रायगढ़। दीपावली के बाद से लगातार त्यौहारों का दौर शुरू हो जाता है। ऐसे में जहां रविवार को आंवला नवमी मनाया गया तो वहीं मंगलवार को देव उठनी एकादशी पर देर रात तक घर-घर में महिलाएं तुलसी-शालग्राम विवाह कार्यक्रम में जुटी रही, साथ ही वहीं बच्चे पटाखे जलाते नजर आए।
उल्लेखनीय है कि इस बार देवउठनी एकादशी मंगलवार को होने के कारण दो दिन पहले से ही लोग गन्ना व अन्य पूजा सामग्री की खरीदी में जुट गए थे। वहीं लोगों की मानें तो अब मंगलवार को देवउठनी एकादशी होने के बाद अब सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। जिसको लेकर लोग पूरे उत्साह के साथ तुलसी-शालीग्राम की पूजा-अर्चना किया। साथ ही एकादशी त्यौहार को लेकर दो दिन पहले से ही बाजार में बड़ी मात्रा में गन्ना पहुंच गया था, जिसे लोग पहले से ही खरीदी शुरू कर दिए थे। इस बार रायगढ़ जिला के अलावा अंबिकापुर और जशपुर से भी व्यवसायी गन्ना लेकर पहुंचे थे जो लोगों को खुब पसंद आया। इस संबंध में लोगों कहना है कि हिंदू धर्म में कार्तिक शुक्ल एकादशी को देव जागरण का पर्व माना गया है। इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जाग जाते हैं। इस पावन तिथि को देवउठनी ग्यारस या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। चार महीने से विराम लगे हुए मांगलिक कार्य भी मंगलवार से शुरू हो गए है। साथ ही कार्तिक पंच तीर्थ महास्न्नान भी इसी दिन से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है।
गन्ना व पूजा सामान से सजा था बाजार
देवउठनी एकादशी पर हिंदु धर्म में माता तुलसी के समक्ष गन्ना का मंडप बनाकर पूजा की जाती है, जिससे गन्ना, सकरकंद, सिंघाड़ा सहित अन्य फलों की विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस बार एक दिन पहले से ही बाजार पूरी तरह से सज गया था। साथ ही जिले के आसपास सहित अन्य जिले से भी व्यवसायी गन्ना लेकर पहुंचे थे, जो मंगलवार शाम तक जमकर बिक्री हुई है।
देवउठनी एकादशी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी व्रत का फल एक अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूर्य यज्ञ के बराबर होता है। एकादशी तिथि का उपवास बुद्धिमान, शांति प्रदाता व शांतिदायक है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। विष्णु पुराण के अनुसार किसी भी कारण से चाहे लोभ के वशीभूत होकर या मोह के कारण जो एकादशी तिथि को भगवान विष्णु का अभिनंदन करते है वे समस्त दुखों से मुक्त हो जाते हैं। इसी मान्यता को लेकर मंगलवार को घर-घर में तुलसी-शालीग्राम विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
शुरू हो गए मांगलिक कार्य
विगत चार माह से मांगलिक कार्यों पर विराम लगा था, लेकिन अब पंचांग के अनुसार मंगलवार को देवउठनी एकादशी से भगवान विष्णु पूरी सृष्टि का कार्यभार संभाल लिए हैं और इसी दिन से शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य भी शुरू हो गए है। जिस दिन भगवान विष्णु जागते हैं उस दिन सभी भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसे में एकादशी पर्व पर हिंदु धर्म में पूरे दिन उपवास रखकर शाम को श्रीहरि और माता तुलसी की शादी कराने की परंपरा है। जिससे मंगलवार को देर रात तक सभी घरों में तुलसी विवाह का कार्यक्रम कराया गया।
देव उठनी एकादशी पर तुलसी-शालीग्राम विवाह को लेकर उत्साह
फल-मुल व गन्ने की जमकर हुई खरीदी
