रायगढ़। प्रतिबंधित कफ सिरफ फेंसीडिल को गलत ढंग से विक्रय करने के लिये प्रतिष्ठान के इनवाईस में कूटरचित दस्तावेज तैयार करने तथा लोगों को नशे के लिये प्रेरित करने के एक महत्वपूर्ण मामले में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री के विशेष न्यायालय ने आरोपी सांवरिया गोयल प्रो. प्रगति इंटर प्राईजेस गांधीगंज को दोषी करार देते हुए डेढ साल सश्रम कारावास और 2 लाख रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि कार्यालय उप संचालक खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग रायगढ़ में औषधि निरीक्षक के रूप में पदस्थ कमल कांत पाटनवार को विभाग के निर्देशानुसार 05 मार्च 2011 को मे. प्रगति इंटर प्राईजेस गांधी गंज रायगढ़ का निरीक्षण करने पर प्रतिष्ठान में औषधि फेंसीडिल कप सिरप 100 एमएल बैच नंत्र. पीएचवी 0265 निर्माता एबॉट हेल्थ केयर प्रा.लि. ग्राम भतौली खुर्द पोस्ट बड्डी जिला सोलन हिमाचल प्रदेश विक्रय हेतु रखा गया 1310 बॉटल पाया गया। उक्त औषधि फेंसीडिल में संघटक कोडिन फॉस्फेट मिलाया जाता है जिसके कारण औषधि की अधिक मात्रा लेने पर नशा आने लगता है। उसी समय परिवादी द्वरा 1310 बॉटल औषधि को प्रपत्र 15 में आगामी 20 दिवस तक विक्रय न करने हेतु कार्रवाई की गई तथा आरोपी सांवरिया गोयल की सुरक्षत अभिरक्षा में सौंपा गया। बाद में सेल इनवाईस की जांच करने पर पाया गया कि आरोपी के फर्म द्वारा अधिकांश औषधि फेंसीडिल को छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर की फर्मो को विक्रय किया गया था। अत: बिहार राज्य स्थित पटना व गया की संबंधित फर्मो का परिवादी औषधि निरीक्षक द्वारा परीक्षण किया गया तथा संबंधित फर्म के संचालकों संबंधितों के बयान व निरीक्षण में पाया गया कि मे. प्रगति इंटर प्राईजेस रायगढ़ द्वारा दिखाये गए सेल इंनवाइस में उल्लेखित फर्म या तो काफी पहले से बंद पाई गई अथवा संबंधित फर्म द्वारा मे. प्रगति इंटरप्राईजेस से किसी भी प्रकार का व्यापारिक संबंध होनें से इंकार करते हुए उक्त औषधि की खरीदी किये जाने से मना किया गया। जांच में यह प्रमाणित हुआ कि सांवरिया गोयल द्वारा प्रतिबंधित कफ सिरप फेंसीडिल की बिक्री के लिये कूटरचित सेल इंनवाईस तैयार किया गया। जिससे ऐसी संभावना है कि उक्त फेंसीडिल कफ सिरप को नशा करने के आदि व्यक्तियों अथवा लोगों को नशा की ओर प्रेरित करने हेतु कार्य करने वाली फर्मो को बिक्री किया गया तथा जान बूझकर राज्य से बाहर की फर्मो का कूटरचित इनवाइस औषधि निरीक्षक को प्रस्तुत किया गया।
निरीक्षण उपरात खाद्य निरीक्षक द्वारा आरोपी के विरूद्ध औषधि व प्रसाधन सामग्री नियम 1945 के नियम 65 (4) (5) (6) का उल्लंघन होनें के कारण धारा 18 ए (6), 27 डी औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्टेऊट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। जहां से प्रकरण न्यायिक मजिस्टेऊट प्रथम श्रेणी रायगढ़ से होते हुए औषधि एवं प्रसाधन सामग्री के विशेष न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार जैन की अदालत में पहुंचा। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान न्यायालय को इस बात के प्रमाण मिले की आरोपी के द्वारा ड्रग एण्ड कास्मेटिक एक्ट 1-2020 का उल्लंघन किया गया है। इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई पश्चात विद्वान न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार जैन ने इस प्रकरण में फैसला सुनाते हुए आरोपी सांवरिया गोयल प्रो. प्रगति इंटर प्राईजेस को दोषी करार देते हुए उपरोक्त धाराओं में डेढ साल के सश्रम कारावास और 2 लाख रूपये के जुर्माने से दंडित किया है। निर्णय में अर्थदण्ड न पटाने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगताने की व्यवस्था दी गई है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक पंचानन गुप्ता ने पैरवी की।