रायगढ़। प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव के लिए 15 से 20 दिसंबर के बीच आचार संहिता लागू हो सकती है। निकाय चुनाव के लिए वोटर लिस्ट 11 दिसंबर तक फाइनल की जा सकती है। निकायों को लेकर जब 11 दिसंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। इसके तीन से चार दिन बाद वार्ड वार आबादी के अनुसार आरक्षण की सूची आएगी। इसमें तय होगा कि किस वार्ड से ओबीसी, एससी-एसटी नेता चुनाव लड़ेंगे।
कैबिनेट बैठक में सरकार ने निकायों में 50 प्रतिशत आबादी के हिसाब से ओबीसी आरक्षण देने का फैसला लिया था। अब इसे राज्यपाल की सहमति से राजपत्र में शामिल कर दिया गया है। इससे पहले ओबीसी को 25 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जाती रही है। ये शर्त भी रखी गई है कि जिन इलाकों में एसटी-एससी का जहां पहले से ही आरक्षण 50 प्रतिशत या इससे ज्यादा है तो वहां ओबीसी को आरक्षित नहीं किया जाएगा।
ईव्हीएम के साथ बैलेट पेपर पर हो सकता है चुनाव
2019 में हुआ पिछला नगर निगम चुनाव बैलेट पेपर से हुआ था। इस बार चर्चा है कि नगर निगम, पालिका और पंचायत ये तीनों के चुनाव एक साथ होंगे। एक साथ इनका ऐलान होगा। हालांकि ये अलग-अलग चरण में होंगे। शहरी चुनाव यानी की नगर निगम के चुनावों में ईव्हीएम और पंचायत के चुनावों में बैलेट पेपर के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है। बैलेट पेपर की जरूरत इस वजह से पड़ सकती है, क्योंकि ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे। पिछली बार निकाय चुनाव में मतदाताओं ने एक-एक वोट डाले थे, लेकिन इस बार पार्षद, मेयर और अध्यक्ष के लिए अलग-अलग वोट डाले जाएंगे।
पार्षदों की उधेड़बुंद शुरू
नगरीय निकाय चुनाव के लिए अभी न तो आरक्षण हुआ है और न ही आचार संहिता की तिथि घोषित हुई है, लेकिन निगम क्षेत्र के दर्जनभर से अधिक पार्षदों ने चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। नगर निगम के मठाधीश पार्षदगण अब अपने-अपने वार्ड के लोगों से भेंट-मुलाकात के अलावा उनके कामों के प्रति सजग देखे जा रहे हैं और ये अपने वार्ड के गली-मोहल्लों में घुमते-फिरते आम लोगों की राय जानने का कयास लगा रहे हैं। हालांकि रायगढ़ नगर निगम में मेयर भले ही कांग्रेस की हो लेकिन फिलहाल भाजपा के पक्ष में माहौल देखने को मिल रहा है।
ओबीसी वर्ग के लिए कुछ वार्ड आरक्षित हो जाएंगे
अब इससे ये माना जा रहा है कि रायगढ़ नगर निगम में ओबीसी वर्ग के लिए कुछ वार्ड आरक्षित हो जाएंगे। शहर में कई ऐसे इलाके हैं, जहां ओबीसी आबादी अधिक रहती है, तो ओबीसी वार्ड की संख्या बढ़ेगी। जिन इलाकों में आदिवासी आबादी अधिक है, वहां ओबीसी को मौका नहीं मिलेगा।
भाजपा और कांग्रेस नेताओं को आरक्षण आदेश का इंतजार
आरक्षण सूची जारी होनी है। इसमें तय होता है कि अलग-अलग वार्डों से पार्षद चुनाव में ओबीसी, महिला, एसटी या एससी वर्ग के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेंगे। इसी तरह इस बार माना जा रहा है कि मेयर पद को लेकर भी प्रदेश के सभी नगर निगमों में इसी दिन आरक्षण सूची जारी होगी। इसके चलते भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता आरक्षण आदेश का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि दोनों ही दलों के नेताओं ने अपने स्तर पर लॉबिंग शुरू कर दी है।