचारों को एक प्रतिशत भी अपने जीवन में उतार लेते हैं तो हमारा जीवन सौ प्रतिशत सफल हो सकता है कार्यक्रम का संचालन प्रो. अर्जुन झा द्वारा किया गया और इस प्रकार उनके द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। अंत में वृक्षारोपण के साथ ही कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में इतिहास, हिंदी साहित्य, मनोविज्ञान एवं अर्थशास्त्र के छात्र-छात्राओं ने अपनी सहभागिता दी।