रायगढ़। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक बिसात में ओपी चौधरी का व्यक्तित्व राजनैतिक विश्लेषकों के लिए शोध का विषय है..प्रदेश स्तर ही नहीं बल्कि अब उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में स्थापित हो रही। पड़ोसी राज्य ओडिसा के वे स्टार प्रचारक रहे। सधी हुई रणनीति के तहत ओपी ने बीजद के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के करीबी पंड्यान को निशाने पर रखा ओपी के तीखे हमलों से घबराकर मुख्य मंत्री नवीन बाबू को सफाई देनी पड़ी। ओपी चौधरी को हाल में झारखंड राज्य के विधान सभा चुनाव में हजारी बाग जोन का प्रभारी बनाया गया ओपी दिन रात प्रचार अभियान में सहित रणनीति बनाने जुटे हुए है। ओपी के धुर विरोधी उनके खिलाफ पूरी ताकत से दुष्प्रचार में दिन रात लगे हुए है लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति सदैव समर्पित रहने वाले ओपी चौधरी का मानना है कि वे चाहने वाले के दिल में है या नफरत करने वालों के दिमाग में है। व्यक्ति गत कार्यों को तरहीज देने की बजाय सार्वजनिक कार्यों को महत्व देने वाले ओपी चौधरी का नजदीक से जानने वाले यह भली भांति जानते है कि बड़े से बड़े विकास कार्यों को पूरा करवा लेना उनके बाएं हाथ का खेल है।छग गठन के बाद से ढाई दशकों में रायगढ़ की राजनीति में बहुतेरे ऐसे नेता हुए जिनके आजू बाजू रहने वाले चार पांच शागिर्द ही तमाम ठेकों से लेकर सभी कार्यों को हैंडल करते रहे। राजनीति की आड़ में असम्भव लगने वाले काम सहजता से होने लगते है तो नि:संदेह नेताओं के आस पास बनावटी भीड़ भी अचानक से नजर आने लगती है। सभी यह जानते है कि झूठ की राह में भीड़ अधिक होती है वही ईमानदारी की राह में चलने वाले अकेले चलते है।राजनीति का क्षेत्र इस कहावत से अछूता नहीं । राजनीति में जो दिखे या दिखाया जाए या बताया जाए वही सच हो यह जरूरी नहीं।रायगढ़ की राजनीति में एक वर्ग ऐसा है जो जगह जगह मिथ्या बाते स्थापित करने का काम आसानी से करता है। इस पॉलिटिकल हनी ट्रैप के शिकार रायगढ़ के बहुत से नेता हुए है।राजनीति में ओपी युग की शुरुआत के बाद यह गैंग दुगुनी ताकत से प्रायोजित दुष्प्रचार में लगा हुआ है।छग की राजनीति में ओपी सिफऱ् नेता बनने नहीं आए बल्कि राजनीति में बहुत सी रूढि़ वादी परम्पराओं को बदलने भी आए है। ये मान्यताएं धीरे धीरे बदल भी रही है।एक सर्व सुलभ नेता घंटों समर्थकों से बाते करता रहे।लेकिन विकास कार्य ना करे।ऐसा नेता जनता के लिए घातक होता है। ऐसे नेता जो सर्व सुलभ रहने की बजाय समर्थकों से घंटों बात करने की बजाय केवल आम जनता के कामों के लिए दिन रात जुटे रहे ऐसा नेता ही जनता के लिए लाभ दाई सिद्ध हो सकता है।
इतिहास सदैव सबक दे सकता है लेकिन वर्तमान सुधारने की क्षमता देता जिससे भविष्य सुनहरा हो सके।राजनीति में नेताओं की सर्वसुलभता ने जनता का बेड़ा गर्क किया है। ओपी ने राजनीति की इस रूढि़ वादी परंपरा को पूरी दृढ़ता से बदला है।डॉक्टर को अधिक शुल्क देकर अच्छे इलाज की उम्मीद नहीं की जा सकती साथ ही डॉक्टर बहुमत के आधार पर इलाज का निर्णय नहीं ले सकता । रोगों का कारण जानकर उसका निदान करने वाला डॉक्टर ही रोगी की नजर के श्रेष्ठ होता है। जनता वोटो का शुल्क देकर एक श्रेष्ठ नेता का चयन करती है और बहुत सी जन समस्याओं का स्थाई निदान चाहती है । बतौर श्रेष्ठ नेता ओपी दिन रात जनता के वोटो की कीमत चुका रहे है। राजनीति में ओपी वादे नहीं बल्कि इरादे लेकर आए है।
एक वो दौर भी था जब मध्य प्रदेश के दौरान कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने चुनाव के पहले तीन बार केलो बांध के शिलान्यास के नारियल फोड़े लेकिन छग बनने के बाद ही भाजपा के रमन राज में केलो बांध का बहु प्रतीक्षित सपना साकार हो सका। केलो बांध के निर्माण हुए डेढ़ दशक बीत गए लेकिन किसानों के खेत प्यासे ही रहे। ओपी ने साल भर के अंदर ही नहरों के लिए 1100 करोड़ स्वीकृत कर दिए नहरों के पानी से किसानों के खेत हरा सोना उगलेंगे। बांध बनने के बाद भी किसानों की आंखे पानी देखने तरस गई जब ओपी ने नहरों के लिए 1100 करोड़ की राशि स्वीकृत की तो किसानों की आंखों से खुशियों के पानी से भर आई। विपक्ष के दौरान सडक़ो की दुर्दशा को लेकर तीन दिन की पद यात्रा करने वाले ओपी चौधरी जमीन पर सोए। सत्ता आने के बाद जमीन में सोने वाले ओपी चौधरी छग लोकसभा चुनाव प्रचार में जुटे रहे फिर निकटवर्ती ओडिसा राज्य के विधान सभा में ताकत झोंकी अब वे झारखंड चुनाव में व्यस्त है एक माह बाद छग राज्य के नगरीय निकाय चुनाव में व्यस्त रहेंगे। व्यस्तता के दौरान उनका किसी से व्यक्तिगत संपर्क नहीं होता जो लेकिन वे जनता का सपना पूरा करने दिन रात एक किए हुए है। केलो बांध की नहरों के लिए करोड़ों की स्वीकृति हो या फिर नालंदा परिसर हेतु एनटीपीसी से समझौते का मामला हो या फिर इतवारी बाजार में करोड़ों की लागत से ओक्सी जोन की स्वीकृति का मामला हो इस कार्यों को पूरा करने ओपी की व्यवस्तता कभी बाधा नहीं बनती। सैकड़ों मिल झारखंड चुनाव में व्यस्त ओपी जनहित से जुड़ा काम नहीं भूलते। ओपी जिस शिद्दत से जन हित के बड़े फैसले ले रहे है छग बनने के ढाई दशक बाद कोई भी नेता ये काम नहीं कर पाए। हर माह प्रदेश की सत्तर लाख महिलाओ को दी जाने वाली 700 करोड़ महतारी वंदन की राशि की फाइल में समय से हस्ताक्षर करना नहीं भूलते।हर बार वे यह बताना नहीं भूलते कि स्वीकृत कार्यों के लिए किसी प्रकार की कोई राशि बतौर रिश्वत नहीं देनी है। ओपी का यह विरला गुण ही उन्हें राजनीति में अन्य नेताओं से अलग जनता के दिल में स्थापित करता है।
विपक्ष में बने जनता की आवाज… जमीन पर सोए…
मंत्री बनने के बाद दिन रात जनहित एवं विकास कार्यों का खाका तैयार कर रहे ओपी चौधरी, कलेक्टर बनने से लेकर राजनीति में सफलता के झंडे गाडऩे वाले ओपी चौधरी ने अथक मेहनत से पाया है मुकाम, यू ही नहीं बने कलेक्टर...अथक मेहनत सुचिता से जनता का दिल जीत कर राजनीति में मुकाम हासिल किया
