रायगढ़। हिंदू धार्मिक त्योहारों में दीपावली सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार में से एक है।इसे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। रोशनी के इस त्योहार को देश के कई हिस्सों में दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या की रात को माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों के घर जाकर उनकी दरिद्रता दूर करके उन्हें समस्त सुख प्रदान करती हैं। दरअसल पांच दिन लंबे चलने वाले इस त्यौहार की शुरुआत बछ बारस के दिन से हो जाती है। इस बार दिवाली की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है और कई विद्वानों में मतभेद है। कुछ लोग कह रहे हैं कि दिवाली 31 अक्टूबर को है। जबकि कुछ लोग 1 नवंबर को दिवाली मनाने की बात कर रहे हैं। इस बार दिवाली की सही तिथि और समय को लेकर जनता में असमंजस की स्थिति है कि दिवाली मनाने के लिए 31 अक्टूबर या 1 नवंबर में से कौन सा दिन सही है।
31 को होगी दिवाली
इस संशय को लेकर हमारी चर्चा देश विदेश में विख्यात स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ0 सुमंत शर्मा जी से हुई। उन्होंने हमें इस विषय पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से बताया कि 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना शुभ रहेगा। क्योंकि उज्जैन के समयानुसार चतुर्दशी तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर ही रहेगी उसके बाद अमावस्या तिथि लग जाएगी। और दिवाली हमेशा अमावस्या की रात को ही मनाई जाती है। ज्योतिषाचार्य सुमंत शर्मा ने कहा किन 1 नवंबर, 2024 को उदया तिथि अमावस ही है, लेकिन इस दिन रात को अमावस्या नहीं रहेगी, 1 नवंबर 2024 को 6 बजकर 16 मिनट तक ही अमावस है।
31 को ही मनाने का पंचागों में उल्लेख
उन्होंने बताया कि काशी व कई अन्य पंचांग के अलावा मिथिला पंचांग में भी 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का उल्लेख है। जब दो तिथियों में प्रदोष काल उपलब्ध हो, तो त्यौहार पहले वाले प्रदोष काल की तिथि को मनाया जाता है। अत: ऐसे में दिवाली का त्यौहार 31 अक्टूबर को मनाया जाना श्रेष्ठ है। लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल जिसे संध्या काल कहते है का समय सबसे अच्छा माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को कहते हैं। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है। अत: गृहस्थ लोगों के लिए 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन करने का शुभ मुहूर्त वृषभ लग्न में स्थानीय समयानुसार शाम 06:10 से लेकर रात को 8:09 तक रहेगा। और निशीथ काल मुहूर्त जिसे आमजन अर्धरात्रि व मध्यरात्रि काल भी कहते है वह 31 की रात 11:45 पीएम से लेकर देर रात 12:36 एएम तक रहेगा। कई लोग इस समय पर भी लक्ष्मी पूजन करते हैं। निशीथ काल पूजन विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं के लिए ज्यादा अच्छा माना गया है। ज्योतिषाचार्य सुमंत शर्मा ने कहा कि त्यौहारों की इस श्रृंखला में इस वर्ष 29 को धनतेरस, यम दीपम व 30 अक्टूबर, बुधवार को काली चौदस, हनुमान पूजा, छोटी दिवाली व नरक चतुर्दशी व 31 को बड़ी दिवाली व लक्ष्मी पूजा होगी व 2 नवंबर 2024, शनिवार को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट और 3 नवंबर 2024, रविवार के दिन भाई दूज का त्यौहार है।