धरमजयगढ़। प्रदेश सरकार भले ही एक ओर सुशासन का दावा कर रही हो, लेकिन दूसरी तरफ राजस्व विभाग के कुछ कारिंदो की कार्यशैली पूर्ववत बरकरार है। हालात कुछ ऐसे हैं कि गांधी विचारधारा के बजाय गांधी छाप कागजों का जलवा बिखर रहा है। इस विभाग में इसके बुते जो चाहे वो काम अपने तरीके से निबटा सकते हैं, कोई भी नियम कानून इसके आड़े नहीं आ सकता है। कुल मिलाकर कहें तो खुलेआम सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और जिम्मेदारों को सिफऱ् अपनी जेब भरने से मतलब है। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ राजस्व विभाग का इतिहास हैरतअंजेग और कई अनैतिक कारनामों से भरा पड़ा है। हाल फिलहाल की कई गतिविधियों को देखने पर लगता है कि विभागीय जिम्मेदारों की कार्यशैली की स्थिति और बदतर होते जा रही है। निजी लाभ के लिए वे तमाम कवायद कर रहे हैं। धरमजयगढ़ तहसील क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें हल्का नंबर 33 में स्थित एक 7 एकड़ की जमीन का पहले दो असंबद्ध जाति वर्ग के व्यक्ति निर्मल और दीपक के बीच जमीन बटवारा कर लिया गया और इस के बाद तत्काल उस जमीन का डायवर्सन भी करा लिया गया। बता दें कि जिस भूमि का बंटवारा और डायवर्सन किया गया है वह कोल ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत आता है। इस प्रकार कोल ब्लॉक इलाके में प्रभावित भूमि का दो भिन्न जाति वर्ग के व्यक्ति के बीच संदिग्ध बटवारा किया गया और साथ ही उस करीब 5 एकड़ की जमीन का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग के लिए डायवर्सन हाल ही में कराया गया है।
नहीं हो सकता डायवर्सन
राजस्व विभाग के ज़मीनी मामलों का आधार स्तंभ माने जाने वाले पटवारी भी इस डायवर्सन को लेकर हैरान हैं और उन्होंने इस भूमि व्यपवर्तन को नियम विपरीत बताया है। इस मामले में क्षेत्र के अलग अलग तीन हल्का पटवारी से बात की गई। तीनों ने कहा कि यदि कोई भूमि किसी सार्वजनिक उपक्रम हेतु अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित है तो उसका डायवर्सन नहीं हो सकता है।
आरआई की रिपोर्ट संदिग्ध
इस पूरे मामले में आर आई की भूमिका संदिग्ध है। आर आई ने इस भूमि के डायवर्सन के केस में अपनी रिपोर्ट दी है। जिसमें उन्होंने इस जमीन को सार्वजनिक प्रयोजन हेतु अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित नहीं बताया है। जबकि यह भूमि दुर्गापुर एसईसीएल कोल ब्लॉक क्षेत्र में प्रभावित है। इसके अलावा यह भूमि शरणार्थी पुनर्वास के तहत संबंधित मूल भू स्वामी को सरकारी पट्टे पर आबंटित की गई थी। पुष्ट जानकारी के मुताबिक़ डायवर्सन के इस मामले में धरमजयगढ़ आरआई द्वारा दी गई रिपोर्ट में इसके अलावा भी कई ऐसे तथ्य हैं जिनके बारे में रेवेन्यू कोर्ट को गुमराह करने वाली जानकारी दी गई है। जिसके आधार पर इस भूमि का डायवर्सन किया गया है। यह मामला निजी लाभ का सिर्फ एक छोटा सा नमूना है। तहसील क्षेत्र के इस इलाके में हुए ऐसे कई अन्य कारनामों का सामने आना अभी शायद बाकी है।