रायगढ़। आज से ठीक 14 वर्ष पूर्व रायगढ़ सहित आसपास के चार से पांच जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं का भारी आभाव था जिसे देखते हुए रायगढ़ शहर के माटी पुत्र डॉक्टर प्रकाश मिश्रा ने शासकीय सेवा से सेवानिवृत होकर अंचलवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का सपना संजोया और मेट्रो हॉस्पिटल की स्थापना की थी। जो आज श्री बालाजी मेट्रो हास्पिटल के नाम से जाना जाता है। जिसके आज 14 बरस पूरे हो गए हैं और श्री बालाजी मेट्रो हॉस्पिटल से लोगों को महानगरों की तर्ज पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है जिससे गंभीर से गंभीर मरीजों को अब भटकना नहीं पड़ रहा है।
शहर के पहाड़ मंदिर रोड स्थित 400 बिस्तर वाले श्री बालाजी मेट्रो अस्पताल का संचालन एम.डी. डॅा. प्रकाश मिश्रा के नेतृत्व में चल रहा है। हालांकि चिकित्सक डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र नायक व डायरेक्टर प्रभात पटेल का मिल रहा परामर्श इस हास्पिटल को लगातार बेहतर स्वाथ्य सुविधाएं मिलने के नाम से जाना जा रहा है। जहां देश व प्रदेश के नामी-गिरामी चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं और शत्-प्रतिशत बीमारियों का यहां उपचार किया जा रहा है। श्री बालाजी मेट्रो हॉस्पिटल में केंद्र व राज्य शासन द्वारा संचालित योजनाओं का भी सुचारू रूप से क्रियान्वयन हो रहा है, जिसका मरीजों को भरपूर लाभ मिल रहा है। 400 बिस्तर वाले श्री बालाजी मेट्रो हॉस्पिटल में चिकित्सा से संबंधित 11 विभाग संचालित हैं, साथ ही आपातकालिन सेवा के लिए बीमारी से संबंधित डॉक्टरों की मौजूदगी भी सुनिश्चित की गई है। श्री बालाजी मेट्रो हॉस्पिटल में चिकित्सा के संबंधित विभागों के ओपीडी सेवा भी उपलब्ध है। श्री बालाजी मेट्रो हास्पिटल जिले के एकमात्र ऐसा हास्पिटल है जो एन.ए.बी.एच द्वारा प्रमाणित है।
श्री बालाजी मेट्रो हास्पिटल में उपलब्ध विशेषज्ञ चिकित्सक
वर्तमान में श्री बालाजी मेट्रो हास्पिटल में चिकित्सा संबंधित विभाग प्रमुखों में डॉ. मनोज पटेल (मेडिसीन विभाग), डॉ. नितिश नायक (न्यूरो सर्जरी विभाग), डॉ. विलियम एलेक्जेंडर नंदा (हृदय रोग विभाग), डॉ. अजीत पटेल (मूत्र रोग विभाग), डॉ. राजू पटेल (लेप्रोस्कोपिक सर्जरी), डॉ. यश चड्ढा (केंसर रोग विभाग), डॉ. स्वाती पी. मिश्रा (स्त्री रोग विभाग), डॉ. जयश्री शानभाग (शिशु रोग विभाग), डॉ. प्रभात पटेल (नेत्र रोग विभाग), डॉ. रश्मि नाम्बियार (नाक-कान-गला विभाग), डॉ. यू.एस. गुप्ता (एनिस्थिसिया विभाग), डॉ. गौतम शर्मा (फिजियोथेरेपी विभाग), डॉ. अंजली चौधरी (डायटिशियन) अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
हास्पिटल की प्रत्येक गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं एम.डी.
श्री बालाजी मेट्रो हास्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. प्रकाश मिश्रा हास्पिटल में चलने वाली हर गतिविधियों पर बारिकी से नजर रखते हैं, प्रति दिन सुबह 10 बजे हास्पिटल पहुंचकर सबसे पहले आई.सी.यू. में भर्ती अति गंभीर मरीजों की प्रोग्रेस रिपोर्ट की जांच कर मौजूद चिकित्सक व अन्य स्टाफ से मरीज के संबंध में जानकारी लेकर दिशा-निर्देश देते हैं, उसके बाद जनरल वार्ड में जाकर प्रत्येक मरीज से उसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट जांच करने के बाद प्राईवेट वार्ड में जाकर मरीजों की जांच कर उनका हाल-चाल जानने के बाद जल्द ही स्वस्थ होने की बात कहते नजर आते हैं यही नहीं मरीजों के डाईट व समय पर दवा दी जा रही है या नहीं उसका बखूबी ध्यान रखते हैं। बीमारी के दौरान मरीज को किस तरह का आहार देनाहै उसे मरीज के परिजनों को बताते हैं। हास्पिटल के कैन्टीन से मरीजों को दिये जाने वाले खाना व आहार का वे दिन प्रतिदिन टेस्ट करते हैं जिससे खाना की गुणवत्ता भी परखी जाती है।
व्यवस्था से मरीजों को नही होनी चाहिए परेशानी
श्री बालाजी मेट्रो हास्पिटल में एडमिनिस्टर (प्रबंधक) दिनेश कुमार त्रिपाठी (बालू) प्रारंभ से ही कार्य देेख रहे हैं। आज से 14 वर्ष पूर्व सन् 2010 में जब मेट्रो हास्पिटल की स्थापना हुई थी तब से लेकर आज तक बालू त्रिपाठी ने प्रबंधक का कार्य पूरी ईमानदारी के साथ निभाते आ रहे हैं। चिकित्सक स्टाफ से लेकर 24 घंटे सुचारू रूप से चलने वाले एम्बुलेंस व्यवस्था, कैन्टीन व्यवस्था व हास्पिटल परिसर में स्थित दवा दुकान के आलावा सफाईकर्मियों पर इनकी विशेष नजर रहती है। जरा सी भी अव्यवस्था होने पर लापरवाह लोगों को अपने स्वभाव के अनुरूप समझाने में कोई कोताही नहीं बरतते हैं। हास्पिटल में जरा सी भी गंदगी इन्हें बर्दाश्त नहीं होती है। हास्पिटल परिसर में स्थित कैन्टीन में जाकर वहां की साफ-सफाई को देखना इनकी दिनचर्या बन गई है। सुबह 10 बजे अस्पताल परिसर में आते ही सबसे पहले अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों की मीटिंग कर उन्हें दिशा-निर्देश देना इनका स्वभाव है। परिसर में स्थित पार्किंग व्यवस्था दुरूस्त न होने पर सुरक्षाकर्मियों को फटकारने में भी कोई गुरेज नहीं करते हैं। कुल मिलाकर हास्पिटल की हर व्यवस्था पर बालू त्रिपाठी की पैनी नजर रहती है। बालू त्रिपाठी का मानना है कि बेहतर ईलाज के लिए आने वाले मरीज व उनके परिजनों को हास्पिटल व्यवस्था से किसी प्रकार की काई परेशानी नहीं होनी चाहिए यही उनका मुख्य उदेश्य है।