बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर, रायपुर और नागपुर मंडलों में वर्ष 2010-11 से हरित विद्युत ऊर्जा के उत्पादन के लिए कार्यालय एवं स्टेशन भवनों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सक्रिय रूप से कार्य किया जा रहा हैं।
सौर ऊर्जा संयंत्रों की विशेषताएँ
सौर ऊर्जा संयंत्र तत्काल उपयोग के लिए ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं, इसे बैटरी में संग्रहीत किया जा सकता है, या अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड में वापस भेजा जा सकता है। सोलर पैनल फोटोवोल्टिक प्रभाव का उपयोग करके प्रकाश को विद्युत धारा में परिवर्तित करते हैं।
सौर ऊर्जा उत्पादन का विकासक्रम
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने 2010-11 में केवल 5 किलोवाट के संयंत्र से शुरुआत की थी। वर्तमान में अब तक, 5451 किलोवाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यालय एवं स्टेशन भवनों की छतों पर स्थापित किए जा चुके हैं। ये संयंत्र प्रतिमाह लगभग 3.8 लाख यूनिट ऊर्जा उत्पन्न कर रहे हैं, जिससे रू. 10.1 लाख की बचत हो रही है। इसके अलावा, हर महीने 315.2 टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ-2) के उत्सर्जन में कमी आई है। सौर पैनलों की सफाई के लिए नवाचार- सौर पैनलों के कुशल प्रदर्शन के लिए नियमित सफाई आवश्यक है। इस उद्देश्य से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ज़ोन ने यंत्रीकृत सफाई प्रणाली विकसित की है।
भविष्य की योजनाएँ
स्थापना कार्य स्वीकृत- बिलासपुर, रायपुर और नागपुर मंडलों में 7776 किलोवाट सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए ?34.6 करोड़ की लागत से कार्य स्वीकृत किया गया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में स्थापित किए गए सौर ऊर्जा संयंत्र 139 कार्यालय भवनों की छत पर। 2280 आवासीय क्वार्टरों की छत पर। 175 प्लेटफॉर्म शेल्टर/स्टेशन भवनों पर। अपेक्षित परिणाम- प्रतिमाह लगभग 5.4 लाख यूनिट विद्युत ऊर्जा का उत्पादन। रू. 14.40 लाख की बचत। 449.5 टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ-2) के उत्सर्जन में कमी। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का उद्देश्य अधिक से अधिक उपलब्ध स्थानो का उपयोग कर सौर ऊर्जा का उत्पादन को बढ़ावा देकर राष्ट्र की प्रगति में योगदान देना है।